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Writer Abhishek Anand 96
अगर वो खत लिखते प्रेम का तो वो कभी क्रांतिकारी नही होते अगर अगर अगर वो खत लिखते प्रेम का तो वो कभी क्रांतिकारी नही होते बात करने और समझाने से अगर युद्ध को रोका जाता तो मुरली वाले कभी महाभारत नही होने देते और 100 थप्पर के बदले 1 महज 1 थप्पर पोरोबंदर वाले बापु आपने मारा होता तो क्या पता शायद भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु जैसे हजारों देश भक्त फाँसी के फंदे झुले नही होते अगर आपने निष्पक्ष बांटा होता तो शायद आज धर्म के नाम पे हर जगह दंगे नही होते (अभिषेक सिंह) ©a æbhîßhêk ßïñgh पोरोबंदर वाले बापु....... #WritersSpecial
NEERAJ SIINGH
कृपया मेरी profile को भी follow कीजिये इससे भी YQ पोरोना फैलता है कृपया ऐसा ना करें मेरा भी पढलो ना - पोरोना है #neerajwrites yq हित मे जारी
Anupama Jha
आज भी किसी कविता को अंगुलियों के पोरों से लिखे जाने का इंतज़ार है शब्दों को रूह में उतरने का इंतज़ार है #कविता#रूह#अंगुली#पोरों#इंतज़ार #YoPoWriMo #Yqbaba#yqdidi
सुसि ग़ाफ़िल
मेरी प़ीठ के जख़्म अगर तुम्हारे पोरों की छुअन से जाते हैं तो मैं उनको स्वर्ग का गलियारा मानूंगा // मेरी प़ीठ के जख़्म अगर तुम्हारे पोरों की छुअन से जाते हैं तो मैं उनको स्वर्ग का गलियारा मानूंगा //
BRIJESH KUMAR
" यूँही नहीं है सादग़ी मेरी आँखों में... अक्सर पलकों के पोरों को भिगोता आया हूँ, मैं जीवन के हर मोड़ पर " " यूँही नहीं है सादग़ी मेरी आँखों में! अक्सर पलकों के पोरों को भिगोता आया हूँ, मैं जीवन के हर मोड़ पर " ब्रजेश कुमार ✒
Anuradha Vishwakarma
थॉमस हॉब्स (1588-1679) की प्रमुख किताबे :- 1) द सिवे या नागिरक 2) लेवायथन 3) द को पोरो पॉलिटिको 4) द होमिनी 5) ए डायलॉग अॉन द सिविल वॉरस 6) एलीमेण्टस ऑफ लॉ थॉमस हॉब्स (1588-1679) की प्रमुख किताबे :- 1) द सिवे या नागिरक 2) लेवायथन 3) द को पोरो पॉलिटिको 4) द होमिनी 5) ए डायलॉग अॉन द सिविल वॉर
BRIJESH KUMAR
इन डब-डबाई पलकों के पोरों पर मत जा तू देख अपनी धोखेबाज़ी मेरी मुस्कान में कितनी हैं..... ब्रजेश कुमार #Poetry #Quotes #Art #kavishala
Sarita Shreyasi
अंगुलियों के पोरों में, कसक एक रह गयी, कह न पायी जो बात अपनी, वह छुअन अनछुई रह गयी। तस्वीरों में तुमको, तुम्हारी नजर में खुदको, तराशती रह गयी, आसक्ति-अधिकार की खामोशियों में खोया, अपना खुदा तलाशती रह गयी। अंगुलियों के पोरों में, कसक एक रह गयी, कह न पायी बात अपनी, एक छुअन अनछुई रह गयी। तस्वीरों में तुमको, तुम्हारी नजर में खुदको, तराशती रह गयी,
सुसि ग़ाफ़िल
तेरी हथेली की रेखाओं को मैं छूना चाहता हूं मुझे पता है है एक मरुस्थल इनमें जहां है दुर्गंध एक अजीब सी है वहां नफरत बारिशों से मेरे पोरों की नमी से सुगंधित करना चाहता हूं मैं तेरी हथेली की गलियों से नंगे पांव गुजारना चाहता हूं | तेरी हथेली की रेखाओं को मैं छूना चाहता हूं मुझे पता है है एक मरुस्थल इनमें जहां है दुर्गंध
सुसि ग़ाफ़िल
इश्क है तुमसे माथा चूमु या फिर चूमु छाती अब दुनिया से क्या लेना उंगलियों में उंगलियां डालकर जुल्फें चेहरे पर रखकर हवा से उड़ाऊं या फिर पीठ पर बैठाकर तुझे बिस्तर के उस किनारे ले जाऊं अब दुनिया से क्या लेना होठों पर रखकर होठ खैर छोड़ो तुम्हारी पीठ पर घुमाऊं उंगलियां और उंगलियों की पोरों से लिखूं मैं तेरा मेरा नाम अब दुनिया से क्या लेना इश्क है तुमसे माथा चूमु या फिर चूमु छाती अब दुनिया से क्या लेना उंगलियों में उंगलियां डालकर