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Manish Raaj
समुन्दर सी प्यास ------------------ हम जब भी आगे निकले बेख़ौफ़, बेदाग़ निकले दूसरों को रौंद कर जो निकले वह क्या खाक़ निकले हम वह दरिया हैं जो समुन्दर सी प्यास बुझा कर निकले जिसकी ज़िंदगी को सूरज भी रौशन ना कर सका हम उसके आशियाने में दिया जला कर निकले मनीष राज ©Manish Raaj #समुन्दर सी प्यास
Arora PR
White जिंदगी में कभी धूप है कभी छाव है और जीवन में ज़ब तक दुख और सुख का अस्तित्व है तभी तक जीवन में जीने की प्यास भी कायम है ©Arora PR जीने की प्यास
Vikas sharma
White झूठ ..अब सच का रूप चाहता है देखो तो..नादान..क्या खूब चाहता है बातों में जिक्र नही.परवाह नही,फिक्र नही वो शक़्स खुद से.बस खुद से मिलना चाहता है पलके बन्द कर ली है अब उसने चाँद अब क्यूँ कर रूठना चाहता है जवाब... अब सवाल बन गये है तो क्या यहाँ किसको पड़ी है..जो फ़ैसला चाहता है कौन हो .क्या हो..ये अहम हो तो ज़रा देखना समुन्दर भी यहाँ प्यासा है.. जो कतरा चाहता है ये ठोकरें भी है ना.मरहम होती है कभी कभी कमबख्त ज़माना बिना गिरे..चलना चाहता है ख़यालों में बहुत दूर तलक निकल तो गये थे मन है कि वापस..अब घर लौटना चाहता है @विकास ©Vikas sharma #nightthoughts प्यास
Mohan Sardarshahari
White नदियां ही ठीक रही हैं हर दौर में मानव जीवन के लिए मर्यादाएं तय कर सकें तो बेहतर है प्यास से निपटने के लिए।। ©Mohan Sardarshahari प्यास
malay_28
लबों से छू लिया तुमने कोई जादू चला है यूँ समंदर कब से प्यासा था बुझा तुमने दिया है यूँ. ©malay_28 #प्यास समंदर की
Harvinder Ahuja
अपने घर पर भी दरवाजे लगवा लो, घर से निकले तो पूछे क्यों भटकते रहते हो, घर के अंदर जो नहीं मिली है खुशी, औरों के यहां क्योंकर मिल जाएगी, औरों के यहां प्यास बुझाने से बेहतर, अपने घर में ही कोई सागर बना डालो, ©Harvinder Ahuja #अधुरी प्यास
Parasram Arora
मुझे कभी कभी ऐसा लगता है कि जिसने आदमी क़ो पैदा करके. इस भूखंड पर उतारा है निश्चित ही उसीने हमारे लिए दुख गम भी हमारे साथ ही भेजे होंगे कई बार मै ये भी सोचता हुँ कि अगर मै जन्म लेने से पहले अपनी त्वचा माँ के गर्भ मे ही छोड़ देता तो शायद मुझे दुख और पीड़ा के विष बुझे बाण न झेलने पदते और न ही तन क़ो सुखी रखने क़ी मेरे अंदर प्यास उठ. पाती ©Parasram Arora प्यास