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Poet Kuldeep Singh Ruhela
White पापा दो शब्दो से मिलकर बना हैं पापा की परिभाषा जीवन में कोई भी व्यक्ति नही बता सकता पापा को एक दिन विशेष में नही बांध सकते है पापा जीवन का आधार है और पापा के बिना जीवन निराधार हैं पापा की तुलना किसी से नही हो सकती पापा खिलाता है पापा सुलाता है पापा ही हमारी जिंदगी को संवारने के लिए दिन रात जागता है ना खाता है ना पीता है समय पर पापा के लिए तो शब्द भी कम पड़ जाते है बस यही बाते तो हमको समझनी है के भविष्य में हम भी पापा की तरह कभी बन पाएंगे क्युकी ये नई पीढ़ी नही समझ पाएगी पुराने पापा को कभी ये सच है ये सच है! गुमनाम शायर ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #fathers_day पापा दो शब्दो से मिलकर बना हैं पापा की परिभाषा जीवन में कोई भी व्यक्ति नही बता सकता पापा को एक दिन विशेष में नही बांध सकते
#fathers_day पापा दो शब्दो से मिलकर बना हैं पापा की परिभाषा जीवन में कोई भी व्यक्ति नही बता सकता पापा को एक दिन विशेष में नही बांध सकते #मोटिवेशनल
read moreMahendra Gupta
Raj kumar kumar
The fifth character of the PAN is the first character of either of the first name, surname or last name of the person ©Raj kumar kumar In PAN(Permanent Account Number) card no. , fourth character identifies the type of holder of the card. Each holder type is uniquely define
In PAN(Permanent Account Number) card no. , fourth character identifies the type of holder of the card. Each holder type is uniquely define #वीडियो
read moreDevesh Dixit
कदम (दोहे) कदम - कदम पर ठोकरें, खाता है इंसान। जो संभल उससे गया, हो उसका गुणगान।। कदम - कदम पर टोक हो, जीना लगे मुहाल। कैसे किसको बोध हो, हम क्यों हैं बेहाल।। एक कदम तुम जो बढ़ो, वो बढ़ते हैं चार। प्रेम भाव से तुम रहो, मिल जाते भरतार।। मेरे पापा कह गए, रखो कदम संभाल। एक कदम मजबूत हो, तभी बढ़ाओ चाल।। उचित राह पर हो कदम, मिलता है ठहराव। कहते हैं सज्जन सभी, निर्मल यही स्वभाव।। .......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #कदम #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry कदम (दोहे) कदम - कदम पर ठोकरें, खाता है इंसान। जो संभल उससे गया, हो उसका गुणगान।। कदम - कदम प
#कदम #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry कदम (दोहे) कदम - कदम पर ठोकरें, खाता है इंसान। जो संभल उससे गया, हो उसका गुणगान।। कदम - कदम प #Poetry #sandiprohila
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White संध्या छन्द :- 221 212 22 इंसान क्या नही खाता । क्या देखता नही दाता ।। है अंत में जरा देरी । आयी न रात अंधेरी ।। पीडा समीप में डोले । तो राम राम वे बोले ।। कान्हा कहें सुनो राधा । वो भक्त ही बना बाधा ।। मीठी लगे हमें बोली । जो प्रेम से भरें झोली ।। जो आप पास में होते तो क्यूँ भला बता रोते ।। मैं तो करूँ सदा सेवा । औ चाहता मिले मेवा ।। जो दान में मिला देखा । ये भाग्य से बनी रेखा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR संध्या छन्द :- 221 212 22 इंसान क्या नही खाता । क्या देखता नही दाता ।। है अंत में जरा देरी । आयी न रात अंधेरी ।।
संध्या छन्द :- 221 212 22 इंसान क्या नही खाता । क्या देखता नही दाता ।। है अंत में जरा देरी । आयी न रात अंधेरी ।। #कविता
read moreDevesh Dixit
आघात (दोहे) आशा जिससे हो हमें, दे वो ही आघात। पीड़ा होती है बहुत, व्याकुल हैं जज्बात।। जीवन में उलझन बड़ी, रहती है दिन रात। कैसे करूँ बखान मैं, मिलता है आघात।। समाधान जब हो कभी, मिलता है आराम। मुक्ति मिले आघात से, संकट है नाकाम।। देता जब कोई कभी, हमको है आघात। व्याकुल मन उसका रहे, खाता भी वह मात।। दें वो ही आघात हैं, जिस पर हो विश्वास। धन के लोभी से हमें, रहे न कोई आस।। .............................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #आघात #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry आघात (दोहे) आशा जिससे हो हमें, दे वो ही आघात। पीड़ा होती है बहुत, व्याकुल हैं जज्बात।। जीवन म
#आघात #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry आघात (दोहे) आशा जिससे हो हमें, दे वो ही आघात। पीड़ा होती है बहुत, व्याकुल हैं जज्बात।। जीवन म #Poetry #sandiprohila
read moreAnkit Singh
एक मनुष्य भोजन के लिए जानवरों को मारे बिना जीवित और स्वस्थ रह सकता है, इसलिए, यदि वह मांस खाता है, तो वह केवल अपनी भूख के लिए पशु जीवन लेने में भाग लेता है। ©Ankit Singh एक मनुष्य भोजन के लिए जानवरों को मारे बिना जीवित और स्वस्थ रह सकता है, इसलिए, यदि वह मांस खाता है, तो वह केवल अपनी भूख के लिए पशु जीवन लेने