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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी जीवन को ही मौत के गले लगा ले अन्याय के डर से तोड़ दे आदमी को न्याय के दरबार से लिखी जाये पटकथा सौदे के लिये और फैलाया जाये मकड़जाल तारीखों के रूप में तोड़ दो भरम अब न्याय का मुँह यहाँ काला सच्चाई का होता है झूठे गवाह झूठे केसो से निर्वाह वकीलों और जजों का होता है जमानत और तारीखे बढ़ाने भर का बस यहाँ खेल होता है दम तोड़ती इंसानियत सुसाइड न्याय कर रहा है अंधा कानून बेकसूरों की जान निगल रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #justice अंधा कानून बेकसूरों की जान निगल रहा है
#justice अंधा कानून बेकसूरों की जान निगल रहा है
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White आज-कल समाज में भाई-भाई आपस में लड़ते रहते हैं जिससे उन्हें सिर्फ समाज शर्मिंदगी मिलती हैं लड़ना ही हैं तों वतन के लिए लड़ो मर भी गये तों तिरंगा 🇮🇳 मिलेगा कफ़न के लिए 🇮🇳 जय हिंद जय भारत 🇮🇳 ©usFAUJI ना लड़ो भाई , लड़ना है लड़ो वतन के लिए #परिवार #वतन #usfauji #Nojoto
Writer Mamta Ambedkar
White ए कलम तू भी कमाल है ए कलम, तू भी क्या कमाल है, तेरे बिना सब कुछ सवाल है। तूने रच दी हैं कितनी कहानियाँ, गहरी भावनाओं की अनंत निशानियाँ। कभी तूने आँसू बहाए, तो कभी खुशियों के गीत गुनगुनाए। हर दर्द को तूने सहलाया, हर खुशी को पन्नों पर उतारा। तूने इंक में इतिहास बनाया, सच को झूठ से अलग दिखाया। राजा हो या रंक, तेरा सहारा, हर दिल की बात को तूने सँवारा। तूने क्रांति की मशाल जलाई, सोए हुए शोषितों को राह दिखाई। कभी प्रेम-पत्र, तो कभी वादे, तेरे बिना अधूरी हैं बातें सारी। ए कलम, तेरी ताकत को बार बार सलाम, तू है लेखकों की कल्पनाओं की गुलाम। तेरे संग हम पाते हैं पहचान, हर कविताकारो का तू है सम्मान। तूने सपनों को पंख दिए, भावनाओं को अनमोल रंग दिए। ए कलम, तू सच्ची दोस्त कहलाती है, हर व्यक्ति को अनमोल पहचान देती है। राइटर ममता आंबेडकर मोटिवेशनल कवित्री 🖊️ ©Writer Mamta Ambedkar #hindi_diwas ए कलम तू भी कमाल करती हैं
#hindi_diwas ए कलम तू भी कमाल करती हैं
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
तेरा चिंतन मनन, अब पूछता कौन है अच्छे बुरे व्यसन,अब पूछता कौन है बेईमानी के धंधों में इजाफा बहुत है ईमानों का पतन अब पूछता कौन है.. दर्द देने की आदत शुमार है जमाना दर्द का कारण क्या अब पूछता कौन है जुल्मो सितम से आसमाँ फटा जाता है फूलों से कोमल मन अब पूछता कौन है दिलों में शहादत की लौ ही बुझ गई शहीदों को नमन अब कौन पूछता है.. ये जमीं बँट गई आसमां लुट गया फिर किसके हिस्से वतन, अब पूछता कौन है राहे वतन पे बिछना तेरी शान थी गुल बिखरा किस बदन अब पूछता कौन है... जाने कहाँ मशगूल हो रहीं जिंदगियाँ अपना ही घर आँगन अब पूछता कौन है.. जब आँखों की शर्मो हया ही मर गई मुँह ताकता दर्पण अब पूछता कौन है... ©अज्ञात #किसके हिस्से वतन
#किसके हिस्से वतन
read moreKK क्षत्राणी
जो दिखती हू वही बन जाऊ या जेसी मे हू वही बनी रहु दोनों ही सुरत मे हम ने खुद को खुद का आईना बना लिया... ©KK क्षत्राणी जान लो खुद को वही जिंदगी है
जान लो खुद को वही जिंदगी है
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