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लेखक ओझा
सावन भादों घिर आते है जब अपने भी जेठ आसाढ बन जाते हैं।। ©लेखक ओझा #Dhund सावन भादो
SmileyChait
ऐ जिंदगी जरा धीरे चल! तेरे पीछे मेरा सब कुछ छूटता जा रहा है ऐ ख्वाब जरा कम दिखा कर! तेरे पीछे मेरे सपने बिखरते जा रहे है ऐ जज़्बात जरा कम उभरा कर! तेरे पीछे मेरे गम बढ़ते जा रहे हैं ऐ दिल जरा तू भी थमकर कम धड़क! तेरे बदलते रवैए के पीछे मेरा प्यार मरता जा रहा है ऐ सोच जरा तू भी बदल जा! तेरे पीछे मेरा सब कुछ सूना पड़ा है ऐ हालात जरा तू भी बदल जा! तेरे, पीछे मेरा सब कुछ वीरान पड़ा है ऐ समय जरा तू भी ठहर! मेरी कहानी तेरे पीछे ढलती जा रही हैं ©SmileyChait #sadak ऐ जिंदगी जरा धीरे चल SHIVANSH UP WALA Anshu writer Shab@bushi143 mirrorsouls_sqsh Kavi Nitin Nitish
Andy Mann
सभी धर्मों में महिलाएँ पुरुषों की तुलना में अधिक पूजा पाठ और व्रत उपवास करती हैं फिर भी वे पुरुषों से कहीं ज़्यादा दुख कष्ट क्यों झेलती हैं? ©Andy Mann #जरा सोचिएगा
Andy Mann
देवी #मंदिर में नहीं हमारे #समाज मे हैं औरत की दो टांगो की बीच से पैदा होकर वही इंसान...... उसी की छाती के दो स्तनों से अपनी भूख प्यास मिटाता हैं , बलात्कारी , रेपिस्ट भी वासना की भूख ... इन्ही दो टांगो के बीच ओर उन्ही दो स्तनों से अपनी भूख मिटाने की आशा रखता हैं यदि आप देखने का नजरिया बदल लें तो आप भूख मिटाने का खाना ना समझकर उसे मंदिर की तरह सम्मान , आदर भी कर सकते हैं हमे उसी माँ स्वरूप हर महिला बेटी , हो या बहन, जवान हो या बुजुर्ग, हो उसे मंदिर की तरह हमारे दिमाग मे डाले तो हम उस भगवान को बिना मंदिर जाए भी खुश रख सकते हैं । आजकल हर जगह टीवी मोबाइल इंटरनेट कहीं पर भी देखो या हमारे आसपास लोकल भाषा मे भी हमे यही प्रचार देखने को या सुनने को मिल रहा हैं की ओरत वासना की भूख मिटाने की होटल हैं हमे हमारी सोच को बदलना होगा और कंही पे भी औरत के खिलाफ हो रहे अश्लीलता के प्रचार को रोके ओर उन्हें समझाये ओर खुद भी समझे आये दिन हो रहे बलात्कार ,रेप को हमारे ही समाज के लोगो ने जन्म दिया हैं ( सोच बदलकर गांव/ शहर बदलने वाले कहा गए ? ) ©Andy Mann #जरा सोचिएगा
Andy Mann
*खुद पर भरोसा करने का हुनर सीख लो.* *सहारे कितने भी, भरोसेमंद हो, एक दिन साथ छोड़ ही जाते हैं ..!* *इज्जत और तारीफ* *मांगी नही जाती है* *कमाई जाती है* *नेत्र केवल दृष्टि प्रदान* *करते है* *परंतु हम कहाँ क्या देखते है* *यह हमारे मन की भावना* *पर निर्भर है* *शब्द जब तक आपके अंदर है ,* *वह आपके आधीन है और* *मुँह से बाहर आने के बाद आप* *उसके आधीन हो जाते हैं* ©Andy Mann #जरा सोचिए
Andy Mann
लोग जितना ख्याल सोशल मीडिया पर महिला मित्रों का रखते हैं, घर पर अपनी बीबी का रखें तो घर में शांति रहेगी.. ©Andy Mann #जरा सोचिए