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साहित्य धरा
कुछ विचार मैं हमेशा की तरह, प्रकृति के साथ तालमेल बिठाना चाहा। लोगों का काम है कहना, कुछ तो लोग कहेंगे। लोगों ने कहा" तुम इतने तो सीधे नहीं," उन्हें पता होना चाहिए। जब पृथ्वी सीधी ना होकर, अपने अक्ष पर 23½ डिग्री झुकी हुई है। तो फिर मैं कैसे सीधा हो सकता हूं। पूछना तो हमें चाहिए, आप प्रकृति के विपरीत कैसे। फिर लोगों ने कहा लोगों का काम है कहना, "आप बातों को क्यों घूमाते हैं।" शायद उन्हें ज्ञात नहीं पृथ्वी अपने अक्ष पर घूम रहा है ठहर तो आप गए हैं। फिर वही बात आप प्रकृति के विपरीत कैसे । एक सीधी सी बात कहूं, सीधा कुछ भी नहीं। ✍️✍️ साहित्य धरा ©साहित्य धरा पढ़े और प्यार दें, जो अच्छा लगे दिल में रखें। जो बुरा लगे, उसे नजर से उतार दें।।
पढ़े और प्यार दें, जो अच्छा लगे दिल में रखें। जो बुरा लगे, उसे नजर से उतार दें।।
read moreSuneel Nohara
White नोहरा ,अगर तुम इन्सान हो,??? तो इन्सान होने का परिचय दो।। ©Suneel Nohara परिचय,,, Anshu writer Ashutosh Mishra अदनासा- एक अजनबी R K Mishra " सूर्य "
परिचय,,, Anshu writer Ashutosh Mishra अदनासा- एक अजनबी R K Mishra " सूर्य " #मोटिवेशनल
read moreराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बड़ामलहरा दीपक जागीरदार बमनी बमनी
White Jay shree ram🙏🙏 ©राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बड़ामलहरा दीपक जागीरदार बमनी बमनी #life_quotes हमारा परिचय फॉलो जरूर करें
#life_quotes हमारा परिचय फॉलो जरूर करें #मोटिवेशनल
read moreMahesh Patel
White सहेली.... किसी भी इंसान का परिचय.. उसकी सोच और उसके विचारों से प्रदर्शित होता है...... लाला... ©Mahesh Patel सहेली.. परिचय... लाला...
सहेली.. परिचय... लाला... #Shayari
read moreharsha mishra
White हर्षा हूं ,हर्ष का संचार करती हूं शिक्षिका हूं शिक्षा का प्रचार करती हूं। शांत हूं,सरल हूं और सादा ही विचार रखती हूं, चाहे जैसी भी हो परिस्थितियां,मैं हमेशा तैयार रहती हूं। हर्षा ©harsha mishra #sad_quotes मेरा परिचय
#sad_quotes मेरा परिचय #कविता
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल:- वो ख्वाबों की दुनिया सजाने लगे थे हमें देखने आने जाने लगे थे ।। छुपाने पड़े थे हमें भी तो आँसूँ । सनम दूर हमसे जो जाने लगे थे ।। नज़र जब कभी इत्तफाकन मिली तो उन्हें देख कर मुस्कराने लगे थे ।। यहाँ चाँद सबको कहाँ मिल सका है । चरागों से जीवन बिताने लगे थे ।। कभी चैन हमको न आया किसी पल । सुनो हाल दिल जब छुपाने लगे थे ।। अभी भी तरसती है आँखें उन्ही को । जिन्हें दिल में अपने बसाने लगे थे ।। हुए दूर हमसे वही आज फिर से । जिन्हें ज़िन्दगी हम बनाने लगे थे ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल:- वो ख्वाबों की दुनिया सजाने लगे थे हमें देखने आने जाने लगे थे ।। छुपाने पड़े थे हमें भी तो आँसूँ । सनम दूर हमसे जो जाने लगे थे ।। नज़र जब
ग़ज़ल:- वो ख्वाबों की दुनिया सजाने लगे थे हमें देखने आने जाने लगे थे ।। छुपाने पड़े थे हमें भी तो आँसूँ । सनम दूर हमसे जो जाने लगे थे ।। नज़र जब #शायरी
read moreShashi Bhushan Mishra
नींद का मारा लगे, कितना बेचारा लगे, स्वाद पहली दफ़ा सा, फिर न दोबारा लगे, दर्द की आग़ोश में, चाँद अंगारा लगे, बिगड़ जाए स्वाद तो, शहद भी खारा लगे, प्रेम की पहचान है, गैर भी प्यारा लगे, हताशा में आदमी, दुनिया से हारा लगे, स्वार्थ में अंधे हुए को, हर कोई चारा लगे, भटकता गुंजन फिरे, हर राह बंजारा लगे, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई ©Shashi Bhushan Mishra #राह बंजारा लगे#
sujeeta
White बात दिमाग पर लगे तो भूल सकते है अगर दिल पर लगी हो तो कैसे भुलाया जाय 🥲🥲😔😔 ©sujeeta बात दिल पर लगे
बात दिल पर लगे #Quotes
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