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tehzibasheikh👩‍💻

जैतून के तेल के नियमित इस्तेमाल से संज्ञानात्मक जोखिम को कम किया जा सकता है. इसके साथ ही दिमाग में होने वाली परेशानियों जैसे अल्जाइमर डिमेंश

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जैतून के तेल के नियमित इस्तेमाल से संज्ञानात्मक जोखिम को कम किया जा सकता है. इसके साथ ही दिमाग में होने वाली परेशानियों जैसे अल्जाइमर डिमेंशिया को दूर करने में भी इसकी भूमिका होती है. इसके अलावा ये डिप्रेशन के खतरे को कम कर सकता है. जैतून के तेल के नियमित इस्तेमाल से संज्ञानात्मक जोखिम को कम किया जा सकता है. इसके साथ ही दिमाग में होने वाली परेशानियों जैसे अल्जाइमर डिमेंश

Jaishree Bedi Nanda

आजकल छोटी छोटी चीजें रखकर भूल जाती हूँ...कभी गेस पर दूध रख कर भुल जाती हूँ... कभी सब्ज़ी रख कर... अभी शायद यह "भूल जाना" बहुत कैज्युलि लगता ह

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आजकल छोटी छोटी चीजें रखकर भूल जाती हूँ...कभी गेस पर दूध रख कर भुल जाती हूँ... कभी सब्ज़ी रख कर... अभी शायद यह "भूल जाना" बहुत कैज्युलि लगता है...पर क्या पता अपने 60 की उम्र में यह अल्जाइमर बन कर उभर जाए?मेरी मम्मी को था अल्जाइमर...सब भुल गयी थी मम्मी... धीरे धीरे अगर मैं भी सबकुछ भूलने लगी तो?
पर सच कहूं तो लगता है कि, यह एकमात्र बीमारी है जिसमें रोगी को कोई कष्ट नहीं होता होगा.. उनके घरवालों की प्रॉब्लम छोड़ दें तो अलग बात है... 
कितना अच्छा हो कि इंसान सब भूल जाए... सारी तकलीफ़....खुद को दुःख पहुंचाने के कारण... कुछ लोग..खुद से हुई गलतियां और ऐसे सपने जो कभी पूरे न होने की टीस देते रहतें हो...
तब तो उम्र का वो दौर सिर्फ हँसी खुशी में बीतेगा ..है ना...सोच कर ही हँसी आ गई... आजकल छोटी छोटी चीजें रखकर भूल जाती हूँ...कभी गेस पर दूध रख कर भुल जाती हूँ... कभी सब्ज़ी रख कर... अभी शायद यह "भूल जाना" बहुत कैज्युलि लगता ह

Jaishree Bedi Nanda

पता नहीं वो कहा होगा?? उसे मैं याद होउगी भी या नहीं?? बहुत दिनो के बाद आज कुछ लिखने का मन था... बहुत सारी बाते जो बताना चाहती हूँ तुम्हे...

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पता नहीं वो  कहा होगा?? उसे मैं याद होउगी भी या नहीं?? बहुत दिनो के बाद आज कुछ लिखने का मन था... बहुत सारी बाते जो बताना चाहती हूँ तुम्हे... लेकिन ये बाते भी उन पुरानी बातों की तरह अलमारी के किसी कोने में दब जायेगी... 
पता है तुम्हें मेरे बाल अब सफेद होने लगे हैं... उम्र अब गिनती से आगे बड़ माथे की लकीरो मे आ गई है... थोड़ा सा ज़्यादा काम करने पर थकावट हो जाती है... चश्मे का नम्बर भी बड गया है... आजकल कुछ बाते भुलने लगी हूँ... मम्मी को अल्जाइमर था... कही मुझे भी तो नहीं होगा?? पर मुझे तो तुम्हारे साथ बिताए सारे लम्हे याद है... 
पर डरती हूँ... अगर अलज़ाइमर बडा तो क्या मैं तुम्हारी यादो को भुल जाउगी??? भगवान जी से यही अरदास करती हूँ... तुम्हारी याद मिट्ने से पहले मेरी आन्खे बन्द कर दे.... पता नहीं वो  कहा होगा?? उसे मैं याद होउगी भी या नहीं?? बहुत दिनो के बाद आज कुछ लिखने का मन था... बहुत सारी बाते जो बताना चाहती हूँ तुम्हे...

