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Parasram Arora
नामुमकिन है अनजाने पथ की भूलभलैया भेद पाना तुम्हारे लिए .....क्योकि न तुम अभिमन्यु हो न तुम अर्जुन की तरह निपुण हो जो इस चक्र्व्यूह से छुटकारा पा सको .......और सबसे बड़ी बात तुम्हारा सारथि वो धनुर्धारी कृष्ण भी यहां नहीं है जो तुम्हारे जीवन रथ की दिशा बदल सके ..... चक्रव्यूह ......
Parasram Arora
#KargilVijayDiwas तुम्हारे लिए इस अनजान पथ की भूलभुलैया को बेध पाना सम्भव ही नहीं नामुमकिन है क्योंकि न तुम अभिमन्यु हो न तुम अर्जुन की तरह इस चक्र्वयूह से अपनी जान को बचा सको और सबसे बड़ी बात तुम्हारा बो सारथी कृष्ण भी यहां नहीं है जो आकर तुम्हारे रथ की दिशा को बदल देगा........ #चक्रव्यूह.......
अर्पिता
हम सब खुदा के द्वारा बनाये गए चक्रव्युह में फँसे हुए बन्दे हैं, इससे तभी बाहर निकल पाएंगे, जब खुदा खुद चाहेगा... ©अर्पिता #चक्रव्यूह
vs dixit
चक्रब्यूह ............. दिनों दिन बुनते हुए सपने बढ़ती हुई अभिलाषायें और उड़ान की चाहत के बीच उतरती चढ़ती मानव की मन: स्थिति कभी कभी ऐसी फंस जाती है जैसे हो मकड़ी के जाले बीच अंधकार से भरे चक्रब्यूह में बेचैन, भटकता उस चक्रब्यूह को तोड़ने की जितना कोशिश करता है फंसता ही चला जाता है हजार कोशिशें करता है पर निकलने में नाकाम रहता है बस फंसता ही चला जाता है अन्त में थक हार कर अपने को छोड़ देता है सारी इच्छाओं को छूटते देखता हुआ ठगा सा छटपटाता हुआ समर्पण कर देता है सदा के लिए सो जाता है अंधेरे चक्रव्यूह में समा जाता है| @वीएस दीक्षित ©vs dixit #चक्रव्यूह
ललेश अजनबी,,,
Autumn चक्रव्यूह की रचना करके, रचनाकार वो बन बैठे ढीठ अधर्मी वो क्या जाने, स्वसंघार वो कर बैठे ©ललेश अजनबी,,, #चक्रव्यूह
Ujjawal Kumar
जब तक चुप साधे, इन षड्यंत्रों का प्रतिकार किया न जायेगा, रचते जायेंगे यूं व्यूह प्रतिदिन धर्म के वाहक छूटते जायेंगे। #चक्रव्यूह
Anjali Nigam
कैसा है ये जिंदगी का चक्रव्यूह बाहर निकलने ही नहीं देता हर कोशिश नाकाम हो जाती है संघर्ष अब जीने नहीं देता जो बाग लगाया था हमनें फूलों का तूफानों का जोर उसे महकने नहीं देता हर इल्जाम हम पर ही क्यों लगता है क्या मुझसा सहने वाला दुनियां को नहीं मिलता.....?? ©Anjali Nigam #चक्रव्यूह
HARSH369
सराफत से भरी दुनिया,कलयुग मे मुमकिन नही हरामी लोगो के यहां दुनिया कदम चूमती है अगर मासूम है कोई व्यक्ति यहां उसके सर पर रोजाना मौत घूमती है..! एक तरफ पहाड़ दुसरी तरफ खाई यही चक्रव्यूह है ,निकलना यहां से मुस्किल वही निकलेगा जो है लड़ने के काबिल..!! ©Shreehari Adhikari369 #चक्रव्यूह
Anupama Jha
हमारी इन्द्रिय, हमारा मन, हमारी बुद्धि, हमारी आत्मा, और ,सर्वोपरि परमात्मा, चक्रव्यूह मे इनके पूरी विश्व है लिप्त, किसकी है आत्मा तृप्त? हर सतहों पर प्रश्नों का अथाह समुद्र जिसे पार करने मे लगा हर मनुष्य. होड़ लगी है आगे-पीछे जन्म-जन्मान्तर सुधारने को , कितनो ने ही पढ़ी गीता , और गाया रामायण को , पर उसे ही मिली मुक्ति जिसने नर मे देखा नारायण को ........ #चक्रव्यूह #YQdidi