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Ram Prakash
Unsplash मौज मस्ती से जो ऊबे हैं लालच के युद्ध में डूबे हैं ©Ram Prakash #traveling युद्ध
#traveling युद्ध
read moreShiv Narayan Saxena
White अंतर का गृह-युद्ध हमेशा मन से ही तो होता है। मन के ऐसे हालातों का मन खुद आप विजेता है।। मन में ठान लिया सरिता को सागर से मिलवाता है। निरुद्देश्य नालों में बहता जल बस सड़ता जाता है।। ©Shiv Narayan Saxena #GoodMorning अंतर का गृह-युद्ध..... poetry in hindi
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read moreShiv Narayan Saxena
White सबसे बड़ी विडंबना , अंतर का गृह-युद्ध। मुश्किल खुद को जीतना, जीते सोई बुद्ध।। अंतर का गृह-युद्ध यह, किया करे संकेत। खुद को जीते चेत वह, बाकी सभी अचेत।। अंतर के गृह - युद्ध से, बल-मद टूटा जाय। हरि ने करुण पुकार पे, गज को लिया बचाय।। ©Shiv Narayan Saxena #sad_qoute अंतर मन का युद्ध hindi poetry
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read moreVIMALESH YADAV
ब्रिटेन फ्रांस युद्ध #documentry #historical Knowledge #kitabibaaten #डॉक्यूमेंट्री, #ऐतिहासिक, #शैक्षिक #vimaleshyadav
read moreAvinash Jha
कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha #संशय #Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
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read moreneelu
White युद्ध से पहले क्या करना चाहिए? ©neelu #good_night #युद्ध से #पहले क्या #करना #चाहिए_था
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read moreaditi the writer
White बज उठी रणभेरी,जाग गया रक्त वीरों का आज, हुआ समर का आरंभ,गूंज उठी वीरों की तलवार आज। ज्वाला धधक रही नैनों में, और हाथों में है शस्त्र आज। भालों और तलवारों से दुश्मनों की चीत्कारों से गूंज रहा रणक्षेत्र आज। जन्मभूमि की खातिर समर है, प्रशस्त वीरों की गाथा से आज। वीरों का बलिदान व्यर्थ न जाएगा , स्वर्णाक्षरों में नाम वीरों का इतिहास में लिखा जाएगा। समर रहेगा याद यह,बस याद करने वाला बदल जाएगा। जब जब इतिहास खुद को दोहराएगा, वीरों को याद अभिमान से किया जाएगा।। ©aditi the writer #युद्ध Kumar Shaurya आगाज़ m raj. g vineetapanchal
#युद्ध Kumar Shaurya आगाज़ m raj. g vineetapanchal
read moreनवनीत ठाकुर
White युद्ध के लिए तैयार हिस्से के युद्ध खुद लड़ने पड़ेंगे, हाथ में तलवार हो, न हो भाल। निर्भीक होकर रण में कूद पड़, यह न सोच अब, जीत मिले या हार। मन में धैर्य, आँखों में आग, संघर्ष की राह पर, ना हो कोई भाग। हर कदम पर होगा एक नया अनुभव, सपनों को साकार करने का है ये उत्सव। जब तक तुम ना थक जाओ, कदम बढ़ाते जाओ, आगे बढ़ते जाओ। जीवन की इस जंग में, तुम नहीं अकेले, साथ है अपने सपने, और है अपने छाले। हर हार में छिपी है एक नई सिख, हर जीत में है संघर्ष की मिठास। इस रणभूमि में तुम बनो योद्धा, खुद से करो मुकाबला, ये है असली अभ्यास। ©Navneet Thakur हिस्से के युद्ध #shayari
हिस्से के युद्ध shayari
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