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Satish Kumar Meena
सीमा पार से प्रेम की हिलोरें उठना दो दिलों में दंश झेल पाने का अनुभव है, उम्मीदें तार तार हो जाती है अगर उम्मीदें कायम रखी हों। ©Satish Kumar Meena सीमा पार प्रेम
सीमा पार प्रेम
read moresweety
White पिता से बड़ा कोई मार्गदर्शक नही और माँ से बड़ी कोई दुनिया नही Good morning😘 💞 ©sweety माँ
माँ
read moreParasram Arora
White क्षितिज के उस पार उड़ कर पहुंचने की आस हैँ आदमी को. सदियों से लगता हैँ उसे कहीं अपने कमज़ोर पंखो पर भरपूर भरोसा न आ गया हो ©Parasram Arora उस पार
उस पार
read moreDR. LAVKESH GANDHI
Maa कहाँ हो लिखो माँ कभी तो मिलो माँ कैसी हो बताओ माँ मिलने तो आओ माँ कितनी दूर हो माँ मेरे पास आओ माँ हर सांस पर कर्ज है तेरा माँ फिर से चुकाने का मौका दो माँ जिंदगी में नहीं सोचा था कभी माँ आप भी मुझे छोड़ कर चलीं जाएंगी माँ ©DR. LAVKESH GANDHI #माँ # #मेरी माँ कहाँ हो #
माँ # मेरी माँ कहाँ हो #
read moreM R Mehata(रानिसीगं )
White जय माता दी 🌺🌺🌺 बस अब थोड़ा आराम करो हद से ज्यादा ना काम करो... अपनो कि फिक्र है तुम को पर थोड़ा तो खुद पर भी ध्यान धरो... 🩸 good night 🩸 ©M R Mehata(रानिसीगं ) आराम करो
आराम करो
read moreParasram Arora
White प्राणो मे ज़ब तक साँसों की ज्योति जलती रहेगी. तुम तो रोशन होओगे ही ये जगत भी तुम्हारी रौशनी से चमकता रहेगा जिस दिन तुम्हारा ख्वाहिशो से मोह भंग हो जाएगा तुम्हारे जीवन की किश्ती भी उस पार तुम्हे पंहुचा देगी ©Parasram Arora उस पार
उस पार
read moreRiyanka Alok Madeshiya
White माँ ________ -------------- शब्दों की जरूरत नहीं होती मुझे तुमको अपनी बात समझने के लिए मेरे चेहरे के भाव काफी हैं मेरे मन का हाल बतलाने के लिए जीवन के संघर्षों से- जब भी यह मन घबराता है 'मैं हूंँ ना ' , 'सब ठीक हो जायेगा' तुम्हारा यही कहना याद आता है खो दिया तुमने खु़द को मुझे आकार देने में मैंनें ही तो जी हैं ;वो खु़शियाँ भी जो थी तुम्हारे हिस्से में अब लोग रूठतें हैं ; मनातें नहीं हैं तेरी तरह मेरी ग़लतियाँ छुपाते नहीं है काश! ये समय का पहिया वापस घूम पाता, और मुझे बचपन की गलियों में ले जाता जब तुम लोगों की नजरों से बचाने के लिए मुझे काज़ल का टीका लगाया करती थी और दिन के अन्त में- तुम खुद अपनी ही लगी नजर उतरती थी तुमने मुझको हक़ दिया हैं ;खु़द को सताने का बिना बात के रूठ जाने का मेरे झूठें ऑंसुओं पर भी- तुम्हारा दिल पिघल जाता है समझ में नहीं आता है कि- न जाने किस मिट्टी से ऊपर वाला माँ को बनाता हैं। स्वरचित और मौलिक रियंका आलोक मदेशिया पडरौना ,कुशीनगर ,उत्तर प्रदेश ©Riyanka Alok Madeshiya #माँ