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laxman dawani
Ganesh joshi
. खा के गुजिया, पी के भंग, लगा के थोडा थोडा सा रंग, बजा के ढोलक और मृदंग, खेलें होली हम तेरे संग। ©Ganesh joshi #Holi . खा के गुजिया, पी के भंग, लगा के थोडा थोडा सा रंग, बजा के ढोलक और मृदंग, खेलें होली हम तेरे संग। #holikadahan #Rang #holikhele #gane
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Nisheeth pandey
रंगकर्मी की व्यथा ................ मैं एक कलाकार हूँ.... हां मैं एक कलाकार हूँ .. विभिन्न अभिनय की रंगों से , मंच के कैनवास पर संवेदनाओ का तस्वीर उकेडता हूँ ... हर दृष्य के सूर्यास्त पर , प्रकाश अंधेरे में बदलता है , पर्दा गिरता है ..... पर मेरे कान मधुर तालियों का मृदंग सुनता है ... हां मैं एक कलाकार हूँ .... हर दृश्य को पडोसनें के बाद तालियों की गड़गड़ाहट जब मृदंग सा बजता है मेरे कानों में .... जो मेरी कमाई होती है ...... बदले में खुशी , गम और विभिन्न भाव को सृजन कर बेचता हूँ .... मृदंग सा बजता तालियों की गड़गड़ाहट से हृदय प्रफुल्लित , हर भौतिक सुख से उत्कृष्ट सा लगता है .... हां मैं एक कलाकार हूँ ..... जानता हूँ हमने कमाए नहीं कागज के टुकड़ों को औरों की तरह .... इसलिये घर का आवारा कहलाता हूँ ... रिस्तेदारों की नज़र में नालायक हूँ .... दोस्त समझते हैं निकम्मा ... हां मैं एक कलाकार हूँ .... मैं समझता नहीं झूट , फरेब , दुनिया की आपा-धापी , उलट फेर , रीति रिवाज ..... इसलिये पागल कहलाता हूँ ..... हाँ मैं एक कलाकार हूँ ..... पर्दा गिरता है क्रमशः.....✍ 🤔 #निशीथ 🤔 ©Nisheeth pandey रंगकर्मी की व्यथा ................ मैं एक कलाकार हूँ.... हां मैं एक कलाकार हूँ .. विभिन्न अभिनय की रंगों से , मंच के कैनवास पर संवेदनाओ
संगीत कुमार
आया मौसम होली का खेलेंगे रंग सजनी संग ग़ोरी आयेगी लचकाती बदन डालेंगे मिल के खूब रंग जोगीरा सा रा रा---- नाचेंगे गायेंगे मनायेंगे उमंग खनकेगी चूड़ी भींगेगा अंग ख़ूब मनभर डालेंगे पिचकारी से रंग फिर हो जायेंगे गोरी के संग जोगीरा सा रा रा---- झूमेंगे नाचेंगे मिलके संग गायेंगे गीत हम हैं संगीत भींगेगा बदन हम हैं सनम न रहने देंगें कुछ भी कम जोगीरा सा रा रा---- फागुन की खोज में भौजी लिए रंग जीजा को शाली देगी पिचकारी से रंग नंदोई का राह देखे सरहज हो तैयार फागुन आने से पहले पिया है तैयार जोगीरा सा रा रा---- श्याम रंग चढे राधा के अंग गोपी संग नाचे लेके मृदंग पिचकारी से रंग भर खेले किशन आया है फगुआ ले के उमंग जोगीरा सा रा रा---- ©संगीत कुमार #Colors आया मौसम होली का खेलेंगे रंग सजनी संग ग़ोरी आयेगी लचकाती बदन डालेंगे मिल के खूब रंग जोगीरा सा रा रा---- नाचेंगे गायेंगे मनायेंग
संगीत कुमार
आया मौसम होली का खेलेंगे रंग सजनी संग ग़ोरी आयेगी लचकाती बदन डालेंगे मिल के खूब रंग जोगीरा सा रा रा---- नाचेंगे गायेंगे मनायेंगे उमंग खनकेगी चूड़ी भींगेगा अंग ख़ूब मनभर डालेंगे पिचकारी से रंग फिर हो जायेंगे गोरी के संग जोगीरा सा रा रा---- झूमेंगे नाचेंगे मिलके संग गायेंगे गीत हम हैं संगीत भींगेगा बदन हम हैं सनम न रहने देंगें कुछ भी कम जोगीरा सा रा रा---- फागुन की खोज में भौजी लिए रंग जीजा को शाली देगी पिचकारी से रंग नंदोई का राह देखे सरहज हो तैयार फागुन आने से पहले पिया है तैयार जोगीरा सा रा रा---- श्याम रंग चढे राधा के अंग गोपी संग नाचे लेके मृदंग पिचकारी से रंग भर खेले किशन आया है फगुआ ले के उमंग जोगीरा सा रा रा---- ©संगीत कुमार #आया मौसम होली का खेलेंगे रंग सजनी संग ग़ोरी आयेगी लचकाती बदन डालेंगे मिल के खूब रंग जोगीरा सा रा रा---- नाचेंगे गायेंगे मनायेंगे उमंग
Insprational Qoute
वीर रस "गजल" क़ाफ़िया:-क़लम उनकी जय बोल। ********************************* धन्य हो गई वो कोख़ आज जिन माताओं के थे वो लाल अनमोल, पुण्य भूमि को स्वर्ण ताज मिला , कलम आज उनकी जय बोल, आसान नही शून्य का पता लगाना, दुनिया जो थी एक दिन गोल, विश्वपटल पर नाम अंकित किया ,कलम आज उनकी जय बोल, सम्पूर्ण गजल कृपया अनुशीर्षक में पढ़ियेगा🙏 वीर रस "गजल" क़ाफ़िया:-क़लम उनकी जय बोल। ********************************* धन्य हो गई वो कोख़ आज जिन माताओं के थे वो लाल अनमोल, पुण्य भूमि को
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सुभग सौभाग्य से स्वराज मिला, पुण्य भूमि को स्वर्ण ताज मिला, धन्य हो गई वो कोख़ आज तो, जिन माताओं के थे वो लाल अनमोल, कलम, आज उनकी जय बोल। सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़े। सुभग सौभाग्य से स्वराज मिला, पुण्य भूमि को स्वर्ण ताज मिला, धन्य हो गई वो कोख़ आज तो, जिन माताओं के थे वो लाल अनमोल, कलम, आज उनकी जय बोल। वि
यशवंत कुमार
विधाता का फ़रमान ! Read full poetry in caption. विधाता का फ़रमान ! मेरे जन्म से पहले विधाता ने मुझको, संदेशा भेज बुलवाया, भरी सभा में मेरे पहुँचते ही, फ़रमान अपना सुनवाया। "बहुत
AK__Alfaaz..
कल, सपनों की थाली मे, चंदा की रोटी परोसकर, सितारों के चावल की, मीठी प्रेम की खीर मे, इंद्रधनुष की सतरंगी मिश्री मिला, बादलों की कटोरी मे लेकर, ममता मुँह मीठा कराने आयी, कल, धरती की गोद मे, नदियाँ नहाकर आयीं, संग वो अपने नेह सीपियाँ लायीं, और..लायीं कान्हा का पांचजन्य शंख, कल, सपनों की थाली मे, चंदा की रोटी परोसकर, सितारों के चावल की, मीठी प्रेम की खीर मे, इंद्रधनुष की सतरंगी मिश्री मिला, बादलों की कटोरी