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YOUTUBER RAJNISH SRIVASTAVA
अर्श
Sweety Mamta
#तमन्ना तमन्नाओ का झूमर चाहे बड़ा हो या छोटा। सजावट बन जाने पर खूबसूरत ही लगता हैं।
Shivam Musafir
Manjeet Sharma 'Meera'
सुरमई साड़ी पहनकर धरती पर उतरी है रात तारों जड़ी पहनकर चोली झूम-झूमकर चलती रात माथे पर चंदा का झूमर गालों पर झूमर की आभा किरणों की लाली से जैसे मांग सिंदूर सजाती रात सप्त ऋषि का हार गले में ध्रुव का हीरा नथनी में सोने के गहनों से लदकर सज-धजकर निकली है रात अंधियारे मेले में घूम कर आ बैठी है मेरे आंगन चंदा से मिलकर खुश होती सूरत से शर्माती रात मेरा हाथ पकड़ कर मुझको ले जाती है नदी किनारे सप्त ऋषि का हार व झूमर सब गहने दिखलाती रात एक कहानी रोज सुनाती कभी हंसाती कभी मनाती अपनी बाहों में समेटकर रोज सुलाने आती रात पवन लोरियां गाती जाती रात मुझे सहलाती जाती मां बन बैठी रहे सिरहाने सारी रात न जाती रात खिड़की पर देती जब दस्तक हौले-हौले सहर सलोनी फिर आने का वादा करके बादल में छुप जाती रात। *** #"रात" सुरमई साड़ी पहनकर धरती पर उतरी है रात तारों जड़ी पहनकर चोली झूम-झूमकर चलती रात माथे पर चंदा का झूमर
Subodh Gupta
Amrita Pritam 🌹 ऋतु ने एक टोना कर दिया, और चाँद ने आ कर रात के माथे पर झूमर लटका दिया- तू नहीं आया!!!! आज तारों ने फिर कहा,
Deep Ved
गरीब के घर पे पक्की सीलिंग नहीं है; इंसान ज़िंदा है, सच्ची फीलिंग नहीं है... प्यार एक खूबसूरत सा एहसास है; ये दो लोगो के बीच, डीलिंग नहीं है... दिल से मानो, भगवान सब जगह है; सिर्फ गोल पत्थर शिवलिंग नहीं है... ज़िन्दगी में सिर्फ अच्छे कर्म करते रहो; स्वर्ग में किसी के लिए बुकिंग नहीं है... माँ बाप की सेवा करना फ़र्ज़ है; ये उनकी की हुई ब्लैकमेलिंग नहीं है...!!! गरीब के घर पे पक्की सीलिंग नहीं है; इंसान ज़िंदा है, सच्ची फीलिंग नहीं है... प्यार एक खूबसूरत सा एहसास है; ये दो लोगो के बीच,
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Wo Shaam जानते हो वो दरवाज़ा अब भी खुला है, जहां हल्की सी दुपहरी शाम हमें देखती थी तुम एक टक निहारे मुझे देखती और मैं बादलों के धुंए में गुम हो जाता था वो नीले रंग का चोला पहनकर, झूमर सा लगती थी दुल्हन सजी रात के सफर को तैयार जिसका उबटन अभी तक उतरा ना हो वो कपोल बन खिलता गुलाब मैं उसके बालो में लगा देता था हल्की हल्की ठंड में लाल सूरज खत्म होने को होता पर हमारी बात वक्त को निचोड़े रात के पहर को चुनौती देती थी ©Naveen Chauhan Wo Shaam जानते हो वो दरवाज़ा अब भी खुला है, जहां हल्की सी दुपहरी शाम हमें देखती थी तुम एक टक निहारे मुझे देखती और मैं बादलों के धुंए में ग