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Ramkishor Azad
वो मोहब्बत की ममतामई सादगी है हकी कत की खुशियां इन्हीं से मिलीं है, समुंद्र की चाहत जिनकी बंदगी में है प्यार की अनमोल जिंदगी मां से मिलीं है! बनी है दुकान प्रेम के सागर की गर मां की आंचल भरी छाया मेरे सिर पर है,, कैसे करूं मां मैं तेरे चरणों की बंदगी मेरे शब्दों में इतनी क्षमता नहीं हैं!! डीयर आर एस आज़ाद... ©Ramkishor Azad मां सरस्वती हैं#sad_shayari #maa #rsazad #Shayari #mohabbat #आंचल #sagar #treanding #Love Mittal g....Aligarh Dhanya blackrocks Pooja Adars
Ramkishor Azad
वो मोहब्बत की ममतामई सादगी है हकी कत की खुशियां इन्हीं से मिलीं है, समुंद्र की चाहत जिनकी बंदगी में है प्यार की अनमोल जिंदगी मां से मिलीं है! बनी है दुकान प्रेम के सागर की गर मां की आंचल भरी छाया मेरे सिर पर है,, कैसे करूं मां मैं तेरे चरणों की बंदगी मेरे शब्दों में इतनी क्षमता नहीं हैं!! डीयर आर एस आज़ाद... ©Ramkishor Azad #sad_shayari #maa #rsazad #Shayari #mohabbat #आंचल #sagar #treanding #Love Mittal g....Aligarh Dhanya blackrocks Pooja Adarsh S Kumar Tsbis
#sad_shayari #maa #rsazad Shayari #mohabbat #आंचल #sagar #treanding Love Mittal g....Aligarh Dhanya blackrocks Pooja Adarsh S Kumar Tsbis #शायरी
read moreRabindra Prasad Sinha
चबन्नी छाप मतदाता ने चुना अठ्ठनी छाप सांसद रूपैया छाप राजा ने लगायी सांसदों की बोली बिक गये सांसद कौडियों के दाम बिक गया जन गन बे मोल बे भाव मतदाता के एक हिस्से ने तालियाँ बजायी दूसरे ने मुँह बनाया यह कहानी किस देश की है आपको समझ आया ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Rabindra Prasad Sinha
White धर्म ने बचाया तो मारा भी प्रेम ने मारा नहीं कभी सिर्फ बचाया है सभी को ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Rabindra Prasad Sinha
शिकारी किसी पेड़ किसी फूल किसी तितली किसी हिरण किसी मंदिर या कहीं और सिर नवाता हो तो यह मत समझना कि उसका हृदय परिवर्तन हो गया है हो सकता है कि वह शिकार करने की किसी नयी अदा की जुगत में हो ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Rabindra Prasad Sinha
झूठ तुम तो झूठ हो तुम्हारी कलईदार चमक आज नहीं तो कल उतर जायेगी सच कलई का मोहताज नहीं उसकी आँखों में धूल झोंक कर उसकी आँखें बंद कर सकते हो पर उसकी आत्मा के सूरज का क्या करोगे सच तो तुम्हारी लगाई आग में और भी दमकेगा दूबकेगा नहीं ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Rabindra Prasad Sinha
झूठ को हासिल यहाँ है कोठियाँ एक कमरा तक नहीं सच को यहाँ बंदरों ने बाँट लीं सब रोटियाँ ताकती हीं रह गयी .सब बिल्लियाँ कौरवों को ही बुरा हम क्यों कहें आज भी तो रो रहीं हैं बेटियाँ चाँद पर जाओगे तुम तुमको मुबारक हम हैं भूखे हम तो चाहें रोटियाँ सभ्यता से ये मिला है आदमी को भय गरीबी भूख निराशा सिसकियाँ ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Rabindra Prasad Sinha
White मंदिर तोड़ो मस्जिद तोड़ो जिसको चाहो उसको तोड़ो पर उस दिल को मत तोड़ो जिसमें रब है बसता ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Rabindra Prasad Sinha
White दरक रहें हैं पहाड़ दरक रही है आत्मा सूख रही है नदी सूख रहा है आँखों का पानी कट रहें हैं पेड़ कट रहीं हैं स्त्रियाँ जहरीली हो रही है हवा जहरीला हो रहा है आदमी लेकिन राजा ने कहा है घबड़ाओ मत बस थोड़े दिनों की बात है 2047 में आने वाले हैं अच्छे दिन ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Rabindra Prasad Sinha
White यह चुनाव का वक्त है दोस्त हमें साफ साफ तय करना है कि हम सच की तरफ हैं कि झूठ की तरफ हमें ईमानदार आवाज मेंं झूठे को झूठा कहना है और सच के साथ पूरी ताकत के साथ खड़ा होना है यह वक्त चुप बैठने का नहीं कारवाई करने का है नहीं तो हमारी जगह इतिहास के कूडेदान मेंं होगी ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