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Stories related to arjun kapoor childhood pics

Vivek Singh

#Allu Arjun ki giraftari per bharke Ravi kishan

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NAVRANG

pushpa 2 roll Allu Arjun

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Writer Mamta Ambedkar

#Childhood

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गद्दारों के शहर में

दिल की बात कहे भी तो,
किससे कहे, यहां सब गद्दार हैं।
चेहरे पर मुस्कान, दिल में खंजर,
हर कोई छल-कपट का साकार है।

बातों में मलहम, हाथों में नमक,
दिखावटी अपनापन हर ओर है।
दर्द पूछते हैं, सहला के,
फिर घावों को चीरने का जोर है।

यहां सच की आवाज़ दबा दी जाती,
झूठ के सिक्के खनकते हैं।
अपनों के बीच भी परायापन,
दिलों में फासले पलते हैं।

तो किससे कहें ये दिल की बात,
कौन सुनेगा हमारी पुकार?
इस अंधेरे में ढूंढ़ रहे रोशनी,
जहां हर रिश्ता एक व्यापार।








पर दिल है कि उम्मीद नहीं छोड़ता,
शायद कहीं कोई अपना भी हो।
जो मलहम भी लगाए, सहलाए,
और नमक के घावों से बचाए।

©Writer Mamta Ambedkar #Childhood

Avinash Jha

#Childhood

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वात्सल्य का स्पर्श

जब मुस्काए किलकारी बन,
भर दे घर आंगन की चहल-पहल।
छोटे हाथों की छुअन से,
झूम उठे सारा घर-आलय।

नन्हें कदमों की वो आहट,
जैसे सुबह का पहला किरण।
माँ के आंचल में छुप जाए,
पिता के कंधों पर वो सुमिरण।

उनकी हँसी का संगीत सुन,
दीवारें भी गुनगुनाने लगतीं।
खिलौनों की मीठी बातें,
हर कोना दर्पण बन जातीं।

नटखट शैतानी में छिपा,
जीवन का अनमोल ज्ञान।
हर बिखरी चीज़ में झलकता,
स्नेह का अनुपम सम्मान।

माँ के हाथों से खाए निवाले,
स्वाद बन जाते हैं अमृत।
पिता की उँगली पकड़कर चले,
हर सफर लगता है सरल।

वो छोटे-छोटे सवाल,
जैसे गूंजें नदियों के सुर।
उनकी जिज्ञासा से सीखें,
हर पल का अद्भुत मर्म।

इस वात्सल्य की सुगंध से,
महक उठे हर आशियाना।
एक बच्चे की मासूमियत से,
सजता है सारा जमाना।

©Avinash Jha #Childhood

nazish hameed

Pushpa 2 allu Arjun

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Avinash Jha

कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था,
दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था।
धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन,
सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन।

व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया,
भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया।
मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ,
किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ?

पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना,
पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना?
जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए,
आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए।

"हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई,
जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई।
क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा,
जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?"

अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल,
धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल।
कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से,
"जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है।

हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो,
धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो।
यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है,
तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है।

©Avinash Jha #संशय
#Mythology  #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun

#कहेंगे ना...

childhood

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दुनियां की सबसे बड़ी त्रासदी है,
बच्चों से उसका बचपन छीन लेना।

©#कहेंगे ना... childhood

Dear ma'am

#Childhood

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बचपन में सबसे अधिक पूछा गया एक सवाल:
बड़े होकर क्या बनना है?
अब जाकर जवाब मिल रहा है,
कि फिर से ही बच्चा बनना है।
फर्क बस इतना है.
एक बचपन का जमाना होता था,
 जब खुशियों का जमाना था
चाहत होती चांद को पाने की,
मगर अब दिल केवल
 भावना नाम की तितली का दीवाना है 
क्यों की दिल तो बच्चा है जी 
Happy Children’s Day!

©Dear ma'am #Childhood

Shanthi Shanthi

arjun in mysore

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Lili Dey

#Childhood

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ଟିକି ପିଲା ଟିକି ପିଲା ଟିକି ଯେ ତାର ମନ,
ତମେ ଭଲସେ ନେବ ତାର ଯତନ ।
କଅଁଳିଆ ହୃଦୟ କୁ ତାର ସଜାଡ଼ି ଶିଖିବ,
ତମେ ଯେମିତି ଗଢିବ ସେ ସେମିତି ହେବ ।
ସବୁବେଳେ ଶିଖାଇବ ତାକୁ ଭଲ ବ୍ୟବହାର,
ତାକୁ ସଦା କହିବ କରିବ ପାଇଁ ପରୋପକାର ।
ଟିକି ପିଲା ଟିକି ପିଲା ଟିକି ଯେ ତାର ମନ,
ତମେ ଭଲସେ ନେବ ତାର ଯତନ ।
ଲକ୍ଷେ କାମ ଛାଡ଼ି ରଖିବ ତା ଉପରେ ନଜର,
ହେଳା କରିଲେ ତା ପ୍ରତି ସେ ଶିଖିବ କେମିତି ସୁବିଚାର ।
ମାତା ପିତା ତା ପ୍ରତି ଧ୍ୟାନ ଦେଲେ ତା ଜୀବନ ହେବ ଯେ ସୁଖମୟ,
ତମ ଠୁ ପାଇ ଭଲ ସଂସ୍କାର ସେ ଦୁନିଆ ରେ ଗଢ଼ିବ ତା ନିଜ ପରିଚୟ ।
ଟିକି ପିଲା ଟିକି ପିଲା ଟିକି ଯେ ତାର ମନ,
ତମେ ଭଲସେ ନେବ ତାର ଯତନ ।

©Lili Dey #Childhood
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