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koko_ki_shayri
यादें भी अज़ीब हैं, गुजरते समय तुझे! याद आते समय मुझे तकलीफ़ बहुत देतीं हैं!! ©koko_ki_shayri #yaad आते समय मुझे...😊😊
R.S. Meena
Mishap I asked someone's mishap how it happened, He told me all but tried to know the name, Who let me know about incident & shared, When he was riding on his own bike same. He began to return his home from workplace, He started to think over his various site place. Would it be done on time or it'll have to wait, He'd already settled all terms as well as rate. It was dark night and some clouds in the sky, Stars were beckoning to reach home being fly. Peace in mind, he was proceeding on normal pace, All of sudden, emerged heap of sand lying to his face. He couldn't stand straight on bike & tumbled, By grace of Nature & God he's completely safe. #rsmalwar मेरे मिलने वाले के साथ बाईक से घर आते समय करीब साढ़े नौ बजे रात में दुर्घटनाग्रस्त हो गए, उन्हें मामुली चोट लग गई, तो मैंने उनसे
Dr Upama Singh
घर अनुशीर्षक में👇👇 घर है स्वर्ग से भी सुंदर प्रेम से रहते इसके अंदर ये एक प्रेम संस्कार का मंदिर जिसमें बसते हमारे भगवन आपस में हर रिश्ते को जोड़े रखता अपने कंधो पर बोझ है ढोता शांति सुकून हम सब को देता लेकि
संगीत कुमार
(बच्चपन ) बच्चपन में क्या खूब खेला करता था। बच्चपन कैसे बित गया।। लौट अब कभी न आयेगा। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था।। मस्ती से खुशियों मे झूला था। दोस्त संग खूब साथ बिताया था।। मिल-जुल खुशिया सजाया था। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था। हर दिन उल्लांहना आया करता था। माँ से हर दिन डाँट सुना करता था ।। स्कूल के दिनों , क्या मस्ती था। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था।। स्कूल से आते समय ईख तोड़ा करता था। किसान से खूब डाँट सुना करता था।। घर रोज उल्लांहना आया करता था। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था।। बच्चपन में खूब शरारत करता था। दोस्तों से खूब झगड़ता था।। पापा से पिटाई खूब खाता था। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था।। स्कूल में पीछे बैठा करता था। ध्यान से पढाई न करता था।। टीचर बुलाते थे, खुब पिटाई करते थे। बच्चपन में क्या खुब खेला करता था।। (संगीत कुमार /जबलपुर) ✒️स्व-रचित कविता 🙏🙏 (बच्चपन ) बच्चपन में क्या खूब खेला करता था। बच्चपन कैसे बित गया।। लौट अब कभी न आयेगा। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था।। मस्ती से खुशि
संगीत कुमार
(बच्चपन ) बच्चपन में क्या खूब खेला करता था। बच्चपन कैसे बित गया।। लौट अब कभी न आयेगा। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था।। मस्ती से खुशियों मे झूला करता था। दोस्त संग खूब साथ बिताया था।। मिल-जुल खुशिया सजाया था। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था। हर दिन उल्लांहना आया करता था। माँ से हर दिन डाँट सुना करता था ।। स्कूल के दिनों , क्या मस्ती था। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था।। स्कूल से आते समय ईख तोड़ा करता था। किसान से खूब डाँट सुना करता था।। घर रोज उल्लांहना आया करता था। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था।। बच्चपन में खूब शरारत करता था। दोस्तों से खूब झगड़ता था।। पापा से पिटाई खूब खाता था। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था।। स्कूल में पीछे बैठा करता था। ध्यान से पढाई न करता था।। टीचर बुलाते थे, खुब पिटाई करते थे। बच्चपन में क्या खुब खेला करता था।। (संगीत कुमार /जबलपुर) ✒️स्व-रचित कविता 🙏🙏 (बच्चपन ) बच्चपन में क्या खूब खेला करता था। बच्चपन कैसे बित गया।। लौट अब कभी न आयेगा। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था।। मस्ती से खुशि
