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Khushi Kandu
White हमनें भी दिल लगाया है दिल्लगी की बात न पूछो हमनें ख़ुदा माना था उसको अब उसकी जात न पूछो ©Khushi Kandu #flowers #बहर #khushikandu #khushithought
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read moreParasram Arora
White शिशिर के शीतल थिठुराणे वाले दिन हैँ और तुम्हे धूप की जरूरत हैँ. शायद इसीलिए तुम वृक्ष को क़ाट रहे हो पर इस बात सेतुम अनभिज्ञ हो कि वृक्ष के काटने से सेकड़ो परिंदो के रेन बसेरो को नष्ट कर नें का तुम अपराध कर रहे हो ©Parasram Arora शिशिर के ठिठुराने i वाले दिन
शिशिर के ठिठुराने i वाले दिन
read moreRam
........r.a Shendukar ©Ram मन शांत करत असताना मनामध्ये विचार आला जाऊन बघाव कधितरी साहीत्याच्या सागरात, तस मला कधी लिहावस सुध्दा वाटत पण भिती वाटते लिहिलेल सांगायला. सा
मन शांत करत असताना मनामध्ये विचार आला जाऊन बघाव कधितरी साहीत्याच्या सागरात, तस मला कधी लिहावस सुध्दा वाटत पण भिती वाटते लिहिलेल सांगायला. सा
read moreविवेक ठाकुर 'शाद'
New Year 2025 221 2121 1221 212 मेहनत करूँगा ख़ून पसीना बहाऊँगा मैं एक रोज़ नाम जहाँ में कमाऊँगा उम्मीद और हौसलों के दम पे ज़ीस्त में आसान मुश्किलों को मैं करके दिखाऊँगा होगी ज़रा सी देर मुझे जानता हूँ पर मंज़िल पे एक रोज़ पहुँच मैं भी जाऊँगा मुझको समझ रहे हैं जो हारा हुआ यहाँ वादा रहा मैं जीत के उनको दिखाऊँगा माज़ी की हर ख़ता से मैं लेकर कड़ा सबक़ मैं जिंदगी का कारवाँ आगे बढ़ाऊँगा जीते जी ऐसा काम करूँगा हयात में मर कर भी मैं सभी को सदा याद आऊँगा ©विवेक ठाकुर 'शाद' 👉 ग़ज़ल - याद आऊँगा... 👉 काफ़िया - आऊँगा 👉 रदीफ़ - ग़ैर-मुरद्दफ़ ग़ज़ल 👉बह्र - बहर-ए-मुज़ारे मुसम्मन अख़रब मकफ़ूफ़ महज़ूफ़ 👉 वज़्न - 221 2121 1221 21
👉 ग़ज़ल - याद आऊँगा... 👉 काफ़िया - आऊँगा 👉 रदीफ़ - ग़ैर-मुरद्दफ़ ग़ज़ल 👉बह्र - बहर-ए-मुज़ारे मुसम्मन अख़रब मकफ़ूफ़ महज़ूफ़ 👉 वज़्न - 221 2121 1221 21
read moreroyal_shetkari
Unsplash तुला बुडणे कुठे नवीन आहे, संकटाना तुडविणे कुठे नवीन आहे कधी नशिबी कोरडा 🌾 कधी ओला दुष्काळ आहे तुझ्या अश्रूंना कुठे ओलावा नवीन आहे 🌱🌿 ©royal_shetkari #snow तुला बुडणे कुठे नवीन आहे, संकटाना तुडविणे कुठे नवीन आहे कधी नशिबी कोरडा 🌾 कधी ओला दुष्काळ आहे तुझ्या अश्रूंना कुठे ओलावा नवीन आहे 🌱#नश
#snow तुला बुडणे कुठे नवीन आहे, संकटाना तुडविणे कुठे नवीन आहे कधी नशिबी कोरडा 🌾 कधी ओला दुष्काळ आहे तुझ्या अश्रूंना कुठे ओलावा नवीन आहे 🌱नश
read moreविवेक ठाकुर 'शाद'
👉 ग़ज़ल - कोई अपना नहीं... 👉 काफ़िया - आ 👉 रदीफ़ - नहीं होता 👉 बह्र - बहर-ए-हज़ज मुसम्मन सालिम 👉 वज़्न - 1222 1222 1222 1222 👉 अरकान - मुफ़ाईलुन मु
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