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New इज़्ज़त की रोटी के कलाकार Quotes, Status, Photo, Video

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Sanjeev gupta

माँ के हाथ की रोटी #Quote #nojotophoto

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 माँ के हाथ की रोटी

Eron (Neha Sharma)

माँ के हाथ की रोटी

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माँ गेहूँ की टँकी से गेहूँ निकाला करती थी।
फिर बोरे को उठाकर बाहर डाला करती थी।
गेहूं को फटककर छाज से
उसे छलनी में निकाला करती थी।
धोकर गेहूओं को तब माँ
छत पर डालकर सुखाया करती थी।
घर की चक्की में माँ
गेहूँ को पीसकर लाया करती थी।
फिर उसी गेहूं के आटे की
माँ गोल गोल रोटी बनाकर खिलाया करती थी।-नेहा शर्मा। माँ के हाथ की रोटी

KAKE KA RADIO

माँ के हाथ की रोटी !

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आज मुझे ये पता चला माँ कितने कष्ट उठाती है ,
गरम तवे पर अपने हाथों को रोज ही रोज जलाती है ।
क्या तुम्हें पता है वो गरम रोटियां इतनी स्वादिष्ट क्यों होती हैं ?
माँ का प्यार भरा होता है उसमें और उसकी जलन की आहें होती हैं।  #NojotoQuote माँ के हाथ की रोटी !

Mere Shabdo Ki Duniya

चन्द सिक्को की खातिर 
जान की बाजी लगाते है
सड़कों पर तमाशा दिखाकर
इज़्ज़त की रोटी कमाते हैं

कलाकार✍️ कलाकार
#कहानी #कलाकार #विचार #इज्ज़त
#रोटी #जान #बाजी #चन्द #सिक्कें
#कला #कविता

Dipin Tarbundiya

खुद की इज़्ज़त...

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हमनें भी जिद्द छोड़ दी उसे पा ने की...
उसे लगता था कि हम बहुत जिद्दी हैं
पर उसे ये पता नहीं था कि जिद्द से ज्यादा हमें हमारी इज्ज़त प्यारी थी... खुद की इज़्ज़त...

ANITA SINGH

मैरे माँ के हाथ की रोटी.

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बचपना ही अच्छा था.
यार क्यॊ बड़े हो गये.
माँ के हाथ की नमक की रोटी ही अच्छी थी.
क्यॊ स्वीगी जमेटो के आदि हो गये. मैरे माँ के हाथ की रोटी.

Vickram

कलाकार की ख्वाहिश,,, #शायरी

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Tanushri jain

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Lalit Patil Gurjar

माँ के हाथ की रोटी । घर से दूर । #Quote

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चल आज घर चलते हैं,
माँ के हाथों की रोटी और 
अचार ख़ा कर  आते हैं। माँ के हाथ की रोटी । 
घर से दूर ।

Saurabh Baurai

रोटी की कीमत #कविता

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किल्लत रोटी की तब जानी
जब रोटी ने नाता तोड़ा।
कीमत खुद की तब पहचानी
जब अपनो ने हाथ ये छोड़ा।।

भटक रहे थे खाली पेट तो
अश्रुनीर से प्यास बुझाई।
थाम रहे थे जब खुद को तो
हर दहलीज़ से ठोकर पाई।।

गगन में उड़ना चाहा जब भी
जंज़ीरों से लिपट गए।
छाव की चाह में जब भी बैठें
वृक्ष भी बहुधा सिमट गए।।

दर्द भी पहले आंशू बनकर
हर क्षण टपका करते थे।
पूरे जग से होकर अक्सर 
मुझपर अटका करते थे।।

विवश का आंगन छोड़ के इक दिन
पृथक सा बनना ठान लिया।
झूठे गणित के विश्व मे मैंने 
खुद को शून्य सा मान लिया।।

ना जाने क्यों अब हर कोई
मेरा साथ यूँ चाहते है।
जग के बड़े अंक भी देखो 
शून्य से जुड़ना चाहते है।।

जान गया हूँ जग से इतना
रक्त तो यहां बहाना है।
यहाँ से पाई हर रोटी का
मोल ये सबको चुकाना हैं।। रोटी की कीमत
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