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AJAY NAYAK
चिड़िया रानी चिड़िया रानी चिड़िया रानी आ जाओ मेरी खिड़की की जाली पर आ जाओ एक कटोरी में भरकर रखी हूं चावल एक कटोरी में भरकर रखी हूं नीर जब भी लगे तुम्हें जोर जोर से भूख जब भी लगे तुम्हें जोर जोर से प्यास जब करे मन तुम्हारा, आकर खा जाओ जब करे मन तुम्हारा, आकर पी जाओ चिड़िया रानी चिड़िया रानी आ जाओ मेरी खिड़की की जाली पर आ जाओ देखो बनाई हूं, छोटी सी झोपड़ी एक साथ में बनाई हूं, छोटी सी पलंग एक जब भी लगे जोर जोर से तेज धूप जब भी लगे जोर जोर से तेज थकान जब करे मन तुम्हारा, आकर थम जाओ जब करे मन तुम्हारा, रात बिता जाओ चिड़िया रानी चिड़िया रानी आ जाओ मेरी खिड़की की जाली पर आ जाओ हर तरफ बस मचा है चिल पोल का शोर मीठे मधुर आवाजें हो गई है हमसे बहुत दूर आकर जरा, अपनी मीठी सी सुमधूर आवाज़ में अपनी रसभरी चूं चूं का गीत तुम सुना जाओ कोलाहल से भरे पड़े, हमारे घर आंगन में अपनी मीठी मीठी मिश्री सी धून घोल जाओ चिड़िया रानी चिड़िया रानी आ जाओ मेरी खिड़की की जाली पर आ जाओ –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #Birds चिड़िया रानी चिड़िया रानी चिड़िया रानी आ जाओ मेरी खिड़की की जाली पर आ जाओ एक कटोरी में भरकर रखी हूं चावल एक कटोरी में भरकर रखी हूं
Shruti Rathi
KP EDUCATION HD
KP TECHNOLOGY HD video editing apps 6 ©KP STUDY HD एम्स, नई दिल्ली ने एमबीबीएस स्टूडेंट्स के लिए आयोजित होने वाला नेशनल एग्जिट टेस्ट (NExT) मॉक टेस्ट रद्द कर दिया है. यह परीक्षा 28 जुलाई 2023
hardik mahajan
बढ़ता चला जा रहा, घोर कलयुग में अपराध, धरती पर है छाया, सुनो ये कैसा घोर अपराध। सुनो काँप उठी धरती, भी सबका सहते बोझ, हर रोज सबका भार, लेकर सुन उठाती रोज। कोई ना कोई होकर, भी देता है इसको चोट, कितना कुछ सहती, धरती कहें कभी ये सोच। मानव अभी हुआ है, कलयुगी धरती पर बोल, करता कितना है, अपराध पोल सबकी खोल। तड़प उठी रहकर, यह धरती सबका सह भार , फिर भी रहने को क्यों, मजबूर धरती पर यार। क्या कभी कहें धरती, सुनना कभी सोचो यार, कैसा यह कलयुग फिर, आज धरती पर प्यार। करता फिर क्यूं अत्याचार, कितना तू अपमान, धरती भी यह मां तुम्हारी, करना इसका सम्मान। वन उपवन हरियाली से, धरती की यह पहचान, सहती कितना धरती है, तुम हो सुनो मेहमान। ✍️✍️ ©hardik Mahajan कलयुगी मानव बढ़ता चला जा रहा, घोर कलयुग में अपराध, धरती पर है छाया, सुनो ये कैसा घोर अपराध। सुनो काँप उठी धरती, भी सबका सहते बोझ, हर रोज