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~Bhavi
White वो मसरूफ़ हैं अपनी नयी दुनिया बसाने में, तुम्हारे रोने, चिल्लाने या चीखने की आवाजें उन तक अब नहीं जायेगी..!! ©~Bhavi वो मसरूफ़ हैं अपनी नयी दुनिया बसाने में, तुम्हारे रोने, चिल्लाने या चीखने की आवाजें उन तक अब नहीं जायेगी..!! #nightthoughts Poetess Yogita T
Ramji Mishra
꧁ARSHU꧂ارشد
मैं रोज़ पिलाता हूं , उसे ज़हर का प्याला , एक दर्द जो अंदर है , वो मरता ही नहीं है ... ©꧁ARSHU꧂ارشد मैं रोज़ पिलाता हूं, उसे ज़हर का प्याला एक दर्द जो अंदर है, वो मरता ही नहीं है!! FAKIR SAAB(ek fakir) sana naaz Yogita Agarwal MमtA Maया Ma
Jashvant
White अब शहर में अक़दार-कुशी एक हुनर है फ़न जुर्म है मेआ'र-कुशी एक हुनर है दुश्मन से तो क्या हक़-ए-अदावत का गिला जब यारों के लिए यार-कुशी एक हुनर है क्या क्या है नदामत उन्हें अब अपनी रविश पर कहते थे जो किरदार-कुशी एक हुनर है जिस दौर में हो लफ़्ज़ की हुरमत की तिजारत उस दौर में अफ़्कार-कुशी एक हुनर है ख़ातिर से जो करना पड़ी कज-फ़हम की ताईद लगता था कि इंकार-कुशी एक हुनर है हैरत है कि वो फ़न के परस्तार हैं 'अंजुम' जिन के लिए फ़नकार-कुशी एक हुनर है ©Jashvant फनकार कुशी एक हुनर है Yogita Agarwal Andy Mann vineetapanchal Ek Alfaaz Shayri Vandana Kumari
Vaibhav's Poetry
White कुछ इस कदर बदला हैं ये वक्त मेरा की न इश्क़ रहा किसी से न नाराज़गी रही...।। ©Vaibhav's Poetry #GoodMorning uvsays Sanjana Sircastic Saurabh Lalit Saxena Niaz (Harf) Ashutosh Mishra sana naaz निम्मी की कलम से Mukesh Poonia Anupriya
Jashvant
White मिरे रब की मुझ पर इनायत हुई कहूँ भी तो कैसे इबादत हुई हक़ीक़त हुई जैसे मुझ पर अयाँ क़लम बन गया है ख़ुदा की ज़बाँ मुख़ातिब है बंदे से परवरदिगार तू हुस्न-ए-चमन तू ही रंग-ए-बहार तू मेराज-ए-फ़न तू ही फ़न का सिंघार मुसव्विर हूँ मैं तू मिरा शाहकार ये सुब्हें ये शामें ये दिन और रात ये रंगीन दिलकश हसीं काएनात कि हूर-ओ-मलाइक वो जिन्नात में किया है तुझे अशरफ़-उल-मख़्लुक़ात मिरी अज़्मतों का हवाला है तू, तू ही रौशनी है उजाला है तू , फ़रिश्तों से सज्दा भी करवा दिया, कि तेरे लिए मैं ने क्या न किया ये दुनिया जहाँ बज़्म-आराईयाँ, ये महफ़िल ये मेले ये तन्हाइयाँ फ़लक का तुझे शामियाना दिया, ज़मीं पर तुझे आब-ओ-दाना दिया मिले आबशारों से भी हौसले, पहाड़ों में तुझ को दिए रास्ते ये पानी हवा और ये शम्स-ओ-क़मर, ये मौज-ए-रवाँ ये किनारा भँवर ये शाख़ों पे ग़ुंचे चटख़्ते हुए, फ़लक पे सितारे चमकते हुए ये सब्ज़े ये फूलों-भरी क्यारियाँ, ये पंछी ये उड़ती हुई तितलियाँ ये शो'ला ये शबनम ये मिट्टी ये संग, ये झरनों के बजते हुए जल-तरंग ये झीलों में हँसते हुए से कँवल, ये धरती पे मौसम की लिक्खी ग़ज़ल ये सर्दी ये गर्मी ये बारिश ये धूप, ये चेहरा ये क़द और ये रंग-रूप दरिंदों चरिन्दों पे क़ाबू दिया, तुझे भाई दे कर के बाज़ू दिया बहन दी तुझे और शरीक-ए-सफ़र, ये रिश्ते ये नाते घराना ये घर कि औलाद भी दी दिए वालदैन, अलिफ़ लाम मीम काफ़ और ऐन ग़ैन ये अक़्ल-ओ-ज़हानत शुऊ'र-ओ-नज़र, ये बस्ती ये सहरा ये ख़ुश्की ये तर और इस पर किताब-ए-हिदायत भी दी, नबी भी उतारे शरीअ'त भी दी ग़रज़ कि सभी कुछ है तेरे लिए, बता क्या किया तू ने मेरे लिए ©Jashvant इबादत मेरे रब की ADV.काव्या मझधार Chanda Yogita Agarwal Diksha Singh Neema
Vaibhav's Poetry
White उसकी गली में मुझको जाना नहीं , हाल कैसा है ये भी बताना नहीं बड़ी हसरत हैं आलम उस दिन की वो कहे मैं हूं और मैं कहूं..... जी ?? पहचाना नहीं ©Vaibhav's Poetry #SAD Gyanendra Kukku Pandey Sanjana Ashutosh Mishra Sircastic Saurabh Sethi Ji Anupriya Satyajeet Roy Dil E Nadan sana naaz uvsays Anshu
Manu Govind Batra
Vaibhav's Poetry
एक तरफ़ा मोहब्बत भी बड़ी अजीब होती है चाहत उसकी करते है हम जो नसीब में नही होती है ©Vaibhav's Poetry #achievement Sana naaz. Sircastic Saurabh Satyajeet Roy Mukesh Poonia Kirti Pandey निम्मी की कलम से Anupriya uvsays Gyanendra Kumar Pandey