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Vishal Prajapati
मैंने जिंदगी से पूछा सबको इतना दर्द क्यों देती है मैंने जिंदगी से पूछा सबको इतना क्यों दर्द देती है जिंदगी ने हंसकर जवाब दिया हम तो सबको खुशी देते हैं पर एक की खुशी दूसरे की दर्द बढ़ जाती है ©Vishal Prajapati साइड सोन
BHANU BINJHWAR
टटोल कर देखो अपने देश को बहुत कुछ मिलेगा, जैसा फूल विदेशो में नहीं फूलता वैसा फूल यह खिलेगा।। #भारत देश सोन चिरैया
Mamta Kumari 'misha'
भारत मेरा सोन चिरईयाँ सभी देशो में महान है| जन्म भूमि ये राम-कृष्ण की, धरती है ये महान वीरो के बलिदान की| पतित पावनी गंगा बहती हैं यहां, खेतो मे पीली-पीली सरसों लहराती हैं यहां, सतरंगी मौसम की ये धरती नित नया एक रूप दिखाए, दीपो की रोशनी फैली यहां, त्योहार रंगों के है यहां, मुस्काते हर चेहरे है यहां| गुरु का हमारे देश में, ईश्वर से भी ऊँचा स्थान है अतिथि को भी समझा जाता यहां भगवान हैं| अनेको हैं यहां भाषाएँ अनेको बोली है, बिखरे है कई रंग यहां रंगों की यहां रंगोली हैं| अनेकता में एकता ही भारत की शान है| तीन रंग का तिरंगा हमारा देश का सम्मान है| अमर वीर हमारे देश का मान हैं| भारत मेरा सोन चिरईयाँ सभी देशो में महान है| ©Mamta Sharma भारत मेरा सोन चिरईयाँ #India2021
Ek villain
मानव इतिहास में बीते 2 वर्ष बहुत दुर्बल किसम के रहे हमने नया साल यानी 2021 बड़ी ही सकारात्मक सोच के साथ आरंभ किया था लेकिन करो 9:00 इस पर चोट कर 2022 में भी हमें उम्मीद क्रोम को लेकर चेतावनी दे रहा है यह गंभीर कि दूर रहने की जिद होती है और कुछ कदम उठाकर हम इस खतरे को मौत दे करना केवल नए साल में सकारात्मक के साथ प्रवेश करेंगे बल्कि एक बेहतर भविष्य की आस में लग सकते हैं अलग अगला साल भर तक भारती के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इसके साथ ही भारतीय स्वतंत्रा कि सपा शताब्दी पूरी होने पर एक चौथाई समय विशेष रह जाएगा जो भी इसमें पूरा होगा इसके लिए आवश्यक होगा कि हर एक भारतीय वासी गहरी समझ आत्म विश्लेषण और कर्म निष्ठा का मंत्र अपना है वर्तमान में भारत की औसत आयु लगभग 29 वर्ष है यानी हम दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है लेकिन जब 2047 में भारत स्वतंत्र के सोवे पड़ाव पर पहुंचेगा तब ऐसी स्थिति नहीं रह जाएगी हमारी अनुमति आबादी 169 करोड होगी और प्रत्येक पाचवा भारतीय वरिष्ठ नागरिक की श्रेणी में होगा जिनकी संख्या करीब 34 करोड़ होगी जबकि स्वतंत्रता के समय भारत की आबादी 34 करोड़ थी यह परिदृश्य हमारे सक्षम कई चुनौतियां उत्पन्न करता है पहली सेवा अनुवर्ती लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति दूसरी एक बड़ी तादाद में रोजगार और ऑटोमेशन से संकट खड़ा हो जाएगा तीसरी हम जो बुनियादी ढांचा खड़ा कर रहे हैं उसके लिए हमारे पास भुगतान की क्षमता नहीं होगी बढ़ती जनसंख्या रोजगार और आमदनी में गिरावट और बढ़ती पूंजीगत व्यवस्थाओं के साथ यह सभी चुनौतियां में जलस्तर में फंसा देगी अब भारतीय 1927 डॉलर प्रति व्यक्ति जीडीपी के हिसाब से नियम और आय वर्ग वाले देशों के मध्य में है यदि हम 2047 तक विकसित देशों के प्रांत मैं शामिल होना है तो अधिक व्यक्ति जीडीपी की कदर करनी होगी अन्यथा हमने हमेशा के लिए विकासशील देश से ही बने रहेंगे इसके अलावा यदि हमारी वित्तीय स्थिति बिगड़ती है तो ऐसा हो सकता भी है कि मांस शक्तियां और विस्तार वादी मांस वाले देशों में व्यवसायिक रूप से दास बना ले सरकार मार्च 2022 तक 80 करोड लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराने की जा रही है इस हिसाब से देश में करीब 80 करोड लोग गरीब है अब हमारी जनसंख्या करीब 139 करोड़ है तो इस दृष्टि से 57 पॉइंट 55% आबादी करीब है ऐसे में हम सामाजिक राजनीतिक और आर्थिक रूप से ऊंची छलांग लगानी होगी ©Ek villain # भविष्य का भारत बनाने का संकल्प #HappyNewYear