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- Arun Aarya
रक़ीबों से हाथ मिलाकर ख़्याल रक़ीबों जैसा हो गया ! अमीर थे हम बहोत पहले अब हाल ग़रीबो जैसा हो गया..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya #dryleaf #ग़रीबो जैसा हाल
हिमांशु Kulshreshtha
घने कोहरे में भी दिखाई देता है मुझे अक्स तेरा तेरी यादों ने इस क़दर भिगोया है मुझे ©हिमांशु Kulshreshtha अक्स तेरा...
अक्स तेरा...
read moreआधुनिक कवयित्री
White दिल से कोई रिश्ता नहीं तुमसे, पर मेरी हर कविता का किस्सा हो। निभा न पाऊं इस जन्म में मैं, ऐसा ही तुम एक रिश्ता हो। हर बार जिंदगी में आ जाते हो, जैसे कोई जिंदगी का हिस्सा हो। मेरे हर गम में साथ खड़े हो जाते, जैसे कोई फरिश्ता हो। मेरे जीवन का संगीत नहीं हो तुम, पर हर संगीत जैसे तुझ पर लिखा हो। धड़कने भी थम सी जाती हैं देखकर तुम्हें, मानो हर सुकुन तुमसे मिलता हो। कलियां भी छिप गई तेरे जानें से, मानो हर फूल तेरे आने से ही खिलता हो। समझ जाते हर खामोशी, मानो मेरी हर सांस का तुम्हें पता हो। ©आधुनिक कवयित्री तेरा किस्सा......
तेरा किस्सा......
read moreNilam Agarwalla
Unsplash मन तो पापी मतवाला है, नहीं किसी की सुनता है। क्षणभर के सुख की खातिर जो,गलत राह पर चलता है। समझाए से नहीं समझता, पछताता फिर जीवन भर आंसू बहते रहते दृग से, पल-पल आहें भरता है।। स्वरचित -निलम अग्रवाला, खड़गपुर ©Nilam Agarwalla #“मन”
#“मन”
read moreParasram Arora
Unsplash जन्नत से भी ज्यादा अज़ीज़ है मुझे अपने पुश्तैनी घर का ये आँगन क्योंकि इसी आँगन मे अच्छे से उम्र अपनी गुज़ार दीं है मैंने वो भी बिना किसी शिकवे शिiकायत के ©Parasram Arora जन्नत जैसा aangn😍
जन्नत जैसा aangn😍
read moreAvinash Jha
White मन है, चाहता है आसमानों को छूना, सितारों की राहों में खुद को ढूँढ़ना। जंगलों की खामोशी में छिपा, एक गीत सुनना, या नदी की लहरों संग बह जाना। मन है, जो सपनों की कश्ती में बैठ, दूर कहीं चला जाता है। कभी बूँदों की चुप्पी समझता है, कभी आँधियों से सवाल करता है। मन है, जो छोटे-छोटे सुखों में खुशियों का संसार बुनता है। कभी अकेलेपन में साथी बनता, तो कभी भीड़ में खुद को खोता है। मन है, जो बंद दरवाज़ों को खोलता है, आस की किरणें समेटता है। हर धड़कन में एक कहानी रचता, हर ख्वाब में जीवन रचता। मन, न थमता है, न रुकता है। यह तो बस उड़ान भरता है, आसमानों से परे अपनी ही दुनिया बसाता है। ©Avinash Jha #मन
Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
White मेरे मन की किताब में तुम ही तुम मगर "तुम" तो नही..! पन्ने-पन्ने जिक्र है तुम्हारे रूप रंग स्वभाव का.. भाव का.. जिसके हो सार तुम भार तुम मगर "तुम" तो नही..! ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #मन