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Samratt Pandya
यूं शब्दों के जाल में ना फंसाओ हमे। ऐसे बहोत से जाल हम दरिया में फेंक चुके हैं।। "सम्राट" ©Samratt Pandya "जाल"
Sunil Kumar Maurya Bekhud
जींदगी के रंग कई रूप कई हैं मिलती हमें हर रोज इक सीख नई है मिलते हैं कई तार तो बन जाती है इक जाल फँस जाता है जो बेखुद हो जाता है हलाल ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #जाल
Satish Mapatpuri
जितना सुलझाओ इसे,उतना ही अझुराय। लालच का यह जाल है,अब काहे पछताय। …… सतीश मापतपुरी ©Satish Mapatpuri जाल
Mukesh More
अपने इर्द-गिर्द अहम का जाल ना बुनिये जनाब नहीं तो खुद उसमे ही उलझ तन्हा रह जाओगे ताउम्र #जाल
Bandana Das
चल पागल तू क्या सोचता है में इतना नादान हूं जो तेरी झुट्टी प्यार की जाल को भी में ना पहचानू। में तो उसदिना का इंतेज़ार कर रहा था जब तेरा बनाया जाल तुझसे भी बड़ा बन जाए और खुद तू उसमे डूब जाए। जाल
D.P. Singh
खुशहाली के कपड़े टांगे, बदहाली के तारों पर, हमने हरदम ढंकना सीखा, सिलता रहा किनारों पर । खुद में मकड़ी,खुद में जाला, उलझा रहा इशारों पर, इश्क़ है बेचा, इल्म खरीदा, मकां बनेगा सितारों पर ।। जाल
Arora PR
हर पंछी के पीछे एक न एक बहेलिया भी हैँ कितना भी ऊँची उड़ान पर वो पंछी पहुंच जाये आखिर तो उसे प्यास भी लगेगी भूख भी लगेगी और उसे दाना चुगने तो धरती पर लौटना हीं पड़ेगा और वो दिन उसकी स्वतंत्रता का आखरी दिन होगा क्योंकि उसे बहेलिया के जाल मे फंसना हीं पड़ेगा ©Arora PR जाल
Aysha khan
हर शख़्स आज़माइशों के जाल बुनने में मशग़ूल है, रिश्ते निभाने का ये अंदाज़ भी देखो क्या ख़ूब है! #आशू# ©Aysha Khan🇮🇳 जाल #Flower
S K Sachin उर्फ sachit
दिल बहलाने से पहले ,ख्याल आता है मन में ढेर सारे उलझा ,सवाल आता है ! नज़र को पहले तो , दाना ही दिखता है चुगने के बाद ही नज़र , जाल आता है !! ©S K Sachin #जाल #fourlinepoetry
Pankaj Priyam
ग़ज़ल काफ़िया - आज़ रदीफ़ -मैं लिख दूँ चुनावी जाल सियासी खेल के हर शख्स का राज़ मैं लिख दूँ बदलते देश के हालात पर अल्फ़ाज़ मैं लिख दूँ। कभी आया नहीं बरसों, कभी ना हाल ही पूछा, अभी पैरों में गिरने का, नया अंदाज़ मैं लिख दूँ। सियासत खेल सत्ता का, यहाँ कोई नहीं अपना टिकट कटने पे नेता का नया आगाज़ मैं लिख दूँ। लुभावन घोषणा वायदे, पुलिन्दा झूठ के लगते, गँवाते वोट नोटों पर, वोटरों का आज़ मैं लिख दूँ। चुनावी जाल में अक्सर, फँसा लेते हैं जनता को बचा सकते "प्रियम" तो फिर, तुझे नाज़ मैं लिख दूँ। ©पंकज प्रियम आज़-लोभ,लालच चुनावी जाल