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Darlo the king 🦁🐯
हा काल हूं कंकाल हूं में प्यार का मायाजाल हूं हाथ में मेरे कुछ नहीं बस फस्ता चला जाएगा इसके जंजाल में दोस मुझे ना देना संभाल के रहना इस जंजाल से। नसा मेरा बहुत गहरा होगा बचके चाहे जितना निकालो फसोगे तुम भी इसमें सबका पहरा होगा दर्द का अहसास तुम्हे होगा जब प्यार तुहरा ओर गहरा होगा बचके कोई नहीं निकल पाया इस्पे सबका पहरा होगा फसोगे जरूर जब प्यार ओर गहरा होगा । ना कद्र करोगे संसार की ना क़िसी के प्यार की भूल जाओगे सबको बास इसका नसा होगा दिल ओर दिमाग पे बस यही बसा होगा । ....✍️ साधु बाबा प्यार का मायाजाल
GOPAL KRISHNA GARG
सजा-धजा, कुछ ऊंचा एक मचान बैठे उस पर महान -महान होता जिनका गुणगान मंच का मायाजाल आदर और सम्मानो का होता आदान- प्रदान होता जो दिखता नहीं दिखता जो होता नही मंच का मायाजाल। आतुर वक्ता, श्रोता अधीर सबकी अपनी अपनी पीर मैं तेरा गुणगान करूं कर तू मेरा सम्मान मंच का मायाजाल। श्रोता सोच रहा मंच पर आसन पाने का वक्ता खोज रहा ऊपर से ऊपर जाने का मंच का मायाजाल सत्य बैठा नेपथ्य में पड़ता चेहरों की भाषाएं कुछ चेहरे जो खिल उठे कुछ चेहरे मुरझाए मंच का मायाजाल। १६/०९/२०२२ गोपाल कृष्ण गर्ग ©GOPAL KRISHNA GARG #मंच का मायाजाल #cloud
Neema Bailwal
सफर तुझसे शुरू हुवा तो अंत बी तुझी पर होगा....मेरा गुरुर तूने तोड़ दिया जो तुझसे ही था,... अब maherbaani करे रब तुझ पर जो मैंने भोगा दर्द महोबत मे तेरी.... कबी वो तू बी तो भोगेगा.... ©Neema Bailwal दिल का मोहन
neema Bailwal
माना मंजिले एक नही हमारी पर राहों मे तेरे साथ चलना है,, मैंने बहुत कोशीश कर ली तुझे भूल जाने की तेरे ख्यालो से दूर हो जाने की पर दिल कहता है की वक़्त कैसा बी हो बस तुझी से प्यार करना है,,,, ©neema Bailwal दिल का मोहन
neema Bailwal
तू दूर नही है मुझसे मैंने तुझे अपने साथ महसूस किया है,, तू कहा नही है बसा मेरे मोहन मैंने रूह से जो तुझे स्पर्स किया है, ©neema Bailwal दिल का मोहन
neema Bailwal
तेरी और मेरी मोहबत मे बस इतना फर्क था मोहन,, तू साथ रहना चाहता था मेरे,, और मै साथ चलना चाहती थी तेरे,, , ©neema Bailwal दिल का मोहन
Arora PR
जिसे तुम मायाजाल कह रहे हो. वो नज़रो के फरेब से ज्यादा कुछ नहीं हैँ वरना एक जैसी दौ शक्ले देख कर.. कोई भी भृमित हो सकता हैँ ©Arora PR मायाजाल
sai mahapatra
अब ज़िन्दगी एक मायाजाल की जैसी लगती हैं.... हर बिता हुआ पल एक गुजरे हुए साल की जैसी लगती हैं... जबसे तुम मुझे अलबिदा कहके गए हो ज़िन्दगी वही पर कही रुक सी गयी है... बस जी रहा हूं एक ज़िंदा लास की तरहा मेरे मुंह से हँसी कही खो सी गई हैं....। आज ज़िन्दगी अजीब खेल खेल रहा है... एक माँ के सामने उसकी ही दोनों बेटे उसकी दौलत का बंटबारा करते है जब माँ को रख ने की बारी आती है सब एक दूसरे के मुंह को ताक ते रहते है जीस माँ केलिये उसकी दोनों बेटे उसके लिए थे उसकी कमज़ोरी.. आज बही माँ उन बेटो केलिए बन गईं है उनकी मजबूरी... ये ज़िन्दगी अजीब खेल खेल रही है कभी सुख तो कभी आँसुओ की बरसात कर रही हैं..। by sai mahapatra मायाजाल