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Vikas Sharma Shivaaya'

नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर मां महागौरी की पूजा की जाती है-मां महागौरी मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है। इन्हें आठवीं शक्ति कहा जाता है। महागौरी #समाज

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नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर मां महागौरी की पूजा की जाती है-मां महागौरी मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है। इन्हें आठवीं शक्ति कहा जाता है। महागौरी हीं शक्ति मानी गई हैं। पुराणों के अनुसार इनके तेज से संपूर्ण विश्व प्रकाशमान है।


दुर्गा सप्तशती के अनुसार, शुंभ निशुंभ से पराजित होने के बाद देवताओं ने गंगा नदी के तट पर देवी महागौरी से ही अपनी सुरक्षा की प्रार्थना की थी। मां के इस रूप के पूजन से शारीरिक क्षमता का विकास होने के साथ मानसिक शांति भी बढ़ती है। माता के इस स्वरूप को अन्नपूर्णा, ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी भी कहा जाता है। 


ध्यान मंत्र:

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥

पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।

वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।

मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।

कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥


स्तोत्र पाठ:

सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।

ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥

सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।

डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥

त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।

वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर मां महागौरी की पूजा की जाती है-मां महागौरी मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है। इन्हें आठवीं शक्ति कहा जाता है। महागौरी

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 34 - अन्वेषण 'तू क्या ढूंढ़ रहा है?' जब कोई कमर झुकाकर भूमि से दृष्टि लगाए एक-एक तृण का अन्तराल देखता धीरे-धीरे पद उठाता चले

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।।श्री हरिः।।
34 - अन्वेषण

'तू क्या ढूंढ़ रहा है?' जब कोई कमर झुकाकर भूमि से दृष्टि लगाए एक-एक तृण का अन्तराल देखता धीरे-धीरे पद उठाता चले

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 10 - गाय ब्यायी 'मेरी पुनीता बच्चा देने वाली है।' तोक ने कहा। 'तुझे कैसे पता लगा?' कन्हाई ने तोक की ओर आश्चर्यपूर्वक देखा #Books

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|| श्री हरि: || 
10 - गाय ब्यायी

'मेरी पुनीता बच्चा देने वाली है।' तोक ने कहा।

'तुझे कैसे पता लगा?' कन्हाई ने तोक की ओर आश्चर्यपूर्वक देखा

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 40 - बतंगा 'यह तो बतंगा है।' कन्हाई ने कहा और सखाओं की ओर दौड़ गया। नन्हें से नन्द-नन्दन को नाम रखना बड़ा अच्छा आता है। यह ग

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।।श्री हरिः।।
40 - बतंगा

'यह तो बतंगा है।' कन्हाई ने कहा और सखाओं की ओर दौड़ गया।

नन्हें से नन्द-नन्दन को नाम रखना बड़ा अच्छा आता है। यह ग

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 12 - नृत्यरत ता थेई, ता थेई ता .... त थेई थेई, कन्हाई नाच रहा है। हिल रहा है मयूरपिच्छ मस्तक के ऊपर, हिल रही है अलकें और #Books

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|| श्री हरि: || 
12 - नृत्यरत

ता थेई, ता थेई ता .... त थेई थेई, कन्हाई नाच रहा है।

हिल रहा है मयूरपिच्छ मस्तक के ऊपर, हिल रही है अलकें और

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 22 - नाम बताओ 'अरे, कौन है? छोड़ भी।' आज तनिक भद्र सखाओं से हटकर तमाल तरु के मूल में आ बैठा था। तमाल की ओट से आकर कन्हाई न

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|| श्री हरि: ||
22 - नाम बताओ 

'अरे, कौन है? छोड़ भी।' आज तनिक भद्र सखाओं से हटकर तमाल तरु के मूल में आ बैठा था। तमाल की ओट से आकर कन्हाई न

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 17 - शीत में इस शीत ऋतु में गायों, वृषभों, बछड़े-बछड़ियों को सांयकाल गोपगण ऊनी झूल से ढक देते हैं।प्रातः गोचारण के लिए पशुओं

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।।श्री हरिः।।
17 - शीत में

इस शीत ऋतु में गायों, वृषभों, बछड़े-बछड़ियों को सांयकाल गोपगण ऊनी झूल से ढक देते हैं।प्रातः गोचारण के लिए पशुओं

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 3 - सचिन्त 'भद्र। बाबा भद्र कहाँ है?' ऐसा तो कभी नहीं हुआ कि श्याम गोदोहन करने गोष्ठ में जाय और भद्र उसे दोहिनी लिये न मिले #Books

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|| श्री हरि: ||
3 - सचिन्त

'भद्र। बाबा भद्र कहाँ है?' ऐसा तो कभी नहीं हुआ कि श्याम गोदोहन करने गोष्ठ में जाय और भद्र उसे दोहिनी लिये न मिले

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 2 -उलझन में राम श्याम दोनों आकर द्वार के बाहर खड़े ही हुए थे कि एक तितली कहीं से उड़ती आयी और दाऊ की अलकों पर बैठ गयी। कन्ह #Books

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|| श्री हरि: ||
2 -उलझन में

राम श्याम दोनों आकर द्वार के बाहर खड़े ही हुए थे कि एक तितली कहीं से उड़ती आयी और दाऊ की अलकों पर बैठ गयी। कन्ह
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