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शान-ए-शब
और उसी आग में 🔥, चंद नेताओं की रोटियाँ पक रही थी....... ©शान-ए-शब दंगों की आग 🔥........
Anuj Ray
दंगों की आग में शहर जल रहा था , और नफरतों का ज्वालामुखी आग उगल रहा था। सियासत दान चिताओं पर आपनी रोटियां सेक रहे थे , और उन्माद का बिगुल बज रहा था। उन्हें इससे क्या मतलब , किसकी जान गई किसका हाथ पैर कटा , किस की दुनिया उजड़ गई। नन्हीं सी जान बलि चल गई आतताइयो की, आंखों के सामने किसी का घर तो किसी का भाग जल रहा था। ©Anuj Ray दंगों की आग में शहर जल रहा था
Ankit singh mau
Ashraf Fani【असर】
भूख मिटती नहीं,और प्यास बढ़ी जाती है दंगों की साजिशें कुछ ख़ास गढ़ी जाती है == Bhookh mitati nahi, aur pyas badhi jati hai Dango ki sajishen kuchh khas gadhi jati hai ©Asar【असर】 भूख मिटती नहीं,और प्यास बढ़ी जाती है दंगों की साजिशें कुछ ख़ास गढ़ी जाती है == Bhookh mitati nahi, aur pyas badhi jati hai Dango ki sajishen ku
Bolte Panne
A NEW DAWN
अभूतपूर्व मानसिकता नफ़रत लिखूं या लिखूं प्यार...? कल्पना लिखूं या मनुष्य व्यवहार...? जहां चिकित्सकों पर चल रहीं लाठियां और महामारी का आगमन बना है त्योहार।। जह
Rabiya Nizam
अभूतपूर्व मानसिकता नफ़रत लिखूं या लिखूं प्यार...? कल्पना लिखूं या मनुष्य व्यवहार...? जहां चिकित्सकों पर चल रहीं लाठियां और महामारी का आगमन बना है त्योहार।। जह
सुषमा तिवारी
कितने आजाद? इन कामयाबीयों के बीच में अभी कुछ पाना बाकी भी है कन्या को देवी मानने वाले देश में औरत को सम्मान दिलाना बाकी ही है जनसंख्या पर नियंत्रण, भ्रष्टाचार से छूट वहीं धर्म प्रांत और जात-पात का भेद मिटाना अभी बाकी ही है हां भूलना मत आजादी पाना आसान नहीं था आजादी पाना आसान नहीं है और आजादी पाना फिर आसान नहीं होगा मुश्किलों से मिली हुई आजादी इससे मुश्किल है उसे बचाए रखना आगे राह में आएंगी और कई मुश्किलें मगर हर किमत पर देश का ताज उसके सर पर सजाए रखना (full poem in caption) ©सुषमा तिवारी कितने आजाद? बड़ी बड़ी लंबी लड़ाईयों बड़ी-बड़ी कुर्बानियों के बाद देखा था पूर्वजों ने जिसका सपना वह आजादी मिल ही गई आजादी भला कहां होती है
Chintoo Choubey
आंखों में समंदर सा मंजर है, सीना भारी है, कंठ पर अंकुश है, और ना खड़े रहने की हालत है, आंख पे चश्मा भी अब भारी है दुख की गुंजाइश ही क्या? अब इससे बुरा और होगा क्या? दंगों के बाद की बात
vaishnavi Mala
नफरत की आग ने दिलो मे चिंगारी सुलगा दी इंसानियत को भूल कर हैवानियत को जगा दी दंगे फसात करवा रहे मानवता के दुश्मन दंगों की आग मे जल रहा शहर मोहब्बत का पता आज कोई ना जाने फोटो पे फोटो खिंचते हैँ सेल्फी के दीवाने एक हाथ भी ना आगे मदद के बढ़ाते बस फोटो अपलोड कर लाइक पे लाइक करते कमैंट्स कर अफ़सोस जताये और दंगों का मसाला news बनाये इतने बदर्द ना बनो ज़माना मानवता की ना बलि चढ़ाओ दंगों को होने से रोको मानवता का पाठ पढ़ाओ वैष्णवी माला 05/12/22 ©vaishnavi Mala दंगों मे जल रहा शहर