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aaj_ki_peshkash
Santosh Jangam
दूध नाथ वरुण
हे अम्बे मां जगदम्बे मां,भूल क्षमा मेरी आके तू कर दे। मैं तो चलूं बस सत्य के पथ पे, बस इतना मां आके तू वर दे।। ©दूध नाथ वरुण #हे #अम्बे #मां
दूध नाथ वरुण
हे दया की देवी दया करो,मै कबसे तुझे मनाऊं मां। मेरे दुखड़े तू सुनले मां, मै कबसे तुझे सुनाऊं मां।। ©दूध नाथ वरुण #हे #दया #की #देवी
दूध नाथ वरुण
हे मात भवानी जगदम्बे,मुझे आके मां अब दर्शन दे। मेरी विनती सुन ले मां अम्बे,मेरी झोली खाली मां भर दे।। ©दूध नाथ वरुण #हे#मात #भवानी#जगदम्बे
सुरेश सारस्वत
हे परमेश्वर...हे पूर्णेश्वर.. हे ज्ञानेश्वर... हे ध्यानेश्वर... हे भावेश्वर... हे दिव्येश्वर.. हे प्राणेश्वर शंभो शिवाय...2 ध्यान संग जब गूंजे राग बांध संग मन ऊंचे राग राग भैरवी में तू पुकार हे परमेश्वर शंभो शिवाय... गंग चेतना के संग जाग मन संगम बन भोर प्रयाग दिव्य कलरव अनहद गान हे पूर्णेश्वर शंभो शिवाय... तू ही अनंत की राह दिखाए तू ही सकल का सत्य बताए तू ही जगा मन शाश्वत ज्ञान हे ज्ञानेश्वर शंभो शिवाय... तू है मुझमें ये तो मैं जानूं किस बिध तुझको मैं पहचानूं मन चाहे बस तेरा ध्यान हे ध्यानेश्वर शंभो शिवाय... पल पल स्वयं से रीत रहा हूं हार हार मन जीत रहा हूं शून्य भाव से चिर संधान हे भावेश्वर शंभो शिवाय... शिष्य भाव से बन तू अर्जुन नित्य भाव में बोध निरंजन दिव्य साधना कर मन सर्जन हे दिव्येश्वर शंभो शिवाय... ©सुरेश सारस्वत #Sunrise हे प्राणेश्वर शंभो शिवाय
Shiv gopal awasthi
ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए, भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए। पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई, लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए। बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी, सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए। उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं, दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए। थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने। चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए। कवि-शिव गोपाल अवस्थी ©Shiv gopal awasthi कविता
ARTIST VIP MISHRA
श्रीमद्भागवत गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं कि, किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके शरीर से नहीं बल्कि उसकी आत्मा से करनी चाहिए. 🙏🙏इसे शाश्वत, अविनाशी और अपरिवर्तनीय बताया गया है। भगवान कृष्ण, दिव्य सारथी और शिक्षक, स्वयं की शाश्वत प्रकृति पर जोर देते हुए, अर्जुन को ज्ञान प्रदान करते हैं। वह स्पष्ट करते हैं कि आत्मा जन्म और मृत्यु से परे है, किसी भी भौतिक माध्यम से विनाश के अधीन नहीं है। श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार आत्मा परमात्मा का अंश है। इस श्लोक में देखिए भगवान् क्या कह रहे हैं। ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः । इस जीवलोक में यह सनातन जीवात्मा मेरा ही अंश है और वही प्रकृति में स्थित मन और पाँचों इन्द्रियोंको आकृष्ट करता है । 🙏🙏💐💐 ©ARTIST VIP. MISHRA हे नारायण 🙏🙏