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Sumit R Das
हमें जिस का इंतजार कल और आज है कोई मनाओ उसको वह हमसे नाराज है कर दिया ब्लाॅक और छोड़ दिया बात है मुझे लगने लगा यह हिज्र का आगाज है मुझसे लिखाया गया है 😣😣😣😣😣😣😣😣😣 #yqdidi #block #humlikhtehain #friendship
Neha Mittal
@thewriterVDS
दीदी वही दीदी जो कभी हर वक्त मुझसे पूछा करती थी कहा करती थी सुना करती थी सुनाया करती थी पढ़ाया करती थी समझाया करती थी लिखाया करती थी ... आज वो पता नहीं कैसे मेरे साथ 50000+ सदस्यों से हर वक्त पूछती हैं कहती हैं सुनती हैं सुनाती हैं पढ़ाती हैं समझाती हैं लिखवाती हैं पता नहीं कैसे Congrats Di #मेरीदीदी दीदी वही दीदी जो कभी हर वक्त मुझसे पूछा करती थी कहा करती थी सुना करती थी सुनाया करती थी
Shivani Singh
Vishal Ahalavat
Das Sumit Malhotra Sheetal
शीर्षक :- चौराहे पर। एक नेता जी चौराहे पर ज़बरदस्त भाषण ही दे रहे थे, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम में भाषण दे रहे थे। नेता जी के स्वयं चार लड़के व सात लड़कियाँ भी थी, सातों लड़कियों को स्वयं ने पढ़ाया लिखाया नहीं था। नेता जी की सोच समझ बिल्कुल ही रूढ़िवादी तो थी, अपनी बहुओं और बेटियों को पर्दें में रखने की चाह थी। लड़कियों के पढ़ाई लिखाई करने के पुरज़ोर विरोधी थे, जनता के सामने तो बहुत ही ज़्यादा अच्छा बोल रहे थे। कहते वोट पाने के लिए कुछ नेता कुछ भी कर सकते तो, पैसों के बल पर राजनीति करके ख़ूब वोट ये खरीदते तो। ©Das Sumit Malhotra Sheetal शीर्षक :- चौराहे पर। एक नेता जी चौराहे पर ज़बरदस्त भाषण ही दे रहे थे, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम में भाषण दे रहे थे। नेता जी के स्व
Divyanshu Pathak
कब कहाँ सब खो गयीं, जितनी भी थी परछाइयाँ। उठगयीं यारों की महफ़िल, हो गयीं तन्हाईयाँ। क्या किया शायद कोई, पर्दा गिराया आपने। दर्दे दिल दर्दे जिगर, दिल में जगाया आपने। पहले तो मैं शायर था, आशिक़ बनाया आपने। कई दिनों से सुबह सुबह उठते ही यह गीत जाने क्यों ज़ेहन में आता था। मैं गुनगुनाकर अपने कार्यों में लग जाता। आज जब ख़बर सुनी कि #ऋषिकपूर नही रहे
Shashi Aswal
कौन गलत??? (read in caption) क्या तुम उससे प्यार करती हो ? पापा ने मेरी आँखों में देखते हुए पूछा। हाँ, मैंने नजरें नीचे झुकाते हुए कहा। तो तुम ये भी जानती होगी कि मैं ल
Ekta Gour
मेरी माँ मेरी माँ माँ के लिए जितना लिखा जाये उतना कम हैं हर बच्चो की प्यारी दुलारी माँ कभी हिम्मत ना हारने वाली मुसीबतों का सामना करने वाली कभी न
Divyanshu Pathak
इश्क़ जब जब भी हुआ है तब फ़िकर परवाह कैसी होकर फ़ना हर हाल में आशिक़ मोहब्बत पे रहा ! पाई है मन्ज़िल किसी ने तो ज़हर सब हो गया आब इज्ज़त के भँवर में वो कहीं तो खो गया ! मां बाप की खुशी के लिये अपनी खुशी त्याग देनी चाहिए थी, पढ़ाया लिखाया पाला और आज बाप की इज्जत को मिट्टी में मिला दिया. सुनो गोबर दिमाग लोगों,