Find the Latest Status about बागडोर from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, बागडोर.
N S Yadav GoldMine
हैं वासुदेव श्रीकृष्ण। देखो, ये सूर्य के समान तेजस्वी शान्तनुनन्दन भीष्म कैसे सो रहे हैं पढ़िए महाभारत !! 🌷🌷 महाभारत: स्त्री पर्व त्रयोविंष अध्याय: श्लोक 1-18 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📜 गान्धारी बोलीं- तात। देखो, ये नकुल के सगे मामा शल्य मरे पड़े है। इन्हें ज्ञाता धर्मराज युधिष्ठिर ने युद्ध में मारा है। पुरुषोत्तम। जो सदा और सर्वत्र तुम्हारे साथ होड़ लगाये रहते थे वे ही ये महाबली मद्रराज शल्य यहां मारे जाकर चिर निद्रा में सो रहे हैं। 📜 तात। ये वे ही शल्य हैं जिन्होंने युद्ध में सूतपुत्र कर्ण के रथ की बागडोर संभालते समय पाण्डवों की विजय के लिये उसके तेज और उत्साह को नष्ट किया था। अहो। धिक्कार है। देखो न, शल्य के पूर्ण चन्द्रमा की भांति दर्षनीय तथा कमल दल सदृष नेत्रों वाले व्रणरहित मुख को कौओं ने कुछ-कुछ काट दिया है। 📜 श्रीकृष्ण सुवर्ण के समान कान्तिमान शल्य के मुख से तपाये हुए सोने के समान कान्तिवाली जीभ बाहर निकल आयी है और पक्षी उसे नोंच-नोंच कर खा रहे हैं। युधिष्ठिर के द्वारा मारे गये तथा युद्ध में शोभा पाने वाले मद्रराज शल्य को ये कुलांगनाऐं चारों ओर से घेर कर वैठी हैं और रो रही हैं। 📜 अत्यन्त महीन वस्त्र पहने हुए ये क्षत्राणियां क्षत्रिय षिरोमणि नरश्रेष्ठ मद्रराज के पास आकर कैसा करूण क्रन्दन कर रही हैं। रणभूमि गिरे हुए राजा शल्य को उनकी स्त्रियां उसी तरह सब ओर से घेरे हुए हैं, जैसे एक बार की व्याही हुई हथनियां कीचड़ में फंसे हुए गजराज को घेर कर खड़ी हों। 📜 वृष्णिनन्दन। देखो, ये दूसरों को शरण देने बाले शूरवीर शल्य बाणों से छिन्न-भिन्न होकर वीर शैया पर सो रहे हैं। ये पर्वतीय, तेजस्वी एवं प्रतापी राजा भगदत्त हाथ में हाथी का अंकुष लिये पृथ्वी पर सो रहे हैं इन्हें अर्जुन ने मार गिराया था। इन्हें हिंसक जीव जन्तु खा रहे हैं। 📜 उन महाबाहु ने कुन्तीकुमार धनंजय के साथ युद्ध करके उन्हे संषय में डाल दिया था; परंतु अंत में उन कुन्तीकुमार के हाथ से ही मारे गये। संसार में षोर्य और बल में जिनकी समानता करने वाला दूसरा कोई नही है, वे ही ये युद्ध में श्यंकर कर्म करने वाले श्ीष्मजी घायल हो बाणषैया पर सो रहे है। 📜 इनके सिर पर यह सोने माला विराज रही है जो केषों की सोभा बढाती सी जान पड़ती है। जैसे वृत्रासुर के साथ इन्द्र का अत्यन्त भयंकर संग्राम हुआ था, उसी प्रकार इन भगदत्त के साथ कुन्ती कुमार अर्जुन का अत्यन्त दारूण एवं रोमांचकारी युद्ध हुआ था। 📜 श्रीकृष्ण। देखो, ये सूर्य के समान तेजस्वी शान्तनुनन्दन भीष्म कैसे सो रहे हैं, ऐसा जान पड़ता है, मानो प्रलयकाल में काल प्रेरित हो सूर्यदेव आकाष से भूमि पर गिर पड़े हैं। केशव। जैसे सूर्य सारे जगत् को ताप देकर अस्ताचल को चले जाते हैं, उसी तरह ये पराक्रमी मानव सूर्य रणभूमि में अपने शस्त्रों के प्रताप से शत्रुओं को संतप्त करके अस्त हो रहे हैं। 📜 जो ऊध्र्वरेता ब्रम्हचारी रहकर कभी मर्यादा से च्युत नहीं हुए हैं, उन भीष्म को शूर सेवित वीरोचित शयन बाणषैया पर सोते हुए देख लो। जैसे भगवान स्कन्द सरकण्डों के समूह पर सोये थे, उसी प्रकार ये भीष्मजी कर्णी, नालीक और नाराच आदि बाणों की उत्तम शैया बिछाकर उसी का आश्रय ले सो रहे हैं. ©N S Yadav GoldMine #yogaday हैं वासुदेव श्रीकृष्ण। देखो, ये सूर्य के समान तेजस्वी शान्तनुनन्दन भीष्म कैसे सो रहे हैं पढ़िए महाभारत !! 🌷🌷 महाभारत: स्त्री पर्व
Pushkar Sahu
भूतकाल की बातो को भुलाना जरूरी हो गया हैँ दूसरों को अपनाने के बजाय ख़ुद को अपनाना जरूरी हो गया हैँ आगे बढ़ने के लिये मुस्कुराके वक़्त के साथ हाथ मिलाना जरूरी हो गया हैँ सुप्रभात। अब ज़रूरी हो गया है कि अपने जीवन की बागडोर अपने हाथों में ले ली जाए। #ज़रूरीहोगयाहै #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaboratin
Mr. Shubham
Ab zaroori ho gyaa hai, Tumhara laut kar vaapis aana♥️ Ab ye dil bagair tumhare reh nhi paa rha hai..🤕 Ab tumhara laut kar aana zaroori ho gyaa..🤕 . . . . . Collab with me ✍️♥️🤗 guyzz .
