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Anjali Singhal

Love "जाने कब मिलेगी उनकी यादों से रिहाई! भरकर रख दी है दिल में यादों ने तन्हाई!!" #AnjaliSinghal #Shayari nojoto

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"जाने कब मिलेगी उनकी यादों से रिहाई!
भरकर रख दी है दिल में यादों ने तन्हाई!!"

©Anjali Singhal #Love 

"जाने कब मिलेगी उनकी यादों से रिहाई!
भरकर रख दी है दिल में यादों ने तन्हाई!!"

#AnjaliSinghal 
#shayari  
#nojoto

अनिल कसेर "उजाला"

सताने से

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रिपुदमन झा 'पिनाकी'

#कब

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White ज़िन्दगी  पूछती  है  ज़िन्दगी  जियोगे  कब।
स्वाद इस ज़िन्दगी की मौज का चखोगे कब।
ऊम्र अपनी बिता रहे हो फंँस के उलझन में -
आसमाँ  पर  उड़ानें सपनों की  भरोगे  कब।

आप खुद  से बताओ  यार अब  मिलोगे कब।
क़ैद कर रखा है खुद को जो तुम खुलोगे कब।
पालते हो  क्यूँ  दिल में  ग़म  उदास  रहते  हो-
रंग  जीवन में अपने खुशियों की  भरोगे  कब।

जी रहे हो घुटन में खुल के साँस लोगे कब।
दुःख के दुश्मन को हौसलों से मात दोगे कब।
कुछ  नहीं  मिलता  है औरों  के लिए जीने से-
हो चुके  सब  के  बहुत अपने बता  होगे कब।

रिपुदमन झा 'पिनाकी' 
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #कब

jameel Khan

# प्यार से #

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White तेरी निग़ाह के हम वार से मारे गए 
तेरे प्यार मे हम बड़े प्यार से मारे गए 

जमील

©jameel Khan # प्यार से #

Himanshu Prajapati

#love_shayari तुझे चाहूं तुझे देखूं कब तक, तुझे बुलाऊं तुझे तराशूं कब तक, तु तो रहतीं हैं अब किसी और के जहां में.. तुझे अपनाऊं या भुल जाऊ कब

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White तुझे चाहूं तुझे देखूं कब तक,
तुझे बुलाऊं तुझे तराशूं कब तक,
तु तो रहतीं हैं अब किसी और के जहां में..
तुझे अपनाऊं या भुल जाऊ कब तक..!

©Himanshu Prajapati #love_shayari तुझे चाहूं तुझे देखूं कब तक,
तुझे बुलाऊं तुझे तराशूं कब तक,
तु तो रहतीं हैं अब किसी और के जहां में..
तुझे अपनाऊं या भुल जाऊ कब

theABHAYSINGH_BIPIN

दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़

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दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे,
जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे।
खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा,
पड़ी ज़ंजीरों से ख़ुद को कब तक बाँधोगे।

वक़्त के साथ बेहिसाब ग़लतियाँ की हैं तुमने,
सलाखों के पीछे ख़ुद को कब तक छुपाओगे?
जो कभी साथ छांव सा था, वह अब छूट गया,
आख़िर खुद से ये जंग कब तक लड़ोगे।

लोग माफ़ी देते हैं एक-दूसरे को अक्सर,
आख़िर तुम खुद को कब तक सताओगे।
रिहाई जुर्म से नहीं मिलती, यह तो मालूम है,
आख़िर ग़लतियों पर कब तक पछताओगे।

प्रकृति में सूखी डालें भी बहार में पनपती हैं,
खुद को सहलाने का वक़्त कब तक टालोगे।
वक्त हर नासूर बने ज़ख्मों को भी भरता है,
आख़िर ज़ख्मों को भरने से कब तक डरोगे।

©theABHAYSINGH_BIPIN दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे,
जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे।
खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा,
पड़ी ज़ंजीरों से ख़

theABHAYSINGH_BIPIN

#love_shayari वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते, बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते। एहसासों को रखकर हाशिये पर, प्यार से यूँ ही कब तक भागते। हर

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White वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते,
बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते।
एहसासों को रखकर हाशिये पर,
प्यार से यूँ ही कब तक भागते।

हर दर्द के पीछे कोई बात होती है,
हर खामोशी में एक आवाज़ होती है।
पलकों के साए से कब तक छिपोगे,
दिल की पुकार से कब तक बचोगे।

प्यार बुरा है, ये बहाना कब तक,
खुद से दूरी का फसाना कब तक।
वक्त की इस रेत पर नाम लिखो,
एक बार प्यार से अपनी राह चुनो।

©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari 

वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते,
बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते।
एहसासों को रखकर हाशिये पर,
प्यार से यूँ ही कब तक भागते।

हर

theABHAYSINGH_BIPIN

किस कदर बेखबर है वो मुझसे, एक साया है मगर साथ कब से। ढूंढने की कोशिश में उलझा हूँ, जाने कहाँ खो गई है वो हमसे। अरसा हुआ, उसके चेहरे पर मुस

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किस कदर बेखबर है वो मुझसे,
एक साया है मगर साथ कब से।

ढूंढने की कोशिश में उलझा हूँ,
जाने कहाँ खो गई है वो हमसे।

अरसा हुआ, उसके चेहरे पर मुस्कान,
खिला नहीं कोई गुलाब भी कब से।

सवालों का पिटारा है मेरे दिल में,
पर पूछने की इजाजत नहीं उससे।

नज़रों से सवाल कर जाती है,
अब नज़र मिलती नहीं मेरी उससे।

देखकर मेरे बगल से गुजर जाती है,
सोचता हूँ, सजा दूँ बालों में गजरे।

कैसी बेताबी है, उसे क्या ख़बर,
देख ले इश्क़, जो मिल जाए नज़रे।

किस कदर सब्र का चोला पहना,
इसी हाल में जी रहा 'अभय' कब से।

©theABHAYSINGH_BIPIN किस कदर बेखबर है वो मुझसे,
एक साया है मगर साथ कब से।

ढूंढने की कोशिश में उलझा हूँ,
जाने कहाँ खो गई है वो हमसे।

अरसा हुआ, उसके चेहरे पर मुस

Parasram Arora

कब?

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Unsplash मेरी बिगड़ेल  चाहतो 
से मुझे राहत मिलेगी कब?

मेरे शरारती स्वार्थी तत्व 
आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ?

मेरा मौन  चिल्लाना चाहता है युगो से 
आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब?

©Parasram Arora कब?

संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

स्वलिखित शायरी शीर्षक रिश्तों का शीशमहल विधा शायरीनुमा भाव वास्तविक रिश्तों का शीशमहल कब मकान में बदल गया पता न चला, भावुकता कब ईंट पत

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