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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- तू जिसे है देखता वो तो पराई नार है । सीरियल से मिल रहे जो अब यहाँ संस्कार है ।। जीव हत्या कर रहा है नाम पशुपालन दिया । ये बताता युग हमारा धर्म शिष्टाचार है ।। दूर दुनिया देख लो यह आज इतनी हो गई । मान भी लो आज पीछे चलना भी बेकार है ।। गर्व था मुझको कभी ये यह हमारा धर्म था । पर पतन की राह जाते देखूँ मैं धिक्कार है ।। खो गई मेरी जवानी सबको समझाते हुए । मैं यहीं थककर रुका तो ये हमारी हार है ।। कर रहीं सरकार हैं अब आज ऐसे फैसले । निर्बलों की आज गर्दन पे धरी तलवार है ।। हाय मत लेना किसी की ज्ञानियों के बोल थे । देखता हूँ थाल उनकी नित्य वो आहार है ।। कुछ बिगड़ बच्चे गये तो कुछ बिलखकर सो गये । आज दोनों के पिता ही देख लो लाचार है ।। जो कभी सोये नही उनको जगाता क्यों प्रखर । जानतें है सब यहाँ पे जान का व्यापार है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- तू जिसे है देखता वो तो पराई नार है । सीरियल से मिल रहे जो अब यहाँ संस्कार है ।। जीव हत्या कर रहा है नाम पशुपालन दिया । ये बताता युग
Vishal Shah
Rameshkumar Mehra Mehra
हुसन और इश्क की भी..... कितनी गजब की यारी है.......! एक खूबसूरत परिदां तो...........!! दूसरा लाजवाब शिकारी है.... ©Rameshkumar Mehra Mehra # हुस्न और इश्क की भी,कितनी गजब की यारी है,एक खूबसूरत परिदां तो, दूसरा लाजवाब शिकारी है....
Ravishankar Nishad
कहाँ आजाद परिंदों की जिन्दगी आसान होती है, कभी बाज से तो कभी शिकारी के जाल से परेशान होती है. ©Ravishankar Nishad कहाँ आजाद परिंदों की जिन्दगी आसान होती है, कभी बाज से तो कभी शिकारी के जाल से परेशान होती है.
Ravendra
MohiTRocK F44
हाथ जोड़ते है और पाओ दबाते हैं फिर वो मन चाहा मंतर ले जाते है नागिनो का मैं ऐसा शिकारी हू मोहित मुझसे मिलने रोज़ सपेरे आते है ©MohiTRocK F 44 #nagin हाथ जोड़ते है और पाओ दबाते हैं फिर वो मन चाहा मंतर ले जाते है नागिनो का मैं ऐसा शिकारी हू मोहित मुझसे मिलने रोज़ सपेरे आते है मुझसे म
Kavi Aditya Shukla
आज ही के दिन महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित चंद्रशेखर आजाद जी ने 27 फरवरी 1931 को प्रयागराज के अल्फ्रेड पार्क में बलिदान दिया था। चंद्रशेखर आज़ाद - आज भी कोई यह नाम लेता है, तो मूंछ पर ताव देते एक ऐसे पुरुष की छवि सामने आती है जो देशसेवा में अपना सबकुछ बलिदान कर गया। वीर सपूत आज़ाद के बलिदान दिवस पर कोटिशः नमन। मलते रह गए हाथ शिकारी... उड़ गया पंछी तोड़ पिटारी.. अंतिम गोली ख़ुद को मारी ... जियो तिवारी जनेऊधारी ©Kavi Aditya Shukla आज ही के दिन महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित चंद्रशेखर आजाद जी ने 27 फरवरी 1931 को प्रयागराज के अल्फ्रेड पार्क में बलिदान दिया था। चंद्रशेखर आ