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New बदलूंगी भरतार Quotes, Status, Photo, Video

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Inspector Jagbir Kaushik

पीटूंगी भरतार तनै #शायरी

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Rohit Rock Rathee

हरियाणवी गाना ठाडा भरतार #Music

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Sanjay Sharma Saras

#राजस्थानी_सोरठा लुळ-लुळ करै जुहार, साजण सामी गोरड़ी, कद निरखै ! भरतार , दोयूं नैंण उडीकता। ©® संजय शर्मा 'सरस' अर्थ - अपने साजन के सामने ब #कविता

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लुळ-लुळ करै जुहार, साजण सामी गोरड़ी,
कद निरखै ! भरतार , दोयूं नैंण उडीकता।

©Sanjay Sharma Saras #राजस्थानी_सोरठा

लुळ-लुळ करै जुहार, साजण सामी गोरड़ी,
कद निरखै ! भरतार , दोयूं नैंण उडीकता।
©® संजय शर्मा 'सरस'

अर्थ - अपने साजन के सामने ब

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गुपाल /भुजंगिनी छन्द हाथ जोड़कर , करूँ पुकार । बिनती सुन लो , अब भरतार ।। तव लिए रखूँ , मैं उपवास । बनी रहूँगी , पद की दास ।। देखो आया , #कविता

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गुपाल /भुजंगिनी छन्द 

हाथ जोड़कर , करूँ पुकार ।
बिनती सुन लो , अब भरतार ।।
तव लिए रखूँ , मैं उपवास ।
बनी रहूँगी , पद की दास  ।।

देखो आया , बालक द्वार ।
करो नही तुम , आज प्रहार ।।
आया अब है , ऊँट पहाड़ ।
छूते नभ को , बनकर ताड़ ।।

०३/०५/२०२३   -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गुपाल /भुजंगिनी छन्द 

हाथ जोड़कर , करूँ पुकार ।
बिनती सुन लो , अब भरतार ।।
तव लिए रखूँ , मैं उपवास ।
बनी रहूँगी , पद की दास  ।।

देखो आया ,

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गुपाल /भुजंगिनी छन्द आठ सात पर यति चरणांत एक दो एक । हाथ जोड़कर , करूँ पुकार । बिनती सुन लो , अब भरतार ।। करता तेरा , हूँ उपवास । पथ दिखलाओ #कविता

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गुपाल /भुजंगिनी छन्द 
आठ सात पर यति चरणांत एक दो एक ।

हाथ जोड़कर , करूँ पुकार ।
बिनती सुन लो , अब भरतार ।।
करता तेरा , हूँ उपवास ।
पथ दिखलाओ , करूँ विकास ।।

देखो आया , बालक द्वार ।
करो नही तुम , आज प्रहार ।।
आया अब है , ऊँट पहाड़ ।
छूते नभ को , बनकर ताड़ ।।

०३/०५/२०२३   -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गुपाल /भुजंगिनी छन्द 
आठ सात पर यति चरणांत एक दो एक ।

हाथ जोड़कर , करूँ पुकार ।
बिनती सुन लो , अब भरतार ।।
करता तेरा , हूँ उपवास ।
पथ दिखलाओ

Sarita Shreyasi

#हाँ, मैं फिर बदल रही हूँ, क्योंकि मुझे बदलना है उनका जीवन उनकी दुनिया इसलिए मैं बदल रही हूँ, उनके जीवन में दिख रहा है बदलाव, मेरे बदलने से

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मैंने बदला है जीवन, खुद का,
मैंने बदली है दुनिया मेरी-तुम्हारी,
आज मैं बदल रही हूँ,
क्योंकि बदलना है मुझे बहुतों का जीवन, 
और मेरे बदलने से सिर्फ मेरी ही नहीं, 
मेरे आस पास की दुनिया बदलने लगी है। 
इसलिए दुनिया बदलने के लिए,
अब मैं बदल रही हूँ।
मुझसे ही परिवर्तन है, मैं ही परिवर्तन हूँ।

— % & #हाँ, मैं फिर बदल रही हूँ, क्योंकि मुझे बदलना है उनका जीवन उनकी दुनिया इसलिए मैं बदल रही हूँ,
उनके जीवन में दिख रहा है बदलाव, मेरे बदलने से

Anita Saini

हिवड़े म राखज्यो मानै जान बणार जीवण म राखज्यो मानै माण बणार आँख्याँ म राखज्यो मानै लाज बणार माथा प राखज्यो मानै ताज बणार #YourQuoteAndMine #YQRajasthani #yqkakasa #anitasainiराजस्थानी #हिवडे़मेराखज्यौमानै

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जान बणार
जीवण म राखज्यो मानै
माण बणार
आँख्याँ म राखज्यो मानै
लाज बणार
माथा प राखज्यो मानै
ताज बणार
छाती प राखज्यो मानै
मोत्यां रो हार बणार
म थारी गौरड़ी जी
थानै राखस्यूं भरतार
माथे रो बोरलो सो सजार हिवड़े म राखज्यो मानै
जान बणार
जीवण म राखज्यो मानै
माण बणार
आँख्याँ म राखज्यो मानै
लाज बणार
माथा प राखज्यो मानै
ताज बणार

Aashutosh Aman.

#hindisahitya#hindikavita#tulsi janma bhoomi sukar kshetra soron ji district kasganj u p 🙏🙏🙏🙏🙏 सूर्य के स्वामी हो तुम और योग पर अधिकार भी ।

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

बोल रहा मुंडेर पर , निशिदिन मेरे काग । कहता जीवन भर मिले , तुझे सजन अनुराग ।। १ सावन से पहले सजन , आ जाना इस बार । कब तक करती म #कविता

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बोल  रहा  मुंडेर  पर  ,  निशिदिन  मेरे  काग ।
कहता जीवन भर मिले , तुझे सजन अनुराग ।। १

सावन से  पहले सजन , आ  जाना  इस बार ।
कब तक  करती  मैं रहूँ , यह  विरहन शृंगार ।। २

पिया   यही   अनुराग  तो  ,  है   मेरा  शृंगार ।
बिन  तेरे  झूठा  लगे ,   मुझको  यह  संसार ।। ३

मिले  पिता  अनुराग  जो ,  बच्चे  हो  सम्पन्न ।
घर आँगन खुशियां खिलें , देखो सभी प्रसन्न ।। ४

सावन   के   झूले  पड़े  ,  पूर्वा  चले   बयार ।
नैना प्यासे  दीद  को ,  आ  जाओ  भरतार ।। ५

आज  उसी  अनुराग  से , भर  दो  मेरी माँग ।
खिल जाऊँ बनके कली , दूँ कोयल सी बाँग ।। ६

                 महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR बोल  रहा  मुंडेर  पर  ,  निशिदिन  मेरे  काग ।
कहता जीवन भर मिले , तुझे सजन अनुराग ।। १

सावन से  पहले सजन , आ  जाना  इस बार ।
कब तक  करती  म

के_मीनू_तोष

अनुज भार्या एक नही वर्ष चौदह का रण है ये दीप नही बुझने पाये भूमिजा कि है जो अनूजा उस जनक नंदिनी का ये प्रण है तात् ने अपना वचन निभाया #Poetry

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अनुज भार्या

एक नही वर्ष चौदह का रण है
ये दीप नही बुझने पाये
भूमिजा कि है जो अनूजा
उस जनक नंदिनी का ये प्रण है

तात् ने अपना वचन निभाया
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