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GANESH EDITZ
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :- रखना खुद को है सुखी , हर जन की यह चाह । भटक रहा फिर भी मगर , कहीं न पाये राह ।। कहीं न पाये राह , वेदना यूँ ही बढ़ता मंदिर मस्जिद देख , दुवाएं में है झुकता ।। दीन-हीन को कष्ट , दिलाने आगे बढ़ना । चाहे फिर भी आज , स्वयं को सुख में रखना ।। ०५/०४/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- रखना खुद को है सुखी , हर जन की यह चाह । भटक रहा फिर भी मगर , कहीं न पाये राह ।। कहीं न पाये राह , वेदना यूँ ही बढ़ता मंदिर मस्जि
PURAN SINGH CHILWAL
ram lalla सच्ची बात 🌻🌻🌻🌻🌻 🥀🥀जब सुख आए तो ईश्वर को मत भूलना🥀🥀 🥀🥀 और जब दुख आए तो ईश्वर पर विश्वास रखना🥀🥀 🌻🌻🌻🌻🌻🌻 🌷🌷अगर सलाह देने वाले साथ देने लग जाए🌷🌷 🌷🌷 तो ये पूरी दुनिया खुशियों से भर जाए गी🌷🌷 ©PURAN SINGH CHILWAL #ramlalla 💌सच कह देने से मन बड़ा हल्का हो जाता है और झूठ कहने वाले को हमेशा डर सताता रहत है💌 🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀 दुख भोगने वाला इंसान तो आगे चलकर सुख
Devesh Dixit
बचपन बचपन होता कितना प्यारा हर गम से अनजान है खेलना, कूदना मस्ती करना यही तो इसकी शान है बचपन में हुई उनकी हर बातें मन को बहुत भाती हैं बचपन की मीठी सी आवाजें श्रवणों को सुहाती हैं बचपन का हंसना खिल-खिलाना सबको प्रफुल्लित करता है बचपन में मां-बाप से लिपटना मां बाप को सुखी करता है ईश्वर की प्यारी देन है ये ईश्वर के ही समान है सच्चा प्यारा जीवन है ये ये ही पुष्प समान है बचपन होता कितना प्यारा हर गम से अनजान है खेलना, कूदना मस्ती करना यही तो इसकी शान है ................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #bachpan #nojotohindi #nojotohindipoetry बचपन बचपन होता कितना प्यारा हर गम से अनजान है खेलना, कूदना मस्ती करना यही तो इसकी शान है
N S Yadav GoldMine
Meri Mati Mera Desh {Bolo Ji Radhey Radhey} मनुष्य को अनुकूल - प्रतिकूल परिस्थितियों के आने पर सुखी - दु:खी नहीं होना चाहिये; क्योंकि इनसे सुखी - दु:खी होने वाला मनुष्य संसार से ऊँचा उठ कर परम आनन्द का अनुभव नहीं कर सकता। ©N S Yadav GoldMine #MeriMatiMeraDesh {Bolo Ji Radhey Radhey} मनुष्य को अनुकूल - प्रतिकूल परिस्थितियों के आने पर सुखी - दु:खी नहीं होना चाहिये; क्योंकि इनसे
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा जब भी तुम आहार लो , ले लो राधा नाम । रोम-रोम फिर धन्य हो , पाकर राधेश्याम ।। कभी रसोई में नहीं ,करना गलत विचार । भोजन दूषित बन पके , उपजे हृदय विकार ।। प्रभु का चिंतन जो करे , सुखी रखे परिवार । आपस में सदभाव हो , सदा बढ़े मनुहार ।। प्रभु चिंतन में व्याधि जो , बनते सदा कपूत । त्याग उसे आगे बढ़े , वह है रावण दूत ।। प्रभु की महिमा देखिए , हर जीव विद्यमान् । मानव की मति है मरी , चखता उसे जुबान ।। पारण करना छोडिए , विषमय मान पदार्थ । उससे बस उत्पन्न हो , मन में अनुचित अर्थ ।। २९/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा जब भी तुम आहार लो , ले लो राधा नाम । रोम-रोम फिर धन्य हो , पाकर राधेश्याम ।। कभी रसोई में नहीं ,करना गलत विचार । भोजन दूषित बन पके ,