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HintsOfHeart.
"आ जाना प्रिय आ जाना! अपनी एक हँसी में मेरे आँसू लाख डुबा जाना! फैला वन में घन-अन्धकार, भूला मैं जाता पथ-प्रकार- जीवन के उलझे बीहड़ में दीपक एक जला जाना। सुख-दिन में होगी लोक-लाज, निशि में अवगुंठन कौन काज? मेरी पीड़ा के घूँघट में अपना रूप दिखा जाना। आ जाना प्रिय आ जाना!"¹ ©HintsOfHeart. #अज्ञेय #जन्मजयंती ( 07 March 1911) 1. सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' - हिन्दी में अपने समय के सबसे चर्चित कवि, कथाकार, निबन्धकार,
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय" के कलम से प्रस्तुत है- जो पुल बनाएँगे वे अनिवार्यत: पीछे रह जाएँगे। सेनाएँ हो जाएँगी पार मारे जाएँग
Deepak Kanoujia
प्रेम सहेजो तुम जैसे वर्षों से सहेजे गए कंगन किसी नववधू के जैसे सहेजा गया कोई मोती किसी सीप में जैसे सहेजी गयी कुछ सेल्फियां और तस्वीरें वर्षों तक... प्रेम मुझसे जैसे कस्तूरी कोई किसी मृग की, होता हूँ तुझमें ही और रहूँगा तुझमें ही कहीं... ना मांगो इसे स्वर्ण मृग समझ कोई ना भेजो किस
CK JOHNY
सच्चिदानंद =सत्+चित्+आनंद सत्= ।।यत् अस्ति त्रिकालेषु न बाध्यते तत् सद्।। जो सदा वर्तमान है और तीनों कालों के बंधन से मुक्त है वह सत् है। चित्= ।।यः चेतयति संज्ञापयति सर्वान् सः चित्।। जो समस्त चेतन आत्माओं को सत्य असत्य के लिए हमेशा चेताता रहता है वह चित है। आनंद = ।।यः सर्वान् आनंदयति सः आनंदम्।। जो समस्त आत्माओं को आनंद प्रदान करता है वह आनंद है। जो सदा सदमार्ग अपनाने के लिए चेताता रहता है उस परमेश्वर को सच्चिदानंद कहते हैं। सच्चिदानंद
Deepak Sayar
अभिनंदन बंदन तेरा रहने को ब्रज धाम दिया , मुझको भी ऐसा देना भगवन जैसे अर्जून को गीता ज्ञान दिया , गुरु पूर्णिमा कि सभी को हार्दिक शुभकामनाएं ©Deepak Sayar Mathura श्री सच्चिदानंद भगवान श्रीकृष्ण की जय
Devanand Jadhav
थिजले धुक्यात सारे वृक्ष वल्लरीचे रूप गोठले जणू हिवाने सच्चिदानंद स्वरूप ✍🏻©•देवानंद जाधव• •धामणी (लोणी)• jdevad@gmail.com 9892800137 ©Devanand Jadhav थिजले धुक्यात सारे वृक्ष वल्लरीचे रूप गोठले जणू हिवाने सच्चिदानंद स्वरूप
Binay Kumar Shukla
Devanand Jadhav
चारोळी २१/३... धुक्यामधे थिजले सारे वृक्ष वल्लरीचे रूप जणू गोठले हिमात सच्चिदानंद स्वरूप ✍🏻© •देवानंद जाधव• jdevad@gmail.com 9892800137 ©Devanand Jadhav चारोळी २१/३... धुक्यामधे थिजले सारे वृक्ष वल्लरीचे रूप जणू गोठले हिमात सच्चिदानंद स्वरूप ✍🏻© •देवानंद जाधव•