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Parasram Arora

भक्त और भगवान का रिश्ता

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Unsplash भक्त और भगवान
 का रिश्ता दिख जाता 
है कभी कभी मंदिरो मे 

अच्छा लगता 
भगवान को अगर
 उसे तुमने अपने घर 
बुला कर पूजा होता

©Parasram Arora भक्त और भगवान का रिश्ता

Parasram Arora

अर्थ अनर्थ

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Unsplash मन अगर संवेदबमनाओ के संवेनद से भरा हो तों 
अनर्थ क़ी झड़ मे से भी अर्थ  डुंडा जा सकता है

©Parasram Arora अर्थ  अनर्थ

विष्णु कांत

उसके नाम का कुत्ता।

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Mayuri Bhosale

# प्रेमाचा खरा अर्थ

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   ❣️❣️ ...  प्रेमाचा खरा अर्थ...❣️❣️ 

     मी उभी इथे🙋
              तू पाहशील मला जिथे🤷
दूर झाल्या आपल्या वाटा साऱ्या मिळुनी तिथे.🛣️
             मी आकाशातील धुके 🌨️
                        तू न बोलताच शब्द पडले मुके 🤫
        ढगांचे हे आज कालचे असे वागणे वाऱ्याला सारखे खूपे. 
            मी सागरातील लाट 🌊
            तू न संपणारी वाट 🛣️
सुंदर स्वप्न वेडी प्रेमाची होईल एक दिवस पहाट.🌅
          मी बासरीतील सूर 🎶
            तू गीत बोलती मधुर 🎵
      किमया सारी सप्तसुरातील स्वरांची गेली कुठे निघूनी दूर. 
     मी तुला रागावणे 🤨
                तू त्यावर काहीच न बोलणे🤫
    भासते जणू आभाळाचे सावलीला काहीसे बिलगणे. 🌫️
        मी नात्यातला दुरावा💔
                         तू कृष्ण राधेच्या प्रेमातील पुरावा 👩‍❤️‍👨
 आंबट गोड नातं फुलूनी तो हृदयात निरंतर मुरावा.❤️‍🩹
               मी जपला नात्यात निस्वार्थ 🤷
                   तू दिलास प्रेमाचा खरा अर्थ💓♥️
      लोक त्याला उपमा देऊनी साधून घेती स्वतःचा स्वार्थ.😔

©Mayuri Bhosale # प्रेमाचा खरा अर्थ

Manisha Keshav https://www.audible.in/pd/Jab-Tera-Zikr-Hota-Hai-When-You-Are-Mentioned-Audiobook/B0D94RCK97

#समझ सको तो अर्थ हूँ #कविता Love

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White https://www.amazon.in/dp/9363303624/ref=sr_1_1?crid=1BG7ESUNE99LA&dib=eyJ2IjoiMSJ9.u_X-ACLRxc3Bp_N1TlG0rQ.6Qiwd2Wla8gtRO9hqyOuf_aJyG0p-vE3cHJ7OViYmlY&dib_tag=se&keywords=9789363303621&qid=1730815253&sprefix=9789363306233%2Caps%2C378&sr=8-1

©Manisha Keshav https://www.audible.in/pd/Jab-Tera-Zikr-Hota-Hai-When-You-Are-Mentioned-Audiobook/B0D94RCK97 #समझ सको तो अर्थ हूँ #कविता #Love

Sumit Kumar

शादी का सही अर्थ..

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Parasram Arora

i एक नूई कविता का प्रजनन

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White उलझन वाले छंदो 
मे उलझ कर 
कविता मेरी थक
 कर हाफने लगी है

लगता है  अब एक
 नई कविता 
मन के केनवास पर 
कहीं जन्म न लें रहीं हो

©Parasram Arora i एक नूई कविता का प्रजनन

कवि प्रभात

हिंदी कविता कविता कोश कविता

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मग देखेंगे नैन द्वय, तव तब  तक  प्रियतम |
जब तक काल के ग्रास न, बन जायेंगे हम ||

©कवि प्रभात  हिंदी कविता कविता कोश कविता

Anurag Nishad

बारिश पर कविता हिंदी कविता कविता कोश प्रेम कविता कविता

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नवनीत ठाकुर

#प्रकृति का विलाप कविता

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जमीन पर आधिपत्य इंसान का,
पशुओं को आसपास से दूर भगाए।
हर जीव पर उसने डाला है बंधन,
ये कैसी है जिद्द, ये किसका  अधिकार है।।

जहां पेड़ों की छांव थी कभी,
अब ऊँची इमारतें वहाँ बसी।
मिट्टी की जड़ों में जीवन दबा दिया,
ये कैसी रचना का निर्माण है।।

नदियों की धाराएं मोड़ दीं उसने,
पर्वतों को काटा, जला कर जंगलों को कर दिया साफ है।
प्रकृति रह गई अब दोहन की वस्तु मात्र,
बस खुद की चाहत का संसार है।
क्या सच में यही मानव का आविष्कार है?

फैक्ट्रियों से उठता धुएं का गुबार है,
सांसें घुटती दूसरे की, इसकी अब किसे परवाह है।
बस खुद की उन्नति में सब कुर्बान है,
उर्वरक और कीटनाशक से किया धरती पर कैसा अत्याचार है।
 हरियाली से दूर अब सबका घर-आँगन परिवार है,
किसी से नहीं अब रह गया कोई सरोकार है,
इंसान के मन पर छाया ये कैसा अंधकार है।।

हरियाली छूटी, जीवन रूठा,
सुख की खोज में सब कुछ छूटा।
जो संतुलन से भरी थी कभी,
बेजान सी प्रकृति पर किया कैसा पलटवार है।।
बारूद के ढेर पर खड़ी है दुनिया, 
विकसित हथियारों का लगा बहुत बड़ा अंबार है।
हो रहा ताकत का विस्तार है,खरीदने में लगी है होड़ यहां, 
ये कैसा सपना, कैसा ये कारोबार है?
ये किसका विचार है, ये कैसा विचार है?
क्या यही मानवता का सच्चा आकार है?

©नवनीत ठाकुर #प्रकृति का विलाप कविता
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