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Rathore Sarkar Hukum
दूध नाथ वरुण
हे मां मुझे दे दे जो अपनी शरण, मेरा जीवन हो जायेगा सफल। मैं तो पूजुंगा मां दिन रात तुझे, निज आंसू से धोउंगा चरण कमल।। ©दूध नाथ वरुण #चरण #कमल
Ravendra
Shivkumar
Vishnu Bhagwan वर्णन मानव क्या करे, जब सक्षम वेद ना होए । क्षीरसागर शेष शयन, निद्रा से नयना सोए ।। जगत पालक जगतपति, की महिमा जटिल महान । लक्ष्मी पति बैकुण्ठ पति का, कोई क्या गाए गुणगान ।। धर्म उन्ही से कर्म उन्ही से, सबके पालनहार । सदा करे भक्तो की रक्षा, ले जग मे अवतार ।। चतुर्भुजा नीला वरण, तन पीताम्बर सोहे । हृदय बसे माता लक्ष्मी, माया से सबको मोहे ।। नाभि कमल से ब्रहम हुए, करने जगत संचार । सदा जपे हरि हर को, हर जपे हरि हर बार ।। कमल नयन पद्म चरण, सुंदर छवि बलवान । सबके स्वामी नारायण को, कोटी कोटी प्रणाम ।। ©Shivkumar #vishnubhagwan #विष्णु #Nojoto #nojotohindi #दोहा #दोहे #मन्त्र वर्णन मानव क्या करे, जब सक्षम वेद ना होए । क्षीरसागर शेष शयन, निद्रा से न
Bharat Bhushan pathak
चित्रपदा छंद विधान:-- ८ वर्ण प्रति चरण चार चरण, दो-दो समतुकांत भगण भगण गुरु गुरु २११ २११ २ २ नीरद जो घिर आए। तृप्त धरा कर जाए।। कानन में हरियाली। हर्षित है हर डाली।। कोयल गीत सुनाती। मंगल आज प्रभाती। गूँजित हैं अब भौंरे। दादुर ताल किनारे।। मेघ खड़े सम सीढ़ी। झूम युवागण पीढ़ी।। खेल रहे जब होली। भींग गये जन टोली।। दृश्य मनोहर भाते। पुष्प सभी खिल जाते।। पूरित ताल तलैया। वायु बहे पुरवैया।। भारत भूषण पाठक'देवांश' ©Bharat Bhushan pathak #holikadahan #होली#holi#nojotohindi#poetry#साहित्य#छंद चित्रपदा छंद विध
Devesh Dixit
होली (दोहे) होली का यह पर्व है, जिस पर हमको मान। कहते हैं सज्जन सभी, ये अपनी पहचान।। मिल जुल कर हम सब रहें, देता है ये ज्ञान। बैर भाव छोड़ो सभी, कर सबका सम्मान।। हँसी खुशी सब खेलते, हैं रंगों के साथ। मिल जुल कर सब रंगते , ले रंगों में हाथ।। फागुन का यह मास है, रंगों का त्यौहार। दिल न दुखाना तुम कभी, है ये ही संस्कार।। मात पिता के छू चरण, बन जाओ तुम नेक। ईश ज्ञान देते यही, फिर मिलती है टेक।। बहुत बहुत शुभकामना, देते हैं हम आज। खुशी मनाओ झूम के, हो सुंदर सब काज।। .......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #Holi #nojotohindi #nojotohindipoetry #होली होली (दोहे) होली का यह पर्व है, जिस पर हमको मान। कहते हैं सज्जन सभी, ये अपनी पहचान।। मिल जुल
Mukesh Poonia
सारा जग है प्रभु तेरी शरण में सर झुकाते हैं शिव तेरे चरण में हम बनें भोले की चरणों की धूल आओ शिव जी पर चढ़ायें श्रद्धा के फूल। महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं ©Mukesh Poonia #mahashivaratri सारा जग है #प्रभु तेरी #शरण में सर झुकाते हैं #शिव तेरे चरण में हम बनें #भोले की चरणों की धूल आओ शिव जी पर चढ़ायें #श्रद्धा
Bharat Bhushan pathak
छंद- विजात छंद विधान-यह १४ मात्रिक मानव जाति का छंद है। इसकी १,८ वीं मात्रा का लघु होना अनिवार्य है। इसके अंत में २२२ वाचिक भार होता है।यह चार चरणों वाला छंद है।क्रमागत दो-दो चरण या चारों चरण समतुकान्त होता है। मापनी- लगागागा लगागागा १२२२ १२२२ चमकती जब,यहाँ चपला। करे हे यह,बहुत घपला। सदा यह प्राण लेती है। कभी ना त्राण देती है।।१ रहम भी खूब ये करती। इसी से है, हरी धरती।। चमकना शान्त हो ऐसे। चमकता चाँद हो जैसे।।२ ©Bharat Bhushan pathak #Reindeer छंद- विजात छंद विधान-यह १४ मात्रिक मानव जाति का छंद है। इसकी १,८ वीं मात्रा का लघु होना अनिवार्य है। इसके अंत में २२२ वाचिक भार