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नवनीत ठाकुर
कभी खो जाने का डर था, फिर भी ढूंढते रहे, जब रौशनी मिली, तो फिर अंधेरों की सजा क्या है। हम नहीं चाहते थे कोई इनाम या शोर, पर जब खुद को समझ लिया, तो फिर ताल्लुुक़ में क्या है। ज़िंदगी के मोड़ों पे, ग़म और खुशी की छाँव मिली, मगर जब हकीकत सामने आई, तो फिर ख्वाबों में क्या है। तोड़ने चले थे हर तारा, अपने आसमान से, मगर जब खुदा मिला, तो फिर इस तलाश में क्या है। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर कभी खो जाने का डर था, फिर भी ढूंढते रहे, जब रौशनी मिली, तो फिर अंधेरों की सजा क्या है। हम नहीं चाहते थे कोई इनाम या शोर, पर जब
#नवनीतठाकुर कभी खो जाने का डर था, फिर भी ढूंढते रहे, जब रौशनी मिली, तो फिर अंधेरों की सजा क्या है। हम नहीं चाहते थे कोई इनाम या शोर, पर जब
read moreनवनीत ठाकुर
White हर रात की तन्हाई में चांदनी खो जाती है, सहर की रोशनी भी धुंधली हो जाती है। जिन लम्हों ने दिल पर दस्तक दी थी कभी, उन्हें दरकिनार किया जाए तो मुश्किल होगी। दर्द ने संवार दी हैं ये तहरीरें दिल की, ग़म ने निखार दी हैं तस्वीरें दिल की। हर कहानी का एक हिस्सा बन चुका हूँ मैं, खुद को मिटाया जाए तो मुश्किल होगी। आसमान से तारे भी पूछते हैं सवाल, क्यों उजाले में भी दिखता है ये मलाल? ज़िंदगी के हर ग़म को हमने गले लगाया, अब उन्हें छोड़ दिया जाए तो मुश्किल होगी। ©नवनीत ठाकुर #हर रात की तन्हाई में चांदनी खो जाती है, सहर की रोशनी भी धुंधली हो जाती है। जिन लम्हों ने दिल पर दस्तक दी थी कभी, उन्हें दरकिनार किया जाए तो
#हर रात की तन्हाई में चांदनी खो जाती है, सहर की रोशनी भी धुंधली हो जाती है। जिन लम्हों ने दिल पर दस्तक दी थी कभी, उन्हें दरकिनार किया जाए तो
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी कब छटेगे दुविधाओं के बादल साफ कभी अरमानो का आसमान होगा खता हमने कुछ की नही फिर कहर कियो हम सत्ता का झेल रहे है कण कण में भगवान रहते फिर सर्वे कर गुमराह कियो है सियासी दाँव मजहब बन गया इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sad_quotes इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा
#sad_quotes इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा
read morePravin Pawade
इश्क का मतलब ... नही जानते... तो क्या कीजीए... प्यार की चाह मे.... राह भुल बैठे... तो क्या कीजीए... इन उदास नजरों का... क्या था केहना.. सु
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