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Arora PR
White इस नए जंग में उतर कर अपनी बहादुरी क़ो आज़माने का मैंने मन बना लिया हैँ लेकिन अफ़सोस हुआ देख कर कि तलवार मेरी ज़ग खा चुकी हैँ और जीरह बख्तर का भी कुछ पता नही लग रहा ©Arora PR ज़ग में उतरने का मन बना लिया हैँ
दिनेश
एक ख़ामोशी सी है जीवन में, एक तूफान चल रहा है मन में। सारे अपने पराये हो गये क्योंकर ? बस यही सवाल गूंज रहा है जेहन में। मैं टूटता जा रहा हालातों से, दम घुट रहा मेरा इन झूठे जज्बातों से। "मेरे बुरे वक़्त में ये साथ देंगें" ताउम्र जीता रहा रहा मैं इसी भरम में। एक ख़ामोशी सी है जीवन में, एक तूफान चल रहा है मन में। ©दिनेश #dawnn मन का तूफान
Mukesh Poonia
White सभी प्रलोभन त्याग के, रख मन का ईमान। अच्छे से अच्छा चुनें, मन से कर मतदान।। . ©Mukesh Poonia #election_2024 सभी #प्रलोभन #त्याग के,रख #मन का #ईमान। #अच्छे से #अच्छा चुनें, मन से कर #मतदान।।
Shashi Bhushan Mishra
White यह इलाज है इस मन का, ध्यान करो तुम जीवन का, सुंदर भुवन मिला सबको, ख़्याल रखो मानव तन का, ऋषि-मुनियों की धरा यही, आभारी हूँ कण-कण का, सागर सरिता पर्वत सब, यह निवास गोवर्धन का, शिक्षा-दीक्षा संस्कार सब, संसाधन ज्ञान संवर्द्धन का, मानवता की सेवा करना, सर्वोत्तम सुख निर्धन का, अवसर का कर सदुपयोग, है मंत्र यही अब गुंजन का, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #यह इलाज है इस मन का#
Shashi Bhushan Mishra
Meri Mati Mera Desh अपना दिन है अपनी रातें, लोग करेंगे ख़ुद की बातें, मिला उसे अपनाया हमने, छोड़ गए जो ख़ुद पछताते, कोई समय से बड़ा नहीं है, क्या लाए जो लेकर जाते, प्रेम और व्यवहार बनाकर, रखे जो सबसे सबको भाते, बैठ गए जो भाग्य भरोसे, कभी न पार नदी कर पाते, इंतज़ार कबतक करते हम, वक़्त के साथ नहीं चल पाते, शामिल ख़ुशियों को ना करते, 'गुंजन' मन ही मन अकुलाते, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #मन ही मन अकुलाते#
MDS Yadav
Amit Singhal "Aseemit"
मेरे मन का सावन वही जो मेरे मन को भिगोए, केवल मेरे शरीर को भिगो कर ही न चला जाए। मेरे होंठों पर मुस्कान लाए, आँख ज़रा सी रोए, कुदरत में है ताक़त, जो ऐसा सावन भला लाए। ©Amit Singhal "Aseemit" #मेरे #मन #का #सावन
Vickram
उन दोनों का साथ ही बेहद जरूरी था एक खुद चेतना थी दूसरी उपचेतना चेतना कुछ और कहती थी हमेशा ही उपचेतना उसे हमेशा ही नकारती रही असांत मन इनके बीच खो के रह गया हम औरों से नहीं बल्कि खुद से हारते हैं बहार तो सिर्फ एक खेल चल रहा था काबू मन पे रखना था औरों पर नहीं हम हालातों को काबू में करने लगे थे हम तो शायद बहुत पहले हार चुके थे चेतना और उपचेतना यही इंसान के दो चेहरे का निर्माण करती है ©Vickram #lightpole संतुलन,,,मन का बेहद जरूरी है,,,