Vikas Sharma Shivaaya'

✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 "अमित, अरे बाबूजी उठे नहीं क्या अभी तक ? टाइम पर दवा नहीं लेने स #समाज

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✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️

🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

"अमित, अरे बाबूजी उठे नहीं क्या अभी तक ? टाइम पर दवा नहीं लेने से उनकी तबियत बिगड़ जाती है। अमित, जरा देखोगे क्या उनके कमरे में जाकर ? मैं रोटियाँ बना रही हूँ, सब्जी भी गैस पर रखी है, तुम्हारा टिफिन भी लगाना है अभी। जागते ही चाय चाहिए उनको, वो भी सुबह ठीक सात बजे। अब तो पौने आठ बज रहे हैं, आज चाय-चाय करते किचन तक आए भी नहीं...,
 
अदिति की बातें सुनते अमित को भी आश्चर्य हुआ। बाबूजी आज अभी तक उठे क्यों नहीं ? वो तुरंत उनके कमरे में गया। बाबूजी अभी बिस्तर पर ही थे, गहरी नींद में। अमित ने उन्हें आवाज दी : " बाबूजी, उठिए, आठ बजने को आए। आज चाय नहीं पीनी क्या ?

कोई जवाब न पाकर अमित ने उन्हें हिलाया और जगाने की कोशिश की लेकिन उनके एकदम ठंडे पड़े शरीर के स्पर्श से वह चौंक गया और चीखा : " अदिति...अदिति...इधर आओ जरा। देखो, बाबूजी उठ नहीं रहे हैं...,

रोटी बेलना छोड़, सब्जी की गैस बंद कर अदिति तेजी से बाबूजी के कमरे में पहुँची...,

अमित को कुछ सूझ नहीं रहा था। बोला : " अदिति, देखो, बाबूजी उठते नहीं हैं...,

अदिति ने भी कोशिश की मगर बाबूजी न जागे। उसकी आँखों से अश्रु बह निकले फिर खुद को मानो सांत्वना देती हुई वह बोली : " जरूर रात की दवाओं के असर से गहरी नींद में हैं। ठहरो मैं डॉक्टर को फोन करती हूँ...,

अदिति ने बाबूजी के रेग्युलर डॉक्टर को कॉल किया : " हलो डॉक्टर साहब, मैं गीता बोल रही हूँ...,

डॉक्टर : " हाँ, गीता, बोलो। बाबूजी तो ठीक हैं न ?

अदिती : " डॉक्टर साहब, बाबूजी उठ नहीं रहे। प्लीज आप जल्दी घर आएँगे क्या ? "डॉक्टर : " हाँ... हाँ... मैं आता हूँ...,

10 मिनिट में डॉक्टर साहब आ गए। बाबूजी को चैक किया। फिर अमित की पीठ पर सांत्वना की थपकी देते हुए बोले : " सुबह-सुबह ही डेथ हुई है इनकी। बीपी ही इनपर भारी गुजरा। मैं डेथ सर्टिफिकेट बना देता हूँ...,

डॉक्टर की बात सुन, अदिति हिचकियाँ ले-लेकर रोने लगी...,

डॉक्टर ने उसे कहा : " गीता, जन्म-मरण हमारे हाथ में थोडे ही होता है और फिर उम्र भी तो हो गई थी इनकी। होनी को कौन टाल सकता है...,

फिर अमित की ओर देखते वे बोले : " मैं तो कहता हूँ, अच्छा ही हुआ जो तकलीफ से निजात पा गए। अल्जाइमर रोग बहुत तकलीफदेह होता है, खुद पेशेंट के लिए भी और उसके नाते-रिश्तेदारों के लिए भी...,

