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Mukeshdan Gadhavi
White Change in hard at first, messy in the middle, and gorgeous at the end. ©Mukeshdan Gadhavi #Thinking
Schizology
My definition of poetry Poetry is collective thoughts Poetry is a collection of thoughts Poetry is recording ideas Poetry is documenting your mind A thought that's created from nothing An idea that may be written in a pattern Poetry is emotional feelings An emotional time we find in our lives Poetry is writing about a physical state A physical condition we might describe Poetry is omnidirectional N, E, S, W Poetry is unpredictable and random Poetry is all around us and breathing Poetry is like having a sixth sense Poetry is alive and active and alert Poetry is all the colours of a rainbow An entity that is all knowing It's in all levels of education It's unstoppable Permanent ©Schizology My definition of poetry #Definition #Poetry
My definition of poetry #Definition #Poetry
read moreमनीष कुमार पाटीदार
White सोचते हैं बहुत सोचना आसान है। दिखाई दे सच, सच भी नादान है। जो गुज़र गई उसका मलाल नहीं, जो गुज़र रहा पल वह मेहरबान है। हर चेहरा जाना पहचाना तो नहीं, मगर अजनबी भी यहॉं मेहमान है। किसी की राह में सहारा बन जाना, अच्छी आदत में कहॉं नुकसान है। नज़र तो पैनी रखेंगे अपने काम में, नज़र में आजकल अच्छे इंसान है। ज्यादा टकटकी न लगाना 'मनीष' अभी - अभी सफ़र में इम्तिहान है। ©मनीष कुमार पाटीदार #Thinking
Sakshi Shankhdhar
White शहर में थे लाखों मगर, हम बस उन्ही पर मर गए, हमने छोड़ दी दुनिया उनके लिए, और वो जनाब किसी और के हो गए। वादा था राह ए मोहब्बत पर चलने का, हमको बीच सफ़र में छोड़, जनाब हमसफर किसी और के हो गए। हमारे तो ख्वाबों में वो बसते है, जब खोली आंखे एक सुबह, जनाब हकीकत में किसी और के हो गए। अजनबी सा रिश्ता था, मिले भी थे अजनबी राहों में, मोहब्बत का सिलसिला चोरी से शुरू हुआ, जनाब सरेआम किसी और के हो गए। उनकी यादों में इतना जले रात दिन, जैसे जलता है परवाना शमा के लिए, जनाब यूं होके बेखबर किसी और के हो गए। ©Sakshi Shankhdhar #Thinking
Siya Singh
White jo likha hai kismat me wahi hona hai to phir rona kaisa jo hai hai hi nhi apna to use khona kaisa... ©Siya Singh thinking
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