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Vibhor VashishthaVs
Meri Diary #Vs❤❤ आस भी उससे है,और स्वाँस भी उससे है..... ये धरा भी उस से है,और ये आकाश भी उससे है...... उम्मीद भी उससे है,और विश्वाश भी उससे है.... आरम्भ भी उससे है,और समापन भी उससे है.... सम्पूर्ण जगत का,प्रेषण भी और चालन उससे है...... हमें अपनी शरण में रखना, हे मेरे शम्भू ..... हमारा बस हर घडी, ये निबेदन तुझसे है..... 🙏🌺🙏हर हर महादेव शिव शंभु🙏🌺🙏 ✍️Vibhor vashishtha Vs Har Har Mahadev ❤️🙏🕉️🕉️ Picture via Google #YourQuoteAndMine Collaborating with Avantika Yadav Meri Diary #Vs❤❤ आस भी उससे है,और स्वाँस भी उ
भाग्य श्री बैरागी
मैं भारत हूॅं कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें 🧡⚪🟩2🧡⚪🟩 मैं ब्रम्हा के सृजन में हूॅं, नारायण के चालन में हूॅं, डमरू की झंकार, मैं हूॅं। मैं भारत हूॅं,,, मैं भारत हूॅं,,,
Satya Prakash Upadhyay
World Ozone Day जिनको नही है ज्ञान उन्हें आज मैं समझाता हूँ क्यूँ जरूरी है ओज़ोन अब सबको बतलाता हुँ पृथ्वी का दोहन कर के,हम सब खनिज रसायन चुराए जब खत्म हो गई शक्ति देने की, तो आकाश पर भी चढ़ आए जो करता था सुरक्षा हमारी,उस प्रहरी को हीं भेद आए जब इतने से भी मन न भरा तो जंगल सारे काट आए विकिरण की उष्मा को जब हम, तबाही की सीमा तक पहुंचाए तब भी विवेक न जागा हमारा,A.C. ,मोटर का प्रयोग और बढ़ाए होती सुरक्षा नभ की जिससे,उस हरियाली को हम काट खाए घट रही ग्लेशियरों की संख्या,तब विश्व पटल पर चिल्लाए न रही प्रकृति में वो सौम्यता, अब रौद्र रूप वो दिखलाए कहीं बाढ़ तो कहीं है सूखा,रोग पचास को निमंत्रण दे आए नई पीढ़ी को क्या दे जाएंगे,हम सोच मन हीं मन झुंझलाए कोई कर देगा सब ठीक,पर खुद करने में संकुचाए आरामतलबी के कारण जब प्रदूषण को न रोक पाए अब कोई उपाय न दिखता देख, छाती पीटे और पछताए अब भी कुछ समय है अपने पास,वैज्ञानिकों के सुझाव में लग जाएं प्राणिमात्र के लिए जो है घातक, उन प्रकल्पों को न दुहराए जिनको नही है ज्ञान उन्हें आज मैं समझाता हूँ क्यूँ जरूरी है ओज़ोन अब सबको बतलाता हुँ पृथ्वी का दोहन कर के,हम सब खनिज रसायन चुराए जब खत्म हो ग
vishnu prabhakar singh
बताह भीड़ न शिर न पैर हवा में ! हताश नर मुंड शोर मचाती माँगो का अपने मूल अधिकार के बल पर कृत्रिम बौद्धिकता के फांस में आंदोलन की सूक्ष्मता प्रतिपादित करती केवल कान खोलने को कहती तत्काल हस्तक्षेप को दर्शाती उचित समय पर क्रम दुहराती सुचना पर अनावश्यक विश्वास लेकर प्रसार का विस्फोट करती हवा में! छोड़ जाती बताह भीड़ को स्वीकारती व्यथा व्यवस्था तंत्र और कल्याण अवमानना के बीच की खाई नैतिकता में व्यवस्था निर्मित अभाव राजनीति एक व्यवसाय व लक्ष्य संघर्ष का अप्राकृतिक क्रिया अस्तित्व में ! शीघ्र पतन हो भी तो कैसे बताह भीड़ अव्यवस्था का रूपक न देह न देहि ,अकेला हवा में ! (कृपया,शेष अनुशीर्षक में देखें) आंदोलन का रसायन! बताह भीड़ न शिर न पैर हवा में ! हताश नर मुंड शोर मचाती माँगो का
Nitish Sagar
karwachauth Read in caption (करवाचौथ वाला short story) 😊😊😍 करवाचौथ वैसे ये पर्व विवाहिता महिलाएं करती है लेकिन अब कुछ कुंवारी लड़कियां भी मनाती है अपने उनके लिए। पता नहीं मेरी वाली मेरे लिए मनाती हो
B Pawar
"यह वृतांत काल्पनिक है, कथा है मानव जाति के विनाश की, उस महाप्रलय की जिसका कारण भी वे ही थे, जो परमाणु विस्फोटों , विकिरणों , जैविक-अजैविक विषाक्त विस्फोटकों का प्रतिकार था।" “धरती पर प्रलय के सहस्रों काल पश्चात जब शून्य से कोई परग्रही जीव धरती पर जीवन तलाशने आये तब धरा के सूक्ष्म कणों द्वारा परग्रही जीवों को यह कथा बतायी गई।“ 03/11/2017 🌐www.whosmi.wordpress.com यहां नीचे पूरा पढ़े 👇 सुनो परग्रहीयो !.. सुनो ! है धरा के सूक्ष्म कण हम पर्यावरण में बहते है हम पृथ्वी पर बसने से पहले कुछ बातें तुम्हें बत
atrisheartfeelings
कुछ महत्वपूर्ण बातें .... Please read in caption.... बहुत मेहनत के बाद यह चिन्ह तैयार किया हैं अतः आप से निवेदन हैं कि आप इसे हर students से सहभागिता करें...*✍🏻✍🏻✍🏻 1) + = जोड़