"डेथ सर्टिफिकेट पर उनका नाम क्या लिखूँ ? उन्हें चैक करने आता था तो तुम लोगों की देखा-देखी मैं भी उन्हें बाबूजी ही कहता था। गीता के बाबूजी के रूप में ही जानता हूँ मैं इन्हें...,

 ---डॉक्टर ने आगे कहा ...,

थोड़ी देर के लिए अमित और अदिति सकपकाए से एक दूसरे का मुँह देखने लगे फिर गीता ने चुप्पी तोड़ी और डॉक्टर से बोली :" डॉक्टर साहब, मेरा नाम गीता नहीं, अदिति है। पिछले दस सालों से मैं बाबूजी के लिए गीता बनी हुई थी...,

डॉक्टर : " क्या मतलब ?
 
अदिति : " कोई 10 साल पुरानी बात है डॉक्टर साहब, मैं साग-भाजी लेने सब्जी मार्केट गई थी। खरीदारी के बाद जब मार्केट से बाहर आई और किसी खाली रिक्शे की तलाश में इधर-उधर देख रही थी तभी, गीताss गीताss पुकारते एक बुजुर्गवार मेरे करीब पहुँचे और मेरी बाँह पकड़ मुझसे बोले, गीता, अरे मुझे अपना घर ही नहीं मिल रहा। कब से मैं यहाँ खड़ा हूँ लेकिन किधर जाऊँ कुछ समझ ही नहीं आ रहा। अच्छा हुआ तू आ गई। चल, अब घर चलें...,

"बुजुर्गवार किसी अच्छे घर के लग रहे थे, दिखने में भी और कपड़ों से भी। मेरा हाथ थामे बोलने लगे, गीताsss चल जल्दी। मुझे कबसे भूख लगी है। "मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ ? बुजुर्गवार की स्नेहमयी, मीठी वाणी सुन सोचा कि, उनको घर ले जाती हूँ। कुछ खिलाकर, शांति से उनका एड्रेस पूछती हूँ और फिर उन्हें उनके घर छोड़ आती हूँ। अतः रिक्शे पर हम दोनों घर आए। "घर पहुँचते ही, बुजुर्गवार बोलने लगे, गीताsss जल्दी खाना दे, बहुत भूख लगी है। "मैंने जल्दी से थाली में उन्हें उपलब्ध भोजन परोसा तो कई दिनों के उपवासे जैसे वे तेजी से खाने लगे। भरपेट भोजन के बाद मैंने उनसे पूछा, बाबूजी आप कहाँ रहते हो ? याद है क्या आपको ? चलो मैं आपको, आपके घर छोड़ आती हूँ...,

"बुजुर्गवार बोले : " अरे गीता, यही तो है अपना घर। "मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था। फिर वे बाहर सोफे पर ही सो गए।"शाम को अमित के घर आने पर मैंने सारा किस्सा सुनाया। फिर अमित के कहने पर हमने न्यूजपेपर में गुमशुदा वाले पृष्ठ पर और टीवी के गुमशुदा वाले कार्यक्रम के माध्यम से बुजुर्गवार का एड्रेस और नाते-रिश्तेदारों का पता करना प्रारंभ किया। अमित ने पुलिस थाने में भी बुजुर्गवार की जानकारी दी। पुलिस ने कहा, कुछ पता चलने पर खबर करेंगे। तब तक बुजुर्गवार को अपने घर पर रखो या तुम्हें दिक्कत हो तो उन्हें सरकारी वृद्धाश्रम अथवा अस्पताल में दाखिल करवा दो...,

गीता...गीता...पुकारते वे मेरे आगे-पीछे घूमा करते। गीता आज भिंडी की सब्जी बना, आज बेसन के भजिए वाली कढ़ी बना, आज हलवे की इच्छा है, ऐंसी फरमाइशें किया करते। उनकी बातें, उनका अपनापन देख-सुन मेरा मन भर-भर आता। बड़े हक से वे मुझे हर बात कहते जो मुझे भी बहुत भाता...,

"हफ्ता गुजर गया लेकिन उनका कुछ पता नहीं चला। उनसे कोई हेल्प नहीं मिलती लेकिन घर में रह रहे एक बुजुर्ग का अस्तित्व हमें खूब अच्छा लगने लगा। उनके लिए कुछ करना हमें खूब भाता...,

"मैंने और अमित ने निर्णय लिया कि हम उन्हें कहीं नहीं भेजेंगे, अपने घर पर अपने साथ ही रखेंगे। फिर हमने पुलिस थाने में भी अपने इस निर्णय की सूचना दे दी। बस तभी से बुजुर्गवार हमारे बाबूजी बन गए...,

"दस बरस हो गए मेरा दूसरा नामकरण गीता हुए। आज बाबूजी के साथ गीता का भी अस्तित्व समाप्त हो गया। " ---बोलते हुए अदिति की आँखों से पुनः झर-झर आँसू बहने लगे...,

अदिति से सारा किस्सा सुन डॉक्टर निशब्द हो गए। थोड़ी देर बाद बोले : " इतने सालों में मुझे जरा भी महसूस नहीं हुआ कि, ये तुम्हारे पिता नहीं बल्कि कोई गैर हैं। सच कहूँ तो अल्जाइमर बड़ा गंभीर रोग है। आजकल वृद्ध लोगों में यह समस्या बढ़ती ही जा रही है...,

"आज के दौर में खुद की औलादें अपने माता-पिता को साथ रखना पसंद नहीं कर रहीं। पैसे-प्रोपर्टी वसूली कर वृद्ध माता-पिता की जवाबदारी से मुँह मोड़ लेने का चलन समाज में बढ़ गया है। दिनोंदिन वृद्धाश्रमों में भीड़ बढ़ती ही जा रही है। लेकिन इसी समाज में आप जैसे लोग भी हैं, यह मेरे लिए बेहद आश्चर्य का विषय है।" फिर डॉक्टर साहब खामोश हो गए। उन्होंने अमित और अदिति की पीठ पर प्यार और सांत्वना भरी थपकी दी। फिर बाबूजी का डेथ सर्टिफिकेट उन्हें सौंपा और डबडबाई आँखों से घर के मुख्यद्वार की ओर बढ़ गए...!

Note:मित्रों ,क्या आप अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कई परेशानियों से जूझ  रहे हैं ,जैसे बार बार बीमार होना -लम्बी बीमारी को झेलना -रोजगार -धंधे की दिक्कत -नींद नहीं आना -कोर्ट केस -पैसे का नहीं टिकना ,विवाह में देरी आदि तो आइये हम आपको सिखाते हैं रसोई के मसालों द्वारा इन सब समस्याओं का समाधान  ,रोज एक मसाले से समाधान ,निरंतर 7 दिनों तक हर रोज एक परेशानी से मुक्ति ,कोर्स शुल्क-555/ ,कोर्स कल से प्रारम्भ हो रहा है ,अधिक जानकारी  के लिए व्यक्तिगत व्हाट्सप्प/मैसेज (8619753510)करें ...

अपनी दुआओं में हमें याद रखें 🙏

बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....!
🙏सुप्रभात 🌹
आपका दिन शुभ हो 
विकास शर्मा'"शिवाया" 
🔱जयपुर -राजस्थान🔱

©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️

🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

"अमित, अरे बाबूजी उठे नहीं क्या अभी तक ? टाइम पर दवा नहीं लेने स

Mukesh Poonia

Story of Sanjay Sinha आज मेरे छोटे भाई का जन्मदिन है। मेरा वही भाई जो चार साल पहले मुझे छोड़ कर चला गया, उसका आज जन्मदिन है। मैं चाहूं तो #News

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Story of Sanjay Sinha 
 आज मेरे छोटे भाई का जन्मदिन है। मेरा वही भाई जो चार साल पहले मुझे छोड़ कर चला गया, उसका आज जन्मदिन है। मैं चाहूं तो
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