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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।। नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।। कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।। आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।। यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।। देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।। खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।। पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।। आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे । स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।। बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा । दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।। लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े । बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।। राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते । अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी । प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा । जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।। २४/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच
Ankit Singh
एक मनुष्य भोजन के लिए जानवरों को मारे बिना जीवित और स्वस्थ रह सकता है, इसलिए, यदि वह मांस खाता है, तो वह केवल अपनी भूख के लिए पशु जीवन लेने में भाग लेता है। ©Ankit Singh एक मनुष्य भोजन के लिए जानवरों को मारे बिना जीवित और स्वस्थ रह सकता है, इसलिए, यदि वह मांस खाता है, तो वह केवल अपनी भूख के लिए पशु जीवन लेने
Shivkumar
अगर तुम एक कदम रुक गए तो । तुम सब से पीछे ही रह जाओगे ।। अब वो मंजिल भी दुर नही । बस कुछ ही मोड़ अभी और बकी है ।। एक पल भी मेरी नज़रों से मेरी मंजिल यु ओझल ना हो । दिल की धड़कन ही तो हरपल यही शोर सा करती है ।। चाहे गरजे बादल या बिजली ही चमके । घनी हो आंधियां या घनघोर बारिश बरसे ।। उसकी ओर हर मुश्किल को यु पार कर जाना है । अब वो मंजिल भी दुर नही बस कुछ ही मोड़ अभी और बकी है ।। पैर चाहे चलते-चलते क्यू न थक जाये । या कोई पथरीली रास्तो में बाधा डाले ।। एक भोर घने अंधियारे के बाद ही आती है । अगर तुम एक कदम रुक गए तो तुम सब से पीछे ही रह जाओगे ।। ©Shivkumar #trafficcongestion #traffic #Nojoto अगर तुम एक कदम रुक गए तो । तुम सब से पीछे ही रह जाओगे ।। अब वो मंजिल भी दुर नही ।
Manya Parmar
Ak.writer_2.0
BeHappy हम दोनो👩❤️👨 एक दूसरे से बहुत दूर रहते ये Internet बताता है मारे बीच long की distance है🥺 पर phone की screen पर जब उसका चहेरा😍 दिखता है तो उसके चहेरे की मुस्कुराहट 😊 हमारे बीच की हर दूरी 👩❤️👨को मिटा देती है, इसलिए हम दूर हो के भी एक दूसरे की बेहद करीब रहते। अब इससे ज्यादा कितना प्यार करूं तुम्हें.... 👩❤️👨🙋 ©Ak.writer_2.0 हम दोनो एक दूसरे से बहुत दूर रहते ये Internet बताता है मारे बीच long की distance है पर phone की screen पर जब उसका चहेरा दिखता है तो उसके चहे
SURESH KUMAR SAINI
पत्थर तो हज़ारों ने मारे थे मुझे लेकिन जो दिल पे लगा आ कर इक दोस्त ने मारा है ©SURESH KUMAR SAINI पत्थर तो हज़ार मारे है😰#nojoto #viarl #Nojoto #viral #sadness #gazal #humsafar #Friend #viral_video #sadlines
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया बोली मीठी संग हो , उसपे थोडा ज्ञान । बन सकता दुष्ट भी , इस जग में इंसान ।। इस जग में इंसान , वही देखो कहलाता । जो औरो के काम , यहां है निशिदिन आता ।। बाटे सब में प्रेम , न मारे फिर वह गोली । बतलाते त्योहार , करो सब मीठी बोली ।। ०८/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया बोली मीठी संग हो , उसपे थोडा ज्ञान । बन सकता दुष्ट भी , इस जग में इंसान ।। इस जग में इंसान , वही देखो कहलाता । जो औरो के काम ,
Anas Rahmat Ali
मैंने अपने यार को किसी के पीछे बैठा देखा। और देखता रह गया। कि वह खुश है मेरे बिने भी। ©Anas Rahmat Ali #RoadTrip #लंबी ड्राइव लॉन्ग ड्राइव
Banarasi..
जीवन की यात्रा रास्ता था लम्बा हम खड़े किनारे हम चलें रास्ता चला हो बेसहारे। रुका हुआ अम्बर देख रहा जमी पे चल रहे ये खुद को सम्हाले। हर कोई एक दूसरे को नहीं जानते पर पथिक के नाम मिली पहचानें। जानें पहचाने के इस चक्कर में थक रहे हम सारे के सारे। लक्ष्य एक ही अंतिम मंजिल तक अब चाहे जिंदा बचे या जाएं मारे। परिश्रम और प्रयास के द्वंद में चलो टूट पड़े हम सारे के सारे। बनारसी नहीं चाहता इस खेल में बिन अंतिम प्रयास हम सब जाएं मारे। लड़ो! उठो! बस चलते रहो तोड़ डालो! किस्मत की ये दीवारें। ©Banarasi.. जीवन की यात्रा रास्ता था लम्बा हम खड़े किनारे हम चलें रास्ता चला हो बेसहारे। रुका हुआ अम्बर देख रहा जमी पे चल रहे ये खुद को सम्हाले। हर