Gita Khanna
Laaj ka ghoonghat oddhe Chal pari thi wo masoom Pati parmeshwar ka daaman thame Ho na saka socha tha jo bhole mann se Bikhroongi nahin Swayam siddhha hoon main Ab zarrori ho gaya hai Thamna khud zindagi ko Ab zaroori ho gaya hai.. सुप्रभात। अब ज़रूरी हो गया है कि अपने जीवन की बागडोर अपने हाथों में ले ली जाए। #ज़रूरीहोगयाहै #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaboratin
Aahaan
Ab zaroori ho gaya hai, Saabit karna, Apne Dard ko, Apna pyaar ko, Apno ke vaar ko, Dil mai lagi aag ko, Aankhon se bahe aansuo ko, Doosro ke intezaar ko, Aur apne aap ko! सुप्रभात। अब ज़रूरी हो गया है कि अपने जीवन की बागडोर अपने हाथों में ले ली जाए। #ज़रूरीहोगयाहै #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaboratin
Vandana
एक स्त्री महका देती है अपने आसपास का संसार और कई कलियों को पुष्पों में अवतरित कर देती है अपनी व्यवहार कुशलता से कहते हैं कि एक स्त्री में ही वो शक्ति है जो पुरुष के आवेग को संभाल सकती है। उसके गर्म धधकते हुए ज्वालामुखी को शीतल जल की वर्षा कर कर शांत कर
Vandana
वो नाव की पतवार संभाले वो जीवन की बागडोर संभाले वो नटखटपन लड़कपन वो शौक आजमाइश वह दौर था ना समझी का ये दौर है समझदारी का कभी लौट आना तुम उस गली में पलके बिछाए बैठे हैं,,, दरिया में कमल के खिले दल महक रहे सब मिलकर तुम्हारी बाट जुटाए बैठे,,,, तुम आना संग कश्ती
Vandana
(एक मां की व्यथा) एक मां अपने बच्चों से बात करने के लिए तरसती, उन्हें बाहों में भरने के ,लिए तरसती माना वह बच्चे हो गए,अब जंवा,व्यस्त है।अपनी दुनिया में,पर वह मां चौखट में,आकर उनकी राह तकती, पूरा दिन मेहनत कर, बड़े प्यार से खाना बनाती,बच्चे एक निवाला खा,जवानी के जोश में निकल जाते ,वह मां अपने बच्चे को वात्सल्य को तरसती, बचपन में जो उनकी नरम गालों को चुम्मा करती थी। उनकी बिखरे बालों को संवारा करती थी। अपने हाथों से उनको खाना खिलाती थी। आज वह बच्चे बड़े हो गए,अपनी दुनिया में व्यस्त हो गए, एक माँ रह गई अकेली, अधूरी सी, जिसका जीवन शुरू हुआ था। एक कुमारी लड़की से ,शादी के बाद निछावर समर्पित पति के लिए, फिर जीवन की डोर मिली,ममतामई रूप में,बच्चे की बागडोर मिली, बच्चों को बड़ा करते करते खुद जीना भूल गई, उन से भावनाओं को जोड़ दिया। सब कुछ उनकी ओर मोड़ दिया।आज वह बच्चे बड़े हो गए, मां से दूर हो गए, वह मां तरसती निगाहों से, मार्मिक संदेश कृपया जरूर पढ़ें (एक मां की व्यथा) एक मां अपने बच्चों से बात करने के लिए तरसती, उन्हें बाहों में भरने के ,लिए तरसती माना वह ब
Poonam Suyal
बेबसी (अनुशीर्षक में पढ़ें) बेबसी आँखों में बेबसी, दिल में दर्द का शोर क्या हो रहा है ये मेरे साथ, ज़िंदगी ले जा रही है मुझे किस ओर कब तक ये दुखदायी दौर,
Anuj Jain
बनने चले थे युगपुरुष दिखा रहे थे सबको ठेंगा बता कर विराट को गौण खुद को दिखा रहे थे महान कागज़ के फूल थे खुशबू नही होती उनमे काबलियत धेले की नही है बिकना चाहते थे रुपये के मोल होश ठिकाने लग गए न पता चला कैसे संभलती है सत्ता का बागडोर नही चलती खरीद फरोख्त यहाँ ये है उखड़ती साँसों की डोर शर्म है कुछ अगर डूब मरो चुल्लू भर पानी में कैसे जियोगे लेकर लोगों की बद्दुआएं पुरज़ोर बनने चले थे युगपुरुष दिखा रहे थे सबको ठेंगा बता कर विराट को गौण खुद को दिखा रहे थे महान कागज़ के फूल थे खुशबू नही होती उनमे