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Sonal Panwar
हौंसलों के पंख लगा उड़ने लगा ये मन, जैसे चांद चले बादलों में छूने को नील गगन। ©Sonal Panwar चांद गगन में 🌛☁️✨💫 #Chand #Moon #MoonShayari #Poetry #Shayari #hindiwritings #Nojoto
चांद गगन में 🌛☁️✨💫 #Chand #Moon #MoonShayari Poetry Shayari #hindiwritings #शायरी
read moreDev Rishi
उमंग से अच्छा सुकून की छांव मिली है अब लौट न आना तुम कभी,ये दिन बड़े नसीब से मिली है ..!💔💯💯 ©Dev Rishi उन्मुक्त गगन में मन...💯
उन्मुक्त गगन में मन...💯 #शायरी
read moreVEER NIRVEL
धरा की आग में तपकर गगन को छेद कर देंगे, हम अपने नाम का परिचय निशाना भेदकर देंगे... #चक दे इंडिया #Veer_Ki_Shayari ©VEER NIRVEL धरा की आग में तपकर गगन को छेद कर देंगे, हम अपने नाम का परिचय निशाना भेदकर देंगे... #चक दे इंडिया #Veer_Ki_Shayari
धरा की आग में तपकर गगन को छेद कर देंगे, हम अपने नाम का परिचय निशाना भेदकर देंगे... #चक दे इंडिया #Veer_ki_Shayari
read moreKaramsingh Bhuihar
तितली बनकर उड़ते गगन में झूम झूम कर नाचूंगी। भौंरा बनकर फूलों का रस पीने को आऊंगी। आसमान के ऊपर से ज़ोर ज़ोर से चिल्लाऊंगी। मेरे जितने साथी हैं पास उन्हें बुलाऊंगी। ताज़ा ताज़ा फूलों की रस मैं पिलाऊंगी। मेरे बगीया की खूब शैर कराऊंगी। चुन चुन कर फूलों की रस मैं निकालूंगी। घर आंगन गलियों को खूशबू से महकाऊंगी।पल में तितली पल में भंवरा बन कर मैं मंडराऊंगी। जो भी मेरे पास आए गीत नया सुनाऊंगी। तितली हूं तो क्या हुआ ताज महल बनाऊंगी।इक बार तुम आ जाओ उडना तुम्हें सिखाऊंगी। अपने पीठ पर बिठाकर तुमको खूब मज़ा दिलाऊंगी। तितली बनकर उड़ते गगन में .... ©Karamsingh Bhuihar तितली बनकर उड़ते गगन में...#TiTLi#titliyon#TiTliyan#
Nandita Tanuja
#poetryunplugged कि सुबह होने तक सूरज मौन कही दूर गगन में यूँ भी छिप जाए...!! #मेरी रुह© #कविता
read moreMohd Asif
White फूलों ने अमृत का जाम भेजा हैं… सूरज ने गगन से सलाम भेजा हैं… मुबारक हो आपको नयी सुबह ….. तहे दिल से हमने ये पैगाम भेजा हैं … “सुप्रभात “ ©Mohd Asif #फूलों ने अमृत का जाम भेजा हैं… सूरज ने गगन से सलाम भेजा हैं… मुबारक हो आपको नयी सुबह ….. तहे दिल से हमने ये पैगाम भेजा हैं … “सुप्रभात “
Shashi Bhushan Mishra
चाँद इतराता गगन में, चाँदनी गुलज़ार मन में, प्रेम की है सुगबुगाहट, सुरसुरी है तन-बदन में, छल गया है एक छलिया, हुई गलती बाँकपन में, फूल पे भँवरे का पहरा, और ख़ुश्बू है चमन में, भूलकर पहचान अपनी, मस्त दुनिया पैरहन में, देख तन्हाई का मंज़र, आ गए हम अंजुमन में, खुशनसीबी यही 'गुंजन', क़ैद है दिल गुलबदन में, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई ©Shashi Bhushan Mishra #चाँद इतराता गगन में#
Sangeeta Kalbhor
White उदित हुआ है प्रभाकर नई आशाओं के साथ चूपचाप क्यूँ बैठा है बंदे मिला दे हाथों में हाथ चल उठ तुझे उठना है यूं ना हारकर बैठ कभी गगन तुझे बुला रहा है चिंताओं की गठरी फेंक दे अभी तू है तेरा सहारा बात ये ध्यान में रखना बहोत देख चुके हो औरों को कभी अपने अंदरवाले को भी देखना खोल आँखें.. जिंदगी बुला रही है तुझे तेरा होने के लिए ही जिंदगी पुकार रही है..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #SunSet उदित हुआ है प्रभाकर नई आशाओं के साथ चूपचाप क्यूँ बैठा है बंदे मिला दे हाथों में हाथ चल उठ तुझे उठना है यूं ना हारकर बैठ कभी गगन तुझ
Harishchandra King
White गरज उठे गगन सारा समुंदर छोड़े अपना किनारा हिल जाए दुनिया सारा जब गूंजे जय श्री राम का नारा ! Happy Ram Navami 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ©Harishchandra King #ramnavmi गरज उठे गगन सारा समुंदर छोड़े अपना किनारा हिल जाए दुनिया सारा जब गूंजे जय श्री राम का नारा ! Happy Ram Navami
#ramnavmi गरज उठे गगन सारा समुंदर छोड़े अपना किनारा हिल जाए दुनिया सारा जब गूंजे जय श्री राम का नारा ! Happy Ram Navami #Motivational
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- बढ़ाकर हाथ को छू लो गगन को । मिटा दो दिल से तुम अब हर शिकन को ।।१ चलोगे नेक पथ पर जब कभी भी । झुकेंगें फिर वो सिर तेरे नमन को ।।२ हिदायत तो यही सबको मिली है । कि भूलोगे न फिर अपने वतन को ।।३ न जाने पाये वो बचकर इधर से । डगर में आज बैठा दो नयन को ।।४ नहीं आती हमें है नींद तुम बिन । करूँ क्या मैं भला जाके शयन को ।।५ उठी आवाज है दिल से अभी ये । निभाना है हमें सारे वचन को ।।६ वफ़ा का नाम मत लेना प्रखर तुम । तरसते रह गये वह सब कफ़न को ।।७ १२/०४/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- बढ़ाकर हाथ को छू लो गगन को । मिटा दो दिल से तुम अब हर शिकन को ।।१ चलोगे नेक पथ पर जब कभी भी । झुकेंगें फिर वो सिर तेरे नमन को ।।२ हिदा
ग़ज़ल :- बढ़ाकर हाथ को छू लो गगन को । मिटा दो दिल से तुम अब हर शिकन को ।।१ चलोगे नेक पथ पर जब कभी भी । झुकेंगें फिर वो सिर तेरे नमन को ।।२ हिदा #शायरी
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