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Alpha_Infinity
White चाहूं तो कितनी कविताएं लिख दूं इस खूबसूरत नजारे पर। पर अब दिल में दर्द बहुत है। प्रकृति को मनुष्यों ने बर्बाद कर दिया। वही लूट अब इस एप पर मची है। पहले 20 भाग खाते है, अब लुटेरे आधा भाग खायेंगे। लूट लूट कर इनका घर चल रहा। खुद को साफ सुथरा दिखाएंगे। रावण के ये वंशज राम की धरती पर जो आ गए है। लूट रहे होना, उपर क्या मुंह लेकर जाओगे?? लूटे हो जो गलत तरीकों से, यहीं भोग कर जाओगे। 💔 ©Alpha_Infinity या तो आप सब आंदोलन करे। आवाज उठाए। या फिर ये app छोर kr। jane ki तयारी करें। #Nojoto #writers #writerscommunity #dard💔 #lutere yoursecret
Poet Maddy
नज़रअंदाज़ कैसे करें हम तुम्हारी तबस्सुम को, तुम ही कहो कैसे देखना छोड़ दें अब हम तुमको....... महफ़िल में कहते हैं सभी भूल जाएं हम तुमको, कैसे बताएं उन्हें कि कितना चाहते हैं हम तुमको....... ©Poet Maddy नज़रअंदाज़ कैसे करें हम तुम्हारी तबस्सुम को, तुम ही कहो कैसे देखना छोड़ दें अब हम तुमको....... #Ignore#Smile#Gathering#Forget#Love..........
mauryajibhawalpur wale
ज़हर
ज़हर मेरी उदासियां तुम्हे कैसे नज़र आएंगी, तुम्हे देखकर जो हम मुस्कुराने लगते है ©ज़हर #ManKeUjaale #ज़हर #sad_feeling #hindi_shayari ज़हर मेरी उदासियां तुम्हे कैसे नज़र आएंगी, तुम्हे देखकर जो हम मुस्कुराने लगते है
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न । खाना सुत का अन्न तो , होना बिल्कुल सन्न ।।२ वृद्ध देख माँ बाप को , कर लो बचपन याद । ऐसे ही कल तुम चले , ऐसे होगे बाद ।।३ तीखे-तीखे बैन से , करो नहीं संवाद । छोड़े होते हाथ तो , होते तुम बरबाद ।।४ बच्चों पर अहसान क्या, आज किए माँ बाप । अपने-अपने कर्म का , करते पश्चाताप ।।५ मातु-पिता के मान में , कैसे ये संवाद । हुई कहीं तो चूक है , जो ऐसी औलाद ।।६ मातु-पिता के प्रेम का , न करना दुरुपयोग । उनके आज प्रताप से , सफल तुम्हारे जोग ।।७ हृदयघात कैसे हुआ , पूछे जाकर कौन । सुत के तीखे बैन से, मातु-पिता है मौन ।।८ खाना सुत का अन्न है , रहना होगा मौन । सब माया से हैं बँधें , पूछे हमको कौन ।।९ टोका-टाकी कम करो , आओ अब तुम होश । वृद्ध और लाचार हम , अधर रखो खामोश ।।१० अधर तुम्हारे देखकर , कब से थे हम मौन । भय से कुछ बोले नही , पूछ न लो तुम कौन ।।११ थर-थर थर-थर काँपते , अधर हमारे आज । कहना चाहूँ आपसे , दिल का अपने राज ।।१२ मातु-पिता के मान का , रखना सदा ख्याल । तुम ही उनकी आस हो , तुम ही उनके लाल ।।१३ २५/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।
AD Kiran
इश्क के नाम पर दर्द देने वाली अब तुमसे दूर जा रहा हूं दुबारा हमसे मिलने की कोशिश नहीं करना ! जाते-जाते एक अपील है तुझसे पैसों के खातिर अपने पति के प्यार को और सर्मसार नहीं करना !! ©AD Kiran #अब मैं दूर जा रहा हूं... SabitaVerma
Shivkumar
White कभी अपने अस्तित्व को खोज करना कभी अपनी खुशियों की खोज करना अगर मुनासिब हैं हसना, आकाश के नीचे बैठ कर तो दूर किन्ही पर्वतों पर तारो की खोज करना ©Shivkumar #mountain #Mountains #Nojoto कभी अपने अस्तित्व को #खोज करना कभी अपनी #खुशियों की खोज करना अगर मुनासिब हैं #हसना , आकाश के नीचे बैठ कर
दीपा साहू "प्रकृति"
White बताने की तुमको ख्वाहिश अधूरी ज़िन्दगी तुमपे ठहर गई है। दूर बहुत हम आ निकले हैं तुम तक साँसे ठहर गई है। ये हर्फ़ मेरे पढ़ा करोगे,इश्क़ हमारा हुआ है तुमसे सुनाएंगे तुमको ग़ज़ल हमारी,लिखी कभी जो ठहर गई है। बताने की तुमको ख्वाहिश अधूरी ज़िन्दगी तुमपे ठहर गई है ©दीपा साहू "प्रकृति" #mountain #बताने की तुमको ख्वाहिश अधूरी ज़िन्दगी तुमपे ठहर गई है। दूर बहुत हम आ निकले हैं तुम तक साँसे ठहर गई है। ये हर्फ़ मेरे पढ़ा करोगे,इश्क़
Mohd Asif
White मोहब्बत ऐसी थी कि उनको दिखाई न दी! चोट दिल पर थी इसलिए दिखाई न गयी! चाहते नहीं थे उनसे दूर होना पर! दुरिया इतनी थी कि मिटाई न गयी! ©Mohd Asif #Night मोहब्बत ऐसी थी कि उनको दिखाई न दी! चोट दिल पर थी इसलिए दिखाई न गयी! चाहते नहीं थे उनसे दूर होना पर! दुरिया इतनी थी कि मिटाई न गयी!