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Stories related to दक्षिणेश्वर काली मां

Kalpana Srivastava

#मां

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कुछ मां यशोदा जैसी होती है 
जो दूसरे के संतान को भी अपने गले 
से लगाए रहती है।
और कुछ मां कैकई की तरह 
अपने बच्चों में ही फर्क करती है।

©Kalpana Srivastava #मां

puja udeshi

देवियाँ तो बहुत हैं किसी किस को 
पूजा किस किस की इज्जत लूटा 
इस सब का हिसाब लेगी काली जो 
हमारी अदालत सजा ना दे सकी बरी 
कर दी मुजरिम हत्यारे को वो काली 
संहार करेंगी वध करेंगी पापी निर्लज 
रैपिस्टो का, माफ़ी नहीं मिलेगी.......

©puja udeshi #navratri #काली #माँ #pujaudeshi

नवनीत ठाकुर

#मां

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मां की ममता का कोई हिसाब नहीं होता,
उसका हर आँसू भी बेवजह नहीं होता।

दुआएं उसकी साये की तरह होती हैं,
मां के कदमों तले ही तो जन्नत होती है।

©नवनीत ठाकुर #मां

शुभम मिश्र बेलौरा

#good_night मां

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White ये इश्क,चांद तारे ,ये बहुत ही शब्द अच्छे हैं,
बहुत रोता हूं ,आंसू पोछता हूं फिर घुटन होती।
हुए हफ्ते मैं उसके फोन तक को न उठा पाया,
जो अपने आंसुओ को आंचलों में ही छिपा लेती।
कभी वो डाटती है और कभी तकरार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

गिरा हूं सीढ़ियों से और बहुत ही चांद तारों से,
ये चलते बादलों ने भी मुझे टक्कर ही मारा था।
सभी देते थे मेरी गलतियां, इल्ज़ाम मुझ पर ही,
न आगे और न पीछे दिख रहा कोई सहारा था।
वो तब भी यूं ज़माने से रोती है, रार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

ज़माने में खिलाते सब निवाले पेट भरके पर,
लगाये आस बैठे हैं मैं उसके बाद कुछ दूंगा।
ज़बर्दस्ती मुझे यूं डांट करके थालियां भरती,
कभी पूंछीं नहीं मुझसे, कितनीं रोटियां लूंगा।
मेरे ख़ातिर वो अपनी हर शौक इन्कार करती है,
अकेेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

बतायी एक ख्वाहिश बस, दुनिया में ज़माने में
किसी मज़लूम के खातिर सदा सच्चा रहूं मैं।
कभी जब लौट करके मैं अपने गांव में आऊं ,
तो अपनी मां के खातिर सदा बच्चा रहूं मैं।
इसी ख्वाहिश का, वो अब भी इज़हार करती ,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

©Shubham Mishra #good_night मां

शुभम मिश्र बेलौरा

#sunset_time मां

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White  ये इश्क,चांद तारे ,ये बहुत ही शब्द अच्छे हैं,
बहुत रोता हूं ,आंसू पोछता हूं फिर घुटन होती।
हुए हफ्ते मैं उसके फोन तक को न उठा पाया,
जो अपने आंसुओ को आंचलों में ही छिपा लेती।
कभी वो डाटती है और कभी तकरार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

गिरा हूं सीढ़ियों से और बहुत ही चांद तारों से,
ये चलते बादलों ने भी मुझे टक्कर ही मारा था।
सभी देते थे मेरी गलतियां, इल्ज़ाम मुझ पर ही,
न आगे और न पीछे दिख रहा कोई सहारा था।
वो तब भी इस ज़माने से रोती है, रार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

हैं दुनिया में खिलाते सब, निवाले पेट भरके पर,
लगाये आस बैठे हैं, मैं उसके बाद कुछ दूंगा।
ज़बर्दस्ती मुझे यूं डांट करके थालियां भरती,
कभी पूंछीं नहीं मुझसे मैं कितनीं रोटियां लूंगा।
मेरे ख़ातिर वो अपनी हर शौक इन्कार करती है,
अकेेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

बतायी एक ख्वाहिश बस, दुनिया में ज़माने में,
किसी मज़लूम के ख़ातिर सदा सच्चा रहूं मैं।
कभी जब लौट करके मैं अपने गांव में आऊं ,
तो अपनी मां के ख़ातिर सदा बच्चा रहूं मैं।
इसी ख्वाहिश का, वो अब भी इज़हार करती ,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

©Shubham Mishra #sunset_time मां

ARBAJ Khan

काली दुनिया के शैतान के खोफ

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White शैतान की दासतान
वे कहते है। जब आप आश की एक छोटी - सी  उमीद निराशा में बदल जाती है। तब काली दुनिया से कोई हमारे लिए आएसान करने के लिए तैयार रहता है।
फिर वों कहते है। ना हर आएसान की कोई न कोई कीमीत होती है।

©ARBAJ Khan काली दुनिया के शैतान के खोफ

Anokhi

मां

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शुभम मिश्र बेलौरा

#sad_qoute मां

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White धूप बेगानी और पानी बेगाना दिखता है,
परदेशी रूह में न अपनापन झलकता है,
नमक रोटी बदली फटी लंगोटी बदली,
सब नया नया है पर वीराना लगता है।
चमकते सजीले चेहरे आंखों में चुभते हैं अब,
नींदों की चाहत में सो-सोकर जगते हैं अब,
तमाशाई होड़ में चले आये थे हम भी शहर पर, 
मां की यादों में रोज सिसकते रहते हैं अब।

©Shubham Mishra #sad_qoute मां
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