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N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} मिथ्या में कुछ भी अच्छा नहीं होता, मिथ्या बोलते-2 या मिथ्याचारण जीवन जीने से आपका भय नही रहता।। ©N S Yadav GoldMine #good_night {Bolo Ji Radhey Radhey} मिथ्या में कुछ भी अच्छा नहीं होता, मिथ्या बोलते-2 या मिथ्याचारण जीवन जीने से आपका भय नही रहता।।
#good_night {Bolo Ji Radhey Radhey} मिथ्या में कुछ भी अच्छा नहीं होता, मिथ्या बोलते-2 या मिथ्याचारण जीवन जीने से आपका भय नही रहता।। #विचार
read moreShivkumar बेजुबान शायर
White !! हे मतदाता !, हे राष्ट्रनिर्माता !! दारू मुर्गे पर ना बिक जाना ! प्रत्याशी को समझ परख कर मतदान जरूर तुम कर आना !! लोकतंत्र के तुम हो आधार वोट तुम्हारे विकास सूत्रधार ! जाति धर्म से ऊपर उठ कर मतदान जरूर तुम कर आना !! हे भाग्य विधाता !, हे मतदाता अबकी फिर चूक ना जाना ! लोभ भय में ना फंस तुम ईमानदार प्रत्याशी चुन लाना !! हे मतदाता तुम भी अपनी ताकत को पहचानो ! नेता तुम्हारा पढ़ा लिखा हो अबकी ऐसा तुम चुन डालो !! हे मतदाता !, हे राष्ट्रनिर्माता तुम्हारा मत है बड़ा अनमोल ! दारू, मुर्गे के लालच. में अबकी ना दो इसे. फिर तोल !! ©Shivkumar #election_2024 #election #electiontime #election2025 #election2026 #Nojoto // हे #मतदाता हे राष्ट्रनिर्माता // हे मतदाता !, हे राष्ट
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read moreAJAY NAYAK
White सांस को भी एक सांस मिला होगा मन अनोखे भय से कांप गया होगा बड़ा ही, खूबसूरत भरा वो मंजर रहा होगा मौत टक से छूकर बगल से निकल गया होगा –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #Free #Life सांस को भी एक सांस मिला होगा मन अनोखे भय से कांप गया होगा बड़ा ही, खूबसूरत भरा वो मंजर रहा होगा मौत टक से छूकर बगल से निकल
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न । खाना सुत का अन्न तो , होना बिल्कुल सन्न ।।२ वृद्ध देख माँ बाप को , कर लो बचपन याद । ऐसे ही कल तुम चले , ऐसे होगे बाद ।।३ तीखे-तीखे बैन से , करो नहीं संवाद । छोड़े होते हाथ तो , होते तुम बरबाद ।।४ बच्चों पर अहसान क्या, आज किए माँ बाप । अपने-अपने कर्म का , करते पश्चाताप ।।५ मातु-पिता के मान में , कैसे ये संवाद । हुई कहीं तो चूक है , जो ऐसी औलाद ।।६ मातु-पिता के प्रेम का , न करना दुरुपयोग । उनके आज प्रताप से , सफल तुम्हारे जोग ।।७ हृदयघात कैसे हुआ , पूछे जाकर कौन । सुत के तीखे बैन से, मातु-पिता है मौन ।।८ खाना सुत का अन्न है , रहना होगा मौन । सब माया से हैं बँधें , पूछे हमको कौन ।।९ टोका-टाकी कम करो , आओ अब तुम होश । वृद्ध और लाचार हम , अधर रखो खामोश ।।१० अधर तुम्हारे देखकर , कब से थे हम मौन । भय से कुछ बोले नही , पूछ न लो तुम कौन ।।११ थर-थर थर-थर काँपते , अधर हमारे आज । कहना चाहूँ आपसे , दिल का अपने राज ।।१२ मातु-पिता के मान का , रखना सदा ख्याल । तुम ही उनकी आस हो , तुम ही उनके लाल ।।१३ २५/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।
दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न । #कविता
read moreRam
कई टॉपर्स में भय का मनोविकार और जीवन के प्रति घबराहट भरा दृष्टिकोण होता है । #Motivational
read moreShivkumar बेजुबान शायर
मां का सप्तम रूप है मां कालरात्रि का, क्षण में करती नाश दुष्ट,दैत्य, दानव का। स्मरणमात्र से भाग जाते भूत, प्रेत, निशाचर, उज्जैन से दूर हो जाते हैं पल में ग्रह-बाधा हर। उपवासकों को नहीं भय अग्नि, जल, जंतु का, नहीं होता है भय कभी भी रात्रि या शत्रु का। नाम की तरह रुप भी है अंधकार-सा काला, त्रिनेत्रधारी है माताजी सवारी है गर्दभ का। दाहिना हाथ ऊपर उठा रहता है वरमुद्रा में, बाया हाथ नीचे की ओर है अभय मुद्रा में। तीसरे हाथ में मां के है खड्ग, चौथे में लौहशस्त्र, विशेष पूजा रात्रि में मां की करते हैं तंत्र साधक। शुभकारी है दूसरा नाम मां कालरात्रि का, शुभ करने वाली है मां, है सबकी मान्यता। गुड़हल का पुष्प है प्रिय, गुड़ का भोग लगाते हैं, कपूर या दीपक जलाकर मां की आरती करते हैं। ©Shivkumar #navratri #navaratri2024 #navratri2025 #navratri2026 #navaratri #नवरात्रि मां का सप्तम रूप है मां #कालरात्रि का, क्षण में करती #नाश दु
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read morePushpvritiya
अश्रु सुनियो धीरज धरना, प्रेम कठिन पर पार उतरना | पग-पग काँटें हैं यह माना, मेल विरह का ताना-बाना || हर ले मन की दुविधा सारी, आशा ज्योत जलाकर न्यारी | बाँधी है जब नेहा ऐसी , भय शंका तब बोलो कैसी || @पुष्पवृतियाँ . . ©Pushpvritiya #चौपाई अश्रु सुनियो धीरज धरना, प्रेम कठिन पर पार उतरना | पग-पग काँटें हैं यह माना, मेल विरह का ताना-बाना ||