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ARTIST VIP MISHRA
ek mulakat dcp. zones 3 Mumbai police station udaghan me ©VIP. SMART नायगाव पूर्व में नए पुलिस स्टेशन का हुआ उद्धाटन। ek mulakat Mumbai police 🚔 station udaghatan dcp.zone. 3
Raushni Tripathi
बड़े शहरों में रह कर भी बराबर याद करता था, मैं इक छोटे से स्टेशन का मंज़र याद करता था। न जाने कौन सी मजबूरियां परदेस लाई थीं, वो जितनी देर भी ज़िंदा रहा घर याद करता था। @MunawwarRana बड़े शहरों में रह कर भी बराबर याद करता था, मैं इक छोटे से स्टेशन का मंज़र याद करता था। न जाने कौन सी मजबूरियां परदेस लाई थीं, वो जितनी देर भ
IshhQ
एक खाब देखा ऐसा। (कैप्शन में पढ़ें) आज सुबह हमने क्या वो नायाब सा खाब देखा। तुम्हारे हुस्न का वो नूर वो रौशन आफ़ताब देखा। बातें हो रही थी और हमने कहा चलो कहीं घूम आते हैं, तुमने
Ishaan Haque
एक खाब देखा ऐसा। (कैप्शन में पढ़ें) आज सुबह हमने क्या वो नायाब सा खाब देखा। तुम्हारे हुस्न का वो नूर वो रौशन आफ़ताब देखा। बातें हो रही थी और हमने कहा चलो कहीं घूम आते हैं, तुमने
Somya Baranwal
"जिन्दगी के रास्ते/डगर" एक छोटा सा शब्द है तू फिर भी हज़ारो है तेरे नाम जिन्दगी।। क्यों करती हो इस कदर हर पल हैरान जिन्दगी।। ख्वाब होते है तेरे पतंग जैसे और डोर
Divyanshu Pathak
....... TOPIC-MYSTERY DRAMA STORY शीर्षक- जीवन के अनूठे स्वांग *नाटक में रोमांच और रहस्य से भरपूर *दादी का हर जगह नाटक करना कहानी में और भी रोमांच
Varsha Sharma
"मेट्रो स्टेशन" (अनुशीर्षक में पढ़ें👇) यूं तो मैंने इससे पहले दो बार मेट्रो से सफर किया था, लेकिन इस बीते सोमवार ये पहली बार था की मैं अकेली कहीं सफर पर निकली... थोड़ी डरती हुई औ
Saurabh Dubey
मैं हूँ एक बूढ़ा स्टेशन जिसका नाम है पिरथीगंज, मेरे हालत को देखकर लोग भी अब कसने लगे हैं तंज। फिर आऊंगा,फिर मिलूंगा ये वादा कितनों ने किया था मग़र न कोई आया,न कोई मिला बस इसी बात का है रंज।। अपनी पटरियों से देखा है मैंने बचपन को यहाँ गुजरते, पीहर जाने को बैठी बेटियों को देखा है यहाँ चुपके से संवरते। मैंने भी सोचा था कभी मेरा भी श्रृंगार बदलेगा मग़र हर रोज देखता हूं मैं अपने सपनों को यहाँ बिखरते।। देखता हूँ नीरवता को भंग करती हुई न जाने कितनी ही रेल, कभी मालगाड़ी,कभी पैसेंजर और कभी पंजाब मेल। नीम,पीपल,सफेदा के पेड़ों पर हर दिन ही देखता हूँ मैं यहां नन्ही चिड़ियों का खेल।। रहा हूँ हमेशा से ही मैं अपनों से रीता, गाय, बकरियों के बीच ही मेरा हर दिन है बीता। कभी तो मेरी पूछ-परख करता हुआ कोई आएगा बस इसी आस में अब भी हूँ मैं जीता। -सौरभ दुबे ©Saurabh Dubey मेरे गाँव का स्टेशन