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ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
विवाह एक महाबँधन जिसमे सत्यता की ,पवित्रता,व जीवन भर साथ निभाने की रस्में होती है विवाह,,,,,,एक परिणय
डॉ. शिवानी सिंह मुस्कान
#शिवानी हे अन्तःपुर के अभिलाषी| हे मौन दृगों के सुखराशी|| करबद्ध हुई कविता मेरी मत छेड़ मुझे हे मृदुभाषी।। हे माया,मोह,प्रेम,परिणय जिसमे सारी दुनिया तन्मय मै उनसे मुक्ति चाहती हूँ बनने दे मुझको सन्यासी। करबद्ध हुई कविता मेरी मत छेड़ मुझे हे मृदुभाषी।। स्पर्श-स्नेह का ये बंधन मोहित कर लेता सबका मन मत सींच मेरे मन की बेला हे दया सिंधु घट-घट वासी। करबद्ध हुई कविता मेरी मत छेड़ मुझे हे मृदुभाषी।। जब-जब तू शिवा कहायेगी तब-तब शंकर को पायेगी मै युगों-युगों से हूँ तेरा ये प्रेम सदा से अविनाशी। करबद्ध हुई कविता मेरी मत छेड़ मुझे हे मृदुभाषी।। ©डॉ.शिवानी मुस्कान पार्वती परिणय
Shipra Pandey ''Jagriti'
Mantri Ji जनता बोली सुनो मंत्री जी, आप मंत्री आप ही देश के संतरी..! तो बताओ ये मंत्री जी, वादे के आपका क्या हुआ..? था विकास का वादा, वो किधर गया..? भूखी गरीब जनता पूछ रही सवाल रोटी मकान शिक्षा का वादा क्यों हो गया हवा..? किसको मिली नौकरी, कौन युवा हुआ रोजगार की दुकान..? सुनकर जनता का सवाल, मंत्री ने सोचा कहीं कर ना दे ये मूर्ख जनता बवाल..! मंत्री जी ने ली अपनी भृकुटी ली तान, तनिक तुनक कर फिर खोली अपनी ज़ुबाँ.., घोलकर अपनी वाणी में मिश्री की मिठास, फिर किया थोड़ा हास-परिहास..! मित्रों आगे की बात आप सुने, मंत्री जी ने शब्दों के कैसे कैसे जाल बुने.., मंत्री ने छोड़ा जनता पर अपने कुटिल ज्ञान मुस्कान का तीर, मैंने कर दिया वादा पूरा विकास का करके अपने घर और कस्बे का विकास, जनता को मिला रोटी कपड़ा और आलीशान मकान, बच्चे मेरे खाते बर्गर पिज़्ज़ा और पा रहे जाकर विदेश में उच्य शिक्षा, हर सदस्य के नाम किया एक मकान, फल फूल रहा पूरा खानदान सड़क का कर दिया काया कल्प, मेरे दर पर उतर जाती अब पूरी की पूरी राशन की ट्रक चलते हैं सब लेकर ए. सी. कार बढ़ गया है मेरे तोंद का भी आकार, मेरे घर की जनता अब ना रही गरीब, हड़प के सबकी ज़मीन ना ली डकार, अब वादा है अगले पाँच सालों में बचा खुचा है जो वो पूरा होगा, सात पीढ़ी के रहने का पुख़्ता इंतिज़ाम होगा, जनता का काम तमाम होगा..!! हम रहे तो अबकी अश्वथामा फिर मरेगा, आपके कृपा से जीत का मेरे डंका बजेगा, और फिर आगे चल दिये मंत्री जी लेकर संदेश मैडम का आ गया था उनका संतरी जी लगाने लगा नारा जय हो जय हो हमारे मंत्री जी।। शिप्रा पाण्डेय 'जागृति' ©Kshipra Pandey #मंत्री जी #WForWriters मंत्री जी
Shipra Pandey ''Jagriti'
Mantri Ji जनता सवाल करे ओ मंत्री जी बड़ा बवाल करे ओ मंत्री जी अब तो कुछ विकास करो ओ मंत्री जी बोलो क्या कुछ तो कमाल ओ मंत्री जी मंत्री जी बोले दिया तो है गरीबो का अधिकार सम्पन्न हुआ मैं स्वयं अब विदेशों में भी है मेरा व्यापार बेटा मेरा IS बना बिन पढ़े बिन खर्चे से दैनिक अखबार भरा पड़ा मेरे गबन के चर्चे से विकास की लहर में नहाए मेरी बेटी ओर जमाई धन दौलत उनकी इतनी कि आज ही उनकी नई BMW आयी मेरे मामा जो जीते थे दूसरों के दम पर आज उनकी चार खदानें चार सौ डम्पर बुआ ने मेरी न ज्यादा डिमांड की किसानों की 500 बीघा जमीन बस उनके नाम की। आतंकवादियों को दे दिया आरक्षण पूरे साल का भर देते अब वो मेरा राशन हुआ विकास और देखो प्रगति छाई देखो मैंने कैसी कूटनीति अपनायी गरीबी भूखमरी घोर संकट चंहु ओर रे अगर हमने अपनी आंखें मुंदी परिवार अपना सुरक्षित, करते रहो तुम चाहें जितना शोर रे करेंगे घोटाला फिर से अबकी बारी चार पेटी दारू देकर फिर से जीतेगा हम जैसा चोर रे! सीना ठोकर गर्जना कर क्या बोले फिर वो मंत्री जी मैं ही राजा मैं ही प्रजा मैं ही यहाँ सबसे बड़ संतरी जी सभा समाप्त कर बोले चलो विदेश चले वो मंत्री जी वाह धन्य हो..! क्या कमाल करें हो तुम मंत्री जी....!! ( मेरे कुछ अधूरे ख़्वाब से) Ajay Behare ki klm se ©Kshipra Pandey #मंत्री जी #WForWriters मंत्री जी
Anuj Ray
" बंध के परिणय सूत्र में " और कब तक, दूर तुम जोवन छुआ से भागती फिरती रहोगी .. सिंह डर से दूर वन में र्चौकड़ी दिन-रात , तुम कितनी भरोगी ... है बचन मेरा अभय, प्राणों से प्यारी , तुम सदा बनकर रहोगी... बंध के परिणय सूत्र में ,सारे जहां में , स्वामिनी बनकर फिरोगी गी.. " बंध के परिणय सूत्र में"
Ek villain
मेरा भविष्य वह तो पूरी तरह सुरक्षित है चार विकल्प है मेरे पास पहला भारतीय जनता पार्टी में चला जाऊं दूसरा आम आदमी पार्टी में चला जाऊं तीसरा चुनाव ना लड्डू और चौथा शांति के साथ दाल रोटी खाता रहा हूं चौथा यह है कि स्वतंत्र होकर कुछ भी कर लूं अब आप बताइए कि जिस आदमी के सामने चारों रास्ते खोले हैं उसे जीने को क्या चाहिए ऐसा कह एक लंबी सांस भरकर आ आलम कला की स्मृति में छोड़ने वाले व्यक्ति हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता उसने पूछा गया कि आप वहां के कोई विकल्प क्यों नहीं है लेकिन इसका जवाब एक खुश एक मुस्कुराहट के भीतर छटपटा कर रह गया दिल्ली से लेकर कई राज्यों में यही प्रवेश के कांग्रेस तो क्या वे लेटर पर ही कांग्रेसी है कहती है कि आज ही कब से और संजीवनी बूटी की अपेक्षा प्रशांत किशोर की जा रही है यह नेता कहते हैं कि कागज काले करना एक बात और बूथ तक जाकर कार्यकर्ता में प्राण बना दूसरी बात बड़ी बात नहीं है डीपी की ओर धकेल कर आगे बढ़ते हैं तो कई अंग्रेज को छोड़ देंगे ©Ek villain #वेंटिलेटर पर रोगी कैसे फुके और उन्हें प्राण #shaadi