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पथिक..
उंगलियों में दिन गिन कर , ज़िंदगी जीने वालों ,कभी बेफ़िक्र ज़िंदगी, को जी लिया करो, हर वक़्त काम के लिए भाग रहे हो,कभी खुद के लिए भी, जाग लिया करो यारों उंगलियों में दिन गिन कर...... अभी वक़्त है, खुल के जी लो यार, कभी खुद से भी, खुल के कर लो प्यार,काम आयेंगी तेरी, खुद की देह ही , दूसरों की देह, तो बस तेरा भ्रम है यार,उंगलियों में दिन गिन कर जीने. ... कमाना, और खाना ये सिलसिला तो चलता रहेगा, पर ये मानस चोला जाने फिर कब मिलेगा,समय रहते जी लो, जी भरके, फ़िर ना जाने कब, जीने का मौका मिलेगा उंगलियों में दिन गिन कर जीने वालों... ©पथिक.. #उंगलियों#में दिन#गिन कर...
ज़िंदादिल संदीप
इच्छा
Rahul
काश हम अंगूठी बन कर तेरे उंगलियों में फंस जाते। काजल बन कर तेरे आंखो में बस जाते। ©Rahul काश हम अंगूठी बन कर तेरे उंगलियों में फंस जाते। काजल बन कर तेरे आंखो में बस जाते। #ramleela
Sunny Mahesh Rana
खरोच कर तेरी बहो की हकीकत , अपनी उंगलियों में बसाऊंगा , छिड़क कर तेरी बहो की इत्र को, दरमिया सासों में आपकी निकाहात फैलाऊंगा , आप कर लीजिये ल
सुसि ग़ाफ़िल
इश्क है तुमसे माथा चूमु या फिर चूमु छाती अब दुनिया से क्या लेना उंगलियों में उंगलियां डालकर जुल्फें चेहरे पर रखकर हवा से उड़ाऊं या फिर पीठ पर बैठाकर तुझे बिस्तर के उस किनारे ले जाऊं अब दुनिया से क्या लेना होठों पर रखकर होठ खैर छोड़ो तुम्हारी पीठ पर घुमाऊं उंगलियां और उंगलियों की पोरों से लिखूं मैं तेरा मेरा नाम अब दुनिया से क्या लेना इश्क है तुमसे माथा चूमु या फिर चूमु छाती अब दुनिया से क्या लेना उंगलियों में उंगलियां डालकर
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat तुम्हारे गरम हाथ की गर्मियाश आज भी मौजूद है, मेरे हाथों की लकीरों में। जब भी क़लम थामती हूं, वो गर्मीं मेरे शब्दों की है, या तुम्हारे हाथों की हरारत की? उंगलियों में एहसासों की मेहंदी है या जज़्बातो की स्याही शाही अंदाज में बिखेरते मोती मेरी क़लम के जो मुझे ख़ुद से पहचान करवाती है। तुम्हारे गर्म हाथों की गर्मी रूह में जमी बर्फ़ को पिघला देती है। #गर्महाथ #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Did
Shree
कोई गाएं, तो कोई बजाए, जब भी किस्मत नाच नचाए, कभी सनक, कभी समझ, यहां किस्मत त्याग करवाए, तू बादलों सा साफ़ सफ़ेद... ये सपने रंगे तितलियों से, छूने की ललक उंगलियों में, अनंत आसमान सा वृहद, उल्लास मिलन का रहे अनहद, अब हो भौतिक या काल्पनिक, मोह सरल साधना जो असाध्य है, सुनो, अराध्य! ये प्रेम का उन्वान.. "श्री" सदा से प्रेम में अबाध्य है...! उन्वान ❣️ कोई गाएं, तो कोई बजाए, जब भी किस्मत नाच नचाए, कभी सनक, कभी समझ, यहां किस्मत त्याग करवाए, तू बादलों सा साफ़ सफ़ेद...