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Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
"जेल" हकीकत में जेल कहां होती है? जहां मन की शांति नही होती है स्वर्ण पिंजरा भी किस काम का, जिसमे गुलामी की बू होती है सच में जेल विचारों की होती है जैसे विचार वैसी खुशियां होती है हमारी अच्छी-बुरी सोच से ही, जिंदगी हंसीन-गमगीन होती है अच्छी विचार रखने से ही साखी, नर्क में जन्नत की तस्वीर होती है आज सोच का दायरा बदल गया है, आधुनिकता से आदमी छल गया है, अपूर्ण चीजों में हंसी कहां होती है सच्ची खुशी तो परिवार में होती है मन की जेल यहां सबसे बुरी होती है इसमें जिंदगी मौत से बदतर होती है जिस जगह विचारों की स्वतंत्रता, वो जगह ही सच मे जिंदा होती है बाकी सब जगह तो जग में साखी, मुर्दाघर की ही पहचान होती है दिल से विजय जेल
Lalit Meena
lalit meena ©Lalit Meena जेल ही जीवन है #guru वीजेपीजीसीएस। हाजी
Deepa Didi Prajapati
जेल,मंदिर से पवित्र वह स्थान है जहां कुछ कसूरवारों के बीच कुछ बेकसूर बिलखकर परमात्मा को पुकारते हैं ©Deepa Didi Prajapati #जेल#बेकसूर
Rajinder Raina
घर भी अब तो जेल लगे है, खत्म सारा ही खेल लगे है। तंगी उदासी ने आ घेरा है, मेल भी अब बेमेल लगे है। कैसे करलूं कोई भी वादा, इन तिलों में न तेल लगे है। तंग जूती है चलना मुश्किल, ओर पैरों में कील लगे है। रैना"कैसे तय करे रस्ता, दूरी कई सौ मील लगे है। ........रैना ©Rajinder Raina जेल #Hope
Rajesh Khanna
अभी नया नया आया हूं इस शहर में प्यारा तो लगेगा ना जब आयेगी मुझे मां की याद तब ये VIP HOTEL भी जेल नजर आने लगेगी ©Rajesh Khanna #City जेल
Akash Das
Akash Das
Sarwar Majra
देख लो आफ़त का खेल अपना घर भी लगता जेल बस बदला भी कुछ नही घर पहले जैसा ही है वो रौनक लौट नही आई जो अपने घर को घर करती है ©लेखक सरवर अली माजरा घर भी जेल
Farukh Maniyar
जब कन्हैया जेल में था तो उमर खालिद रोड पर था आज उमर खालिद जेल में है तो कन्हैया कहां है ? जब कन्हैया जेल में था तो उमर खालिद रोड पर था आज उमर खालिद जेल में है तो कन्हैया कहां है ?
Dayal "दीप, Goswami..
ये जिंदगी खुली किताब है, लिखा इसमें हर एहसास है, इसमें जीवन के कुछ रंग हैं,लिखी जिंदगी की हर जंग है, कहीं भोर का एहसास है, छिपा मन का विश्वास है , रोशनी जो मंद है , बयां कर रही जिंदगी का छंद है। हर पृष्ठ में नई कहानी है, बयां कर रही जो जिंदगानी है, कहीं धूप कहीं छांव है, दिखा रही वक्त का घाव है, अपने ही ख्याल हैं, जिंदगी के अनसुलझे सवाल है , आखों के कुछ ख्वाब हैं,साथ में दिल के जज़्बात हैं। कुछ खाली जो पृष्ठ हैं, वही जिंदगी के पल अदृश्य हैं, अभी भी जिंदगी में कुछ रिक्त है,मन भी विरक्त है, ये जिंदगी जो आज है, उसका ये हिसाब है, ये जिंदगी और कुछ नहीं बस खुली किताब है । ,दीप,, #ये_जिंदगी खुली किताब है##