Ravendra
Pankaj Singh Chawla
मेरे दातेया तेरी रहमत दी कि करा वड़ियाई, तू आज फिर मेरी जान बचाई, इसे विच मेरी सी भलाई, समझ न पाया उस वेले जदो विपदा सी बन आई, कित्ता ना काम मत्त मेरी ने, मैं तेनु वी सुनाई, रब्बा की गलती सी मेरी, जो इह विपदा मेरे नाल बन आई, तू ता रख हाथ अपने दास दे सर ते रहमत सी वरसाई, पर उस वेले तेरे दास दे समझ न आई, बैठ आराम कित्ता जदो उसने, दिमाग दी नस फड़फड़ाई, हो सकदी सी वड़ी घटना मेरे दाते मेहेर वरसाई, मेरे दातेया तेरी रहमत दी कि करा वड़ियाई, तू आज फिर मेरी जान बचाई।। आज फिर मेरे सतगुरु ने मेरी लाज रख ली, सुबह से रात तक का दिन बहुत कठिन रहा, सुबह सुबह चोट लगने से बचा, काम पर जाने के बाद एक वर्दी वाले ग्राह
Mayank Sharma
Meeting the legend (refer caption) जब आप किसी भव्य व्यक्तित्व के मालिक से मिलते हैं, जो अपने काम के महारथी हों, शानदार हों, बेहद विनम्र हों, तब आप ख़ुद भी बेहद विनम्र, बेहद सो
#CTK -Funny 0r Die
पतियों के प्रकार In Caption ऐसे होते हैं, पति ... आशिक़ : खुले बालो में कितनी अच्छी दिखती हो ,जान ही निकलने लगती है मेरी ! उदार : तुम्हे जो साड़ी चाहिए ले लो , नो प्र
Sudha Tripathi
मुझे नहीं पता मुझे अंधेरे से इतना डर क्यों लगता है शहर में नाइट कर्फ्यू था 3:00 बजे रात को स्टेशन छोड़ने जाना था कोई और वैकल्पिक व्यवस्था नहीं थी ट्रेन दूसरे दूरवाले नए स्टेशन पे आने वाली थी पहली बार वो स्टेशन जाना हुआ बड़ी हिम्मत करके तैयार तो हो गई लेकिन आते समय अपने याददाश्त शक्ति के क्षमता अनुसार रास्ता भूल गई एक तो इतने सारे निर्माणाधीन फ्लाईओवर की वजह से सारे रास्ते को ब्लॉक किया हुआ था सब कुछ बंद होने की वजह से मुझे समझ नहीं आ रहा था किस एरिया में हूँ केवल कुत्ते की भौंकने की डरावनी आवाज हर ओर से आ रही थी मोबाइल में नेट नहीं पेट्रोल देखा तो वह भी रिजर्व..... नाइट कर्फ्यू की वजह से एक इंसान कहीं नहीं अब पूँछू भी तो किससे परिस्थितियां कुछ ऐसी थी आगे जाँऊ या पीछे जाँऊ कुछ समझ नहीं आ रहा था मैं रुक कर हर पोस्टर पर एरिया का नाम ढूंढने का प्रयास करने लगी तभी पीछे से आवाज आई क्या मैं आपकी कुछ मदद कर सकता हूं मेरी स्थिति क्या थी वो मैं बता नहीं सकती बहुत हिम्मत करके पीछे देखा पूरी तरह से कवर केवल आँखे दिख रही थी दोनों स्थितियां चल रही थी एक ओर आशा की किरण तो दूसरी ओर........ मैंने कहा भाई साहब रेस कोर्स अभी कितनी दूर है यहां से उन्होंने कहा बेन बहुत आगे आ गए हो आप उन्होंने मुझे समझाया मुझे नहीं पता नाईट कर्फ्यू में वो कहां से आये मैं इतनी अधिक डरी हुई थी कि जल्दी जल्दी मैंने उन्हें धन्यवाद दिया और उनके बताए गए रास्ते से जब रेसकोर्स के आसपास आई तो मेरी जान में जान आई घर पहुंच कर आधे घंटे लगे होंगे मेरी धड़कनों को सामान्य होने में और उस दिन समझ में आया अंधेरा क्या होता है? सन्नाटा क्या होता हैं?कुत्तों का भौंकना कितना भयानक होता है? अनजान रास्ते पर अकेले इंसान का मिलना क्या होता है? रास्ता भूल जाना क्या होता है? और भी बहुत सारी बातें.... ©Sudha Tripathi मुझे नहीं पता मुझे अंधेरे से इतना डर क्यों लगता है शहर में नाइट कर्फ्यू था 3:00 बजे रात को स्टेशन छोड़ने जाना था कोई और वैकल्पिक व्यवस्था नह