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जयश्री_RAM
कल शाम को छोटी सी मरम्मत के दौरान कई कीलें हथौड़ी की मार से टेड़ी हो गयीं.बामुश्किल तीन कीलों का ही उपयोग हुआ। टेढ़ी कीलों का क्या किया जाये फैका जाये या सीधा कर के रखा जाये? कुछ देर सोचने के उन सभी को सीधा करने का प्रयास शुरू हुआ। बार बार कील छिटक जा रहीं थी। कसकर पकड़ने से अंगूठे और पड़ोसन उँगली में निशान तक पड़ गये... ठोकने से कील पर गरमाहट भी बढ़ती जा रही थी... अचानक कील का उंगलियों से छिटक कर दूर उछल जाना... परन्तु तब तक हथौड़ी ने अंगूठे को नाखून की साईड पर चोट पहुँचा ही दी... ये पीड़ा अनायास और तीव्रतम थी जिससे एक अध्याय जुड़ गया कि टेढ़ी कील जैसे लोगों को ठोक पीट कर सही करने की जरूरत नहीं है...उनके हाल पर छोड़ना सही ही है अन्यथा स्वयं के मनोभाव और अन्तर्मन ही चोटिल होते हैं.... वैसे भी कीलों के ढेर से सभी सीधी वाली कीलें ही उठाते हैं और टेढ़ी कीलों को उस पल काम के समय नजरअंदाज कर दिया जाता है। राम उनिज मौर्य ©RAAM UNIJ MAURYA #कील
Manish Kumar
बरसों से रुकी उस तस्वीर की तारीफ क्या करूं, जो बंद कमरे में किसी के सहारे रुकी है, सच तो ये है, हुनर उस तस्वीर में नहीं उस किल में है, जो बरसों से तस्वीर की बोझ लेकर रूकी है, कील,
Surya Kant singh
बीते 20 साल से चीन से पांच महामारी आयी है। इसे किसी न किसी बिंदु पर तो रोकना ही होगा । आइंदा हमें मजबूरन ठोकना ही होगा.... #हमें ठोकना ही होगा
Manmohan Dheer
कील सी चुभने लगी थी और भी जियादा उतारी थी तस्वीर ए यार हमने कील से दीवारों के भी सवाल सर पे सवार हैं उनको भी प्यार था तस्वीर ओ कील से . धीर कील से
जयश्री_RAM
क्या लिखूँ कल शाम को छोटी सी मरम्मत के दौरान कई कीलें हथौड़ी की मार से टेड़ी हो गयीं.बामुश्किल तीन कीलों का ही उपयोग हुआ। टेढ़ी कीलों का क्या किया जाये फैका जाये या सीधा कर के रखा जाये? कुछ देर सोचने के उन सभी को सीधा करने का प्रयास शुरू हुआ। बार बार कील छिटक जा रहीं थी। कसकर पकड़ने से अंगूठे और पड़ोसन उँगली में निशान तक पड़ गये... ठोकने से कील पर गरमाहट भी बढ़ती जा रही थी... अचानक कील का उंगलियों से छिटक कर दूर उछल जाना... परन्तु तब तक हथौड़ी ने अंगूठे को नाखून की साईड पर चोट पहुँचा ही दी... ये पीड़ा अनायास और तीव्रतम थी जिससे एक अध्याय जुड़ गया कि टेढ़ी कील जैसे लोगों को ठोक पीट कर सही करने की जरूरत नहीं है...उनके हाल पर छोड़ना सही ही है अन्यथा स्वयं के मनोभाव और अन्तर्मन ही चोटिल होते हैं.... वैसे भी कीलों के ढेर से सभी सीधी वाली कीलें ही उठाते हैं और टेढ़ी कीलों को उस पल काम के समय नजरअंदाज कर दिया जाता है। राम उनिज मौर्य ©RAAM UNIJ MAURYA #कील जैसे लोग
Kamal bhansali
शीर्षक: अंतिम कील मकसदों के शहर में, अब अकेला ही रहता हूँ मरे हुए सपनों के ताबूत पर, अंतिम कील ठोकता हूँ।। काम जरा समझदारी का है, धीमे से ही करता हूँ ये नहीं कहूँगा, मरे हुए के दर्द को नहीं समझता हूँ ।। शहर की रोशनियों की जवानी, बड़ी अजीब है हर चलने वाला ऊपर से अमीर, भीतर से गरीब है।। चाही मंजिले न मिली, पर नजर में हर रोज रही हाँ, अफसोस के कारवाँ में, वो सदा आगे ही रही।। शहर आज भी, सुँदर हसरतों के जाल में फँसा है जवान मंजिलों के गले मे, किसी ने तो फंदा कसा है।। रुतबा रोशनी का शहर में, आज भी कामयाब है फर्क नहीं यहाँ, कौन खुशनसीब, कौन बदनसीब है।। ✍️ कमल भंसाली ©Kamal bhansali अंतिम कील #MereKhayaal
shilpee
कितनी ही कोशिश कर रखी हो_उस कील ने तस्वीर को थामने की कमजोर धागा उसे नीचे बिखेर ही देता है। ©shilpee कील और तस्वीर 😒 #zindagikerang