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ANIL KUMAR
गीत "बोल कबीरा” जिसको जितनी साँस मिली है, वो उतना ही गाएगा बोल कबीरा! जग है झूठा, बात यही दुहराएगा चलते जाना ही जीवन है, तो धीरे-धीरे रोज चलो सुख-दुःख का संगम है जीवन, धीरे-धीरे रोज बढ़ो कुछ ख्वाहिश दफनाते चलना, कुछ सपने बुनते जाना फूलों की चाहत हो लेकिन, काँटों को चुनते जाना कल क्या होगा किसको पता है, किसने जाना है आखिर कल की चिंता आज पे भारी, किसने माना है आखिर काली रजनी-सा जीवन में,कब? घोर अंधेरा छाएगा खुशियों के इक-इक पल को तुम, खोज-खोज के हार गए अपने हाथों ही पैरो पे ख़ुद, रोज कुल्हाड़ी मार गए जितना खोते हैं जीवन में, उससे ज्यादा मिल जाता जैसा बोते है मधुवन में, वैसा ही तो मिल पाता. घूम-घूम के लोट-लौट के, कर्म हमारे ही आते और इन्ही का लेखा जीवन, वेद शास्त्र भी बतलाते काँटे बोकर कौन भला फिर, वापस फूलों को पाएगा लड़ जाना हालातों से, बस, धीरज हिम्मत से डटकर डर लगता हो साँस भरो बस, साहस पौरूष से उठकर अपना काम करो सब प्यारे, घबराना अब ठीक नहीं मिट्टी से ऊपर उठकर भी, इतराना अब ठीक नहीं आज मगन हो चाहे जितना, झोली अपनी भर लेना शायद कल फिर मिले कभी ना, हँसते गाते जी लेना पहले पन्नो में शुरुआती, नाम तुम्हारा लिख जाएगा अनिल कुमार निश्छल हमीरपुर, बुन्देलखण्ड ©ANIL KUMAR गीत "बोल कबीरा” जिसको जितनी साँस मिली है, वो उतना ही गाएगा बोल कबीरा! जग है झूठा, बात यही दुहराएगा चलते जाना ही जीवन है, तो धीरे-धीरे
Rakesh frnds4ever
Rakesh frnds4ever
ना जाने क्या तकता रहता हूं ना जाने क्यों हर चीज से थकता रहता हूं ये मैं हूं, या फिर कोई और क्योंकि, पहले तो कभी ऐसा ना था या फिर ऐसा था, पर मुझे पता नहीं था जब से बाल्यावस्था की शुरुआती समझ आई थी तब से ये आंखे दूर क्षितिज के आसमान में ना जाने किसको तलाशती रहती हैं जैसे किसी से अनगिनत सवालों के जवाब चाहती हैं कि क्यों! ऐसा क्यों? आखिर क्यों ??? क्यों ,क्यों, क्यों,,.... ©Rakesh frnds4ever #Aasmaan #नाजाने क्या तकता रहता हूं ना जाने क्यों हर चीज से थकता रहता हूं ये #मैं हूं, या फिर कोई और क्योंकि, पहले तो कभी ऐसा ना था
my story_61
Vedantika
लिखे हैं ज़ज्बात दिल के किसी कोरे पन्ने पर। तुम्हारे साथ उतर आए आँखों के मुहाने पर। दो साल की दोस्ती में हर सुख-दुख बांटा हैं, ज़िंदगी है बेसब्र तुमसे अपनी कथा सुनाने पर। रचना में छुपा हुआ सार जरा पहचान लो तुम, दुनिया न समझ पाएगी लफ़्ज़ों मे बताने पर। 📮रचना का सार..📖 जन्मदिन विशिष्ट प्रतियोगिता :- 📌नीचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫 #rks2yearspecial 🌄रचना का सार..📖 को आज दो वर्ष
Kulbhushan Arora
My Self promotional series😂 "सच कहूं तो वह *दीप* ही है" 15साल तक किसी के साथ रहने के बाद भी अगर ऐसा लगे कि हम उसे ठीक से नहीं जान पाए तो यही कहना पड़ेगा कि
सुसि ग़ाफ़िल
सच है कड़वा है यकीन हैं जिंदगी वास्तव में संगीन हैं एक हाथ में लगें है कांटे दूसरा इश्क़ में लीन हैं| भर - भर के यहाँ देखे घाटे नुकसां दो घटा दो तीन हैं प्यार वालों के चेहरे काले बेवफाओं के मुख हसीन हैं| बाद में है यहां रातें - काली शुरुआती इश्क रंगीन हैं सब रास्ते रंग-बिरंगे मिलेंगे सब लोग यहाँ गम़गीन हैं| गम तो है यहां सागर इतना और खुशियां चंद महीन हैं एक दूसरे को ही काट खाए सारा मसला ही यहां जीन हैं| बने फिरते हैं बादशाह सारे हिस्से बस चार गज़ जमीन हैं "सुशील" समझता है एक बात यहां ना सब बंदे अमीन हैं| सच है कड़वा है यकीन हैं जिंदगी वास्तव में संगीन हैं एक हाथ में लगें है कांटे दूसरा इश्क़ में लीन हैं| भर - भर के यहाँ देखे घाटे
सुसि ग़ाफ़िल
बलात्कार ( रेप ) वाली मानसिकता के जिम्मेवार हम हैं। 👇 अनु शीर्षक में पढ़ें! रेप वाली मानसिकता के जिम्मेवार हम हैं। अक्सर हमारे समाज में यह होता है की आजकल के युवा इसमें मैं भी शामिल हूं बहुत ज्यादा इग्नोर करते है
Ami Bannu
अब हमें उनसे क्या चाहिए? (Read caption) 🤗❤️ एक दफ़ा उन्होंने रो कर कहा के कुछ नहीं चाहिए बस तू चाहिए बहुत मासूमियत थी उन आँखों में बहुत सच्चाई थी उन बातों में सुकून था उन